Hardoi News : किसानों ने अपनाया जैविक खाद बनाने का तरीका, रसायनिक खेती को छोड़ा

किसानों ने अपनाया जैविक खाद बनाने का तरीका, रसायनिक खेती को छोड़ा
UPT | किसानों को प्रोत्साहित करते जिला अधिकारी

Aug 23, 2024 01:57

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में किसान अब रसायन युक्त हानिकारक खेती से दूर हटकर जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं। इस परिवर्तन को लेकर जिला प्रशासन और कृषि विभाग किसानों की सहायता कर रहे हैं।

Aug 23, 2024 01:57

Hardoi News : उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में किसान अब रसायन युक्त हानिकारक खेती से दूर हटकर जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं। इस परिवर्तन को लेकर जिला प्रशासन और कृषि विभाग किसानों की सहायता कर रहे हैं। किसान अब ब्रह्मास्त्र और निमास्त्र जैसी प्राचीन विधियों को अपनाकर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और इससे वे न केवल रसायनिक उर्वरकों पर खर्च बचा रहे हैं, बल्कि स्वस्थ फसलों की खेती भी कर रहे हैं।

दैनिक जीवन की चीजों से बनी जैविक खाद
हरदोई जिले के किसान अब रसायन युक्त उर्वरकों को छोड़कर दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं से खाद बना रहे हैं। यह खाद पूरी तरह से जैविक होती है और इसमें किसी भी प्रकार के रसायनिक तत्वों का उपयोग नहीं किया जाता है। किसान अपने खेतों में गाय के गोबर, गोमूत्र, मूंग, अरहर, चना, गन्ने का रस, गुड़ आदि का इस्तेमाल कर प्राकृतिक विधियों से खेती कर रहे हैं। कृषि अधिकारी किसानों को जैविक खेती के लाभों के बारे में जागरूक कर रहे हैं और उन्हें ब्रह्मास्त्र और निमास्त्र विधियों का प्रशिक्षण दे रहे हैं।

कृषि उपनिदेशक की जानकारी
हरदोई के कृषि उपनिदेशक नंदकिशोर ने बताया कि निमास्त्र और ब्रह्मास्त्र विधियाँ आधुनिक समय में बहुत प्रभावी मानी जाती हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से किसानों को इन विधियों की पूरी जानकारी दी जा रही है। ये विधियाँ न केवल रासायनिक खादों और कीटनाशकों पर खर्च को कम करती हैं, बल्कि फसलों की गुणवत्ता में भी सुधार करती हैं। 

सरकारी प्रोत्साहन
हरदोई के जिला अधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने कहा कि जैविक खेती करने वाले किसानों को सरकार की ओर से लगातार प्रोत्साहन दिया जा रहा है। निमास्त्र और ब्रह्मास्त्र विधियाँ विशेष रूप से नीम और गोमूत्र जैसे प्राकृतिक तत्वों का उपयोग करती हैं, जो कि कीटनाशक के रूप में काम करते हैं और फसलों को प्राकृतिक रूप से सुरक्षित रखते हैं। इसके साथ ही, गाय के गोबर से तैयार खाद भी फसलों के लिए अत्यंत लाभकारी है।



ब्रह्मास्त्र और निमास्त्र विधियां
नंदकिशोर ने बताया कि प्राचीन काल में किसान प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग कर खेती करते थे, लेकिन आधुनिकता की दौड़ में रसायनिक तत्वों के इस्तेमाल से फसलों में पोषण तत्वों की कमी आई है। इसके मद्देनजर, हरदोई के किसान अब ब्रह्मास्त्र और निमास्त्र जैसी पुरानी विधियों को अपनाकर रसायनिक तत्वों से बच रहे हैं। ब्रह्मास्त्र और निमास्त्र विधियाँ कीट पतंगों से फसलों की रक्षा करती हैं और पूरी तरह से जैविक होती हैं। 

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