जीएनएम कोर्स के लिए राज्य में लगभग 18 हजार सीटें हैं। 369 कॉलेजों ने नए कोर्स चलाने या सीटें बढ़ाने के लिए आवेदन किया। इनमें से 36 कॉलेजों ने क्यूसीआई की जांच कराने से इनकार कर दिया। बाकी 246 नए कॉलेजों और 87 पुराने कॉलेजों का निरीक्षण किया गया।
जीएनएम कोर्स : मानकों पर खरे नहीं उतरे नए कॉलेज, पुरानों में सिर्फ 14 प्रतिशत सीट बढ़ाने योग्य, होगी कार्रवाई
Dec 02, 2024 12:26
Dec 02, 2024 12:26
क्यूसीआई की रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया ने नर्सिंग और मिडवाइफरी कोर्स संचालित करने वाले 386 कॉलेजों की जांच की। रिपोर्ट में पता चला कि ज्यादातर कॉलेज फायर सेफ्टी, पर्यावरण एनओसी और बुनियादी ढांचे जैसे आवश्यक मानकों पर खरे नहीं उतरते। इस खुलासे ने प्रदेश के नर्सिंग शिक्षा की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
केवल 12 कॉलेज ही सीट बढ़ाने के लिए योग्य
जीएनएम कोर्स के लिए राज्य में लगभग 18 हजार सीटें हैं। 369 कॉलेजों ने नए कोर्स चलाने या सीटें बढ़ाने के लिए आवेदन किया। इनमें से 36 कॉलेजों ने क्यूसीआई की जांच कराने से इनकार कर दिया। बाकी 246 नए कॉलेजों और 87 पुराने कॉलेजों का निरीक्षण किया गया। पुराने कॉलेजों में से केवल 12 कॉलेज ही सीट बढ़ाने के लिए योग्य पाए गए। 13 कॉलेजों में एनओसी अपडेट नहीं थी और 62 कॉलेजों में बुनियादी मानकों की कमी पाई गई। इस वजह से इन कॉलेजों को अतिरिक्त सीटें देने से इनकार कर दिया गया।
नए कॉलेजों में मात्र 9 पाए गए योग्य, कॉलेज संचालकों ने उठाए सवाल
246 नए कॉलेजों ने मान्यता के लिए आवेदन किया था, लेकिन इनमें से केवल 9 कॉलेज ही सभी मानकों को पूरा कर सके। बाकी 237 कॉलेजों में भारी खामियां पाई गईं। कुछ कॉलेजों में जरूरी दस्तावेज जैसे एनओसी, लैब्स और फायर सेफ्टी प्रमाणपत्र ही नहीं थे। हालांकि कई कॉलेज संचालकों ने क्यूसीआई की रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि उनके संस्थानों को इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) से पहले से मान्यता प्राप्त है और हर साल के निरीक्षण में उनके कॉलेजों को योग्य पाया गया है। संचालकों का तर्क है कि सुधार के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया।
कड़े मानकों पर की जांच, रिपोर्ट पर होगी कार्रवाई
क्यूसीआई की टीम ने कॉलेजों के टीचिंग ब्लॉक, हॉस्टल, हॉस्पिटल सुविधाएं, फायर सेफ्टी, पर्यावरण एनओसी, लैब, लाइब्रेरी और संकाय सदस्यों की उपलब्धता की गहन जांच की। इसके अलावा, सीएमओ से प्रमाणपत्र और कंप्यूटर लैब की गुणवत्ता की भी जांच की गई। यूपी स्टेट मेडिकल फैकल्टी के सचिव डॉ. आलोक कुमार ने बताया कि रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। उनका कहना है कि नर्सिंग और पैरामेडिकल कोर्स की गुणवत्ता सुधारने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
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