यूपी राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को फर्जी नोटिस जारी करने के मामले में एक अहम खुलासा हुआ है। इस फर्जी नोटिस को लखनऊ के हजरतगंज स्थित जनरल पोस्ट ऑफिस से 11 दिसम्बर को सुबह 11:58 बजे काउंटर नंबर-11 से पोस्ट किया गया था।
Lucknow News : राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को जीपीओ से भेजा गया था फर्जी नोटिस, सीसीटीवी खंगाल रहे अधिकारी
Dec 15, 2024 15:07
Dec 15, 2024 15:07
सीसीटी खंगाल रहे अधिकारी
नोटिस भेजने का समय और स्थान की पुष्टि होने के बाद प्रशासन ने जीपीओ के अधिकारियों से संपर्क किया। काउंटर नंबर-11 से नोटिस भेजने वाले की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है। प्रशासन का कहना है कि नोटिस की तारीख और समय की जानकारी से यह स्पष्ट हो गया है कि यह नोटिस जीपीओ से ही भेजी गई थी।
नोटिस पर फर्जी मोहर और हस्ताक्षर
मलिहाबाद तहसील में मीरा पाल बनाम ग्राम सभा का वरासत संबंधी मुकदमा तहसीलदार विकास सिंह की कोर्ट में विचाराधीन है। इस मामले में राज्यपाल को पक्षकार बनाने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद 11 दिसम्बर को राज्यपाल को पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी कर राजभवन भेज दिया गया। तहसीलदार विकास सिंह ने बताया कि यह नोटिस 29 अक्टूबर को जारी करने आठ नवम्बर की पेशी की तारीख के साथ तैयार किया गया। नोटिस को स्पीड पोस्ट के जरिए जीपीओ से भेजा गया।
मुकदमे की जानकारी पहले से जुटाई
तहसील के अधिकारियों का कहना है कि किसी शरारती तत्व ने तहसील में दर्ज मुकदमे की जानकारी पहले से ही जुटा ली थी। उसने न्यायालय की फर्जी मोहर और हस्ताक्षर बनाकर जाली नोटिस तैयार किया और इसे राजभवन को स्पीड पोस्ट के माध्यम से भेज दिया। राजभवन से कलेक्ट्रेट भेजा गया नोटिस अभी तक मलिहाबाद नहीं पहुंचा है। मामले की जांच जारी है। इस प्रकार की हरकत करने वाले व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कंप्यूटराइज्ड नोटिस ही जारी किए जाते
एसडीएम मलिहाबाद सौरभ सिंह ने बताया कि राजस्व संहिता 2006 लागू होने के बाद धारा-34 के अंतर्गत दर्ज मामलों में पक्षकारों को कंप्यूटराइज्ड नोटिस ही जारी किए जाते हैं। तहसील से ऐसा कोई नोटिस (इश्तिहार) नहीं भेजा गया है। तहसीलदार मलिहाबाद विकास सिंह के अनुसार, यह नोटिस हाथ से तैयार किया गया है, जिसकी भाषा शैली भी सामान्य नोटिस से अलग है। इसे जानबूझकर साजिश के तहत राजभवन भेजा गया है।
राजभवन ने खारिज किया नोटिस
राजभवन ने फर्जी नोटिस को गंभीरता से लेते हुए 12 दिसम्बर को इसे खारिज कर दिया था। धारा 361 के तहत राज्यपाल को विशेष संरक्षण का हवाला देते हुए राजभवन ने संबंधित अधिकारियों पर नाराजगी जताते हुए निर्देश दिया कि भविष्य में ऐसी शरारत न हो। इसके बाद 13 दिसमबर को राजभवन से लखनऊ कलेक्ट्रेट को एक पत्र भेजा गया। पत्र मिलने पर इस मामले का खुलासा हुआ था।
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