हरदोई आबकारी विभाग में धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। इसमें जालसाजों ने लाइसेंस पाने के लिए फर्जी हैसियत प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है, जिसमें 90 लाख रुपये की फर्जी एफडी बनाकर लगाई गई है।
हरदोई में शराब लाइसेंस घोटाला : 90 लाख की फर्जी एफडी लगा हथिया लीं सात दुकानें, 10 के खिलाफ केस दर्ज
Sep 30, 2024 17:12
Sep 30, 2024 17:12
10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज
इस मामले में आबकारी विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है, जिनमें से 6 को नामजद किया गया है। इन आरोपियों में प्रमुख शराब कारोबारी और उनके सहयोगी शामिल हैं। विभाग ने इस घोटाले में शामिल सात शराब की दुकानों को भी सील कर दिया है, जो अवैध तरीके से संचालित की जा रही थीं।
आरोपियों ने फर्जी एफडी प्रमाणपत्र तैयार किए
जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने बैंक ऑफ इंडिया के नाम पर फर्जी एफडी प्रमाणपत्र तैयार किए थे। ये प्रमाणपत्र इतने कुशलता से बनाए गए थे कि प्रथम दृष्टया उन्हें असली से अलग पहचानना मुश्किल था। इन फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके आरोपियों ने न केवल नए शराब लाइसेंस प्राप्त किए, बल्कि मौजूदा लाइसेंसों का नवीनीकरण भी कराया।
आबकारी अधिकारी ने 10 के खिलाफ मामला दर्ज कराया
हरदोई के जिला आबकारी अधिकारी कुंवर पाल ने बताया कि 6 नामजद समेत 10 के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है। जिला आबकारी अधिकारी ने बताया कि यह घोटाला काफी व्यवस्थित तरीके से किया गया था। आरोपियों ने विभाग के कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों की मदद से सभी आवश्यक दस्तावेजों को सत्यापित करवाया और लाइसेंस प्राप्त कर लिया। हमें शक है कि इस घोटाले में कुछ बैंक कर्मचारियों की भी संलिप्तता हो सकती है।
घोटाले में शामिल मुख्य आरोपियों के नाम
इस घोटाले में मुख्य आरोपियों में कुलदीप अग्रवाल, सुरेश अग्रवाल, राजकुमार अग्रवाल, रजनीश सिंह और संगीता देवी के नाम सामने आए हैं। इन लोगों ने अलग-अलग स्थानों पर स्थित शराब की दुकानों के लिए फर्जी एफडी का इस्तेमाल किया है। जैसे, बेगमगंज, सुमई, सर्कुलर रोड, नुमाइश चौराहा, माधवगंज और काली मां मंदिर के पास स्थित दुकानें।
घोटालेबाजों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी
स्थानीय पुलिस ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई करते हुए शहर कोतवाली में एफआईआर दर्ज की है। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि हम इस मामले की गहनता से जांच कर रहे हैं। जो भी लोग इस घोटाले में शामिल पाए जाएंगे, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हमारा लक्ष्य है कि ऐसे घोटालों पर अंकुश लगाया जाए ताकि भविष्य में कोई इस तरह का दुस्साहस न करे।
विभागीय मिलीभगत के चलते हुआ फर्जीवाड़ा
आबकारी विभाग के द्वारा दुकान आवंटन के समय सभी अभिलेखों का सत्यापन किया जाता है, ऐसे में विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से यह कागजी कार्रवाई पूरी होती है। हैसियत प्रमाण पत्र की जगह एफडी की फर्जीवाड़े का खेल खुला है, जिसमें दुकानों की सील और दुकान मालिक के खिलाफ एफआईआर की कार्रवाई की गई है लेकिन कहीं ना कहीं इसमें उन विभागीय बाबू कंप्यूटर ऑपरेटर जैसे लोगों पर भी जांच का दायरा बढ़ाने की आवश्यकता है।
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