उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में किसान हल्दी की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। कम लागत में 3 गुना ज्यादा मुनाफा देने वाली इस फसल की तरफ...
हरदोई में हल्दी की खेती : जानें हर सब्जी की शान हल्दी की फसल किसानों पर कैसे हुई मेहरबान
Dec 27, 2023 11:56
Dec 27, 2023 11:56
कैसे हुई हरदोई में हल्दी की खेती की शुरुआत
हरदोई के लाला पुरवा निवासी किसान अमन राजवंशी ने बताया कि वह पहले पारंपरिक खेती किया करते थे जिसमें आए दिन आने वाली देवी आपदा के चलते फसल काफी प्रभावित होती थी। कई बार तो खेती पर लगाया गया खर्च तक निकलना मुश्किल हो जाता था, लेकिन कोरोना काल में उन्होंने कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली हल्दी की खेती के बारे में पता चला। जिसके बाद इस विषय में इंटरनेट के माध्यम से जानकारी प्राप्त की और जिला उद्यान विभाग में जाकर उसे समय के जिला उद्यान अधिकारी सुरेश कुमार से हल्दी की उन्नत किस्म के विषय में जानकारी प्राप्त की थी। उस समय उनके द्वारा सुझाए गए उपाय के जरिए हल्दी के उन्नत बीजों के साथ उन्होंने कम एरिया में हल्दी की फसल तैयार की थी और अब वह इस समय एक एकड़ में लगातार हल्दी की ही फसल कर रहे हैं।
1 एकड़ में 100 से 200 कुंतल तक होती है हल्दी की उपज
राजवंशी बताते हैं कि एक बीज से कई बार तो 1 किलो तक या उससे ज्यादा उपज होती है। खेत को अच्छी तरीके से भुरभुरा बनाने के बाद बटहरी विधि से हल्दी की बुआई की जाए तो अच्छी फसल होती है। 1 एकड़ में फसल औसतन 100 कुंतल से लेकर 200 कुंतल तक पहुंच जाती है 10 कुंतल बीज से 100 से 200 कुंतल तक की उपज का यह रिकॉर्ड किसानों के लिए किसी वरदान से काम नहीं है गीली हल्दी और सूखी हल्दी दोनों ही बाजार में अच्छी कीमत पर बिक जाती है।
6 महीने में पूरी तरीके से फसल तैयार
हरदोई के जिला कृषि अधिकारी नंदकिशोर बताते हैं कि किसानों को अच्छी क्वालिटी का बीज लेने की सलाह दी जाती है इन बीजों में पीतांबर, सोरमा,आर एच 5, सुदर्शन हल्दी की किस्मे में शामिल है। हल्दी का औसत मूल्य 2000 से लेकर 5000 कुंतल तक उठना-गिरता रहता है। कुल मिलाकर हल्दी की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा है। तमिलनाडु, महाराष्ट्र, तेलंगना, कर्नाटक आदि प्रदेशों में हल्दी की भारी मांग है। भारतवर्ष में पैदा होने वाली हल्दी की विदेश तक में सप्लाई की जाती है।
Also Read
15 Nov 2024 09:20 AM
एलडीए के तत्कालीन सहायक अभियंता भूपेंद्रवीर सिंह ने 2006 में यह रिपोर्ट दी थी कि जमीन नदी के बीच में है और इसका प्राधिकरण के लिए कोई उपयोग नहीं है। इसके बावजूद 2014 में फाइल दोबारा खोली गई। बिल्डर ने यह जमीन महादेव प्रसाद से खरीदी दिखाई। लेकिन, वह जमीन नदी के बीच होने के कारण ... और पढ़ें