राज्य सरकार के सटीक और प्रभावी प्रयासों के से यह बीमारी यूपी से खत्म होने की कगार पर है। सरकार ने इस चुनौती को गंभीरता से लिया और इसके खिलाफ एक सुदृढ़ कार्ययोजना तैयार की, जो आज कारगर साबित हो रही है।
यूपी से खत्म हुआ जापानी इंसेफेलाइटिस का खौफ : दस्तक अभियान के जरिए 33.85 लाख टीकाकरण
Sep 10, 2024 17:09
Sep 10, 2024 17:09
शत-प्रतिशत टीकाकरण
सरकार के मार्गदर्शन में स्वास्थ्य विभाग ने जेई के खिलाफ एक सुनियोजित अभियान चलाया। इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग की हर गतिविधि की निगरानी की गई और सुनिश्चित किया गया कि शत-प्रतिशत टीकाकरण हो। सरकार ने "दस्तक अभियान" के तहत गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करने के साथ ही घर-घर जाकर टीकाकरण अभियान चलाया। पिछले तीन वर्षों में पूरे राज्य, विशेषकर पूर्वांचल में करीब 2 करोड़ बच्चों को जेई-1 और जेई-2 टीके की खुराक दी गई। पहले इस बीमारी की वजह से न केवल परिवारों को अपने बच्चों की जान गंवानी पड़ती थी, बल्कि बीमारी के इलाज पर भारी खर्च भी करना पड़ता था। अब हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं। जेई टीकाकरण के बाद बीमारी की रोकथाम हो चुकी है और लोगों में इस बीमारी का कोई डर नहीं रह गया है।
आशा बहनों की अहम भूमिका
राज्य सरकार ने जागरूकता फैलाने और टीकाकरण की सफलता सुनिश्चित करने के लिए आशा बहनों को प्रशिक्षित किया। चिकित्सा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग की सचिव, डॉ. पिंकी जोवल के अनुसार, मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर 1.70 लाख से अधिक आशा बहनों को जेई के बारे में जागरूक करने और लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित करने का प्रशिक्षण दिया गया। आशा बहनों ने डोर-टू-डोर कैंपेन के तहत करीब 4 करोड़ घरों तक पहुंच बनाई और व्यक्तिगत रूप से लोगों को इस बीमारी के खतरों और टीकाकरण के महत्व के बारे में बताया।
बीमारी से बचाव के लिए जागरूक हो रहे लोग
सचिव डॉ. पिंकी जोवल ने कहा,सरकार के इस प्रयास का परिणाम यह रहा कि लोगों ने टीकाकरण को गंभीरता से लिया और जो लोग पहले इस अभियान से पीछे हट रहे थे, वे भी आगे आए। वर्ष 2023-24 में राज्य सरकार ने जेई-1 के लिए 34.64 लाख टीकाकरण का लक्ष्य रखा, जिसके मुकाबले 33.85 लाख टीके लगाए गए। इसी तरह, वर्ष 2022-21 में 34.59 लाख टीकाकरण के लक्ष्य के मुकाबले 33.78 लाख टीके लगाए गए। यह अभियान इतनी गंभीरता से चलाया गया कि अब लोग खुद इस बीमारी से बचाव के लिए जागरूक हो चुके हैं।
99 प्रतिशत तक घटी मृत्यु दर
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जीएम, डॉ. मनोज शुक्ला ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों का ही परिणाम है कि 2023 में जेई से होने वाली मृत्यु दर मात्र 1.23 प्रतिशत रह गई, जबकि 2017 में यह दर 13.87 प्रतिशत थी। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ने जेई और एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) से होने वाली मौतों में रिकॉर्ड 99 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की है। इस प्रयास के चलते पिछले सात वर्षों में जेई और एईएस से होने वाली मौतों में 12.64 प्रतिशत की कमी आई है।
सफल टीकाकरण अभियान
जापानी इंसेफेलाइटिस को नियंत्रित करने के लिए राज्य में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम को मजबूती से लागू किया गया। पिछले छह-सात वर्षों में जेई के खिलाफ नियमित टीकाकरण के अलावा विशेष अभियान भी चलाए गए, जिनका असर यह रहा कि जेई के मामलों में लगातार कमी आई। इस बीमारी से होने वाली मौतें लगभग शून्य तक पहुंच चुकी हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दुबे के अनुसार पिछले वर्ष जेई से कोई भी मौत नहीं हुई और इस साल भी स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। सरकार द्वारा चलाए जा रहे नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत, बच्चों को जेई का टीका बचपन में दो बार लगाया जाता है। यदि किसी कारणवश यह टीका नहीं लग पाया, तो 15 वर्ष की आयु तक कभी भी यह टीका लगाया जा सकता है।
आशा बहनें-एएनएम को प्रशिक्षण
मानव सेवा संस्थान के निदेशक राजेश मणि ने कहा कि सीएम योगी के नेतृत्व में पूर्वांचल के लोगों को अब जेई के प्रकोप से मुक्ति मिल चुकी है। पहले जहां इस बीमारी के कारण लोग आर्थिक संकट का सामना कर रहे थे, वहीं अब वे उस धनराशि का उपयोग अपने व्यवसाय और बच्चों की अच्छी परवरिश में कर पा रहे हैं। सरकार के चलाए गए दस्तक अभियान ने गांवों में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाई और आज सभी स्वास्थ्य केंद्र संवेदनशील और सक्षम हो गए हैं। आशा बहनें और एएनएम को प्रशिक्षण देकर इतना मजबूत बना दिया गया है कि वे बीमारी को बढ़ने नहीं देतीं। सरकार के सतत प्रयासों और विभागीय समन्वय के कारण आज यूपी जापानी इंसेफेलाइटिस के खात्मे की ओर बढ़ चुका है। यह राज्य सरकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जिससे लाखों लोगों का जीवन सुरक्षित हो पाया है।
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