उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में स्वादिष्ट व्यंजनों के चखने वाले लोगों की कमी नहीं है हालांकि लखनऊ और शाहजहांपुर के बीच बसे हरदोई के लोगों के स्वाद का अपना अलग अलबेलापन है आजादी के पहले या फिर कहें कि अंग्रेजी हुकूमत से ही लोगों के...
Hardoi News : अंग्रेजी हुकूमत से अब तक गुलजार है चाट की दुकान, मायानगरी के सितारे भी दीवाने...
Jan 11, 2025 10:39
Jan 11, 2025 10:39
- कई लोगों ने तो दशकों से नहीं किया सुबह अपने घर का नाश्ता।
- आओ जानें लाजवाब खस्ते की स्वाद वाली कहानी।
दुकान लगने से पहले चटोरों की भीड़
हरदोई अपने खास स्वाद को लेकर दीवानगी के लिए जाना जाता है, यहां के लोग चटपटा चटकारेदार तीखा खाने के लिए मशहूर हैं। इसमें हल्का मीठा भी स्वाद को 10 गुना कर देता है। हरदोई वालों की सुबह स्वाद को ढूंढने से होती है। इसी स्वाद को पिछले डेढ़ सौ वर्षों से एक दुकान जीवित किए हुए है। इस दुकान का नाम दिल्ला खस्ता वाला है। इनका खस्ता अपने स्वाद के लिए पूरे जिले से लेकर देश परदेश तक जाना जाता है। ढाक के तीन पत्तों की हाथ से बनी गोल कटोरीनुमा पत्तल में मूंग की दाल भरे खस्ते को हाथ से मरोड़ कर तोड़ने के बाद उसमें गरमा गरम मटर के दो तीन चम्मच उड़ेल दिए जाते हैं। उसके बाद उसी में आम की कली से बनी गरमा गरम चटनी, उसके बाद इमली और गुड़ से बनी मीठी चटनी डालने के बाद तीन उंगलियां के स्पर्श से मसाले को बड़े ही बारीक तरीके से बुरक दिया जाता है। एक बार चम्मच के उलट पलट से खाने वाला अपनी लपलपाई हुई जीभ खाने को बेसब्र हो रहा होता है। खस्ता का बना हुआ पत्तल मिलने के बाद सुबह सवेरे खाली पेट दिल्ला के खस्ते का जाएका लोगों के सर चढ़कर बोलता है। रेलवे स्टेशन के निकट छोटी सी दुकान अंग्रेजी हुकूमत से अब तक लोगों की जुबान पर अपनी हुकूमत स्वाद के रूप में जमाए हुए है। लोगों का कहना है कि यह स्वाद वे बाबा के जमाने से लेते चले आ रहे हैं।
दशकों से नहीं किया घर का नाश्ता
हरदोई के रेलवे स्टेशन से करीब 200 गज की दूरी पर बीच बाजार स्थित दिल्ला का खस्ता भंडार है। यह दुकान पहले खस्ताहाल लकड़ी के ठेले पर हुआ करती थी। दुकान को चलाने वाले ओनर छोटे का कहना है कि यह बाप दादाओं का आशीर्वाद है। उन्होंने इस खस्ते की क्वालिटी और उसके मसाले में कोई परिवर्तन नहीं किया है। इसलिए इसकी मांग सुबह से ही होने लगती है। डेली पैसेंजर और बाजार के दुकानदार दुकान खोलकर पहले नाश्ता इसी से करते हैं। बहुत से कस्टमर 20 साल से लेकर 80 साल तक के हो गए हैं। बाबा के जमाने से लेकर अब तक उनकी दुकान खुलने से पहले भीड़ देखी जाती है। जहां एक ओर चाइनीज फास्ट फूड की मांग बढ़ी है, लेकिन उसका असर हमारी दुकानदारी पर नहीं पड़ा है।
मायानगरी के सितारे भी दीवाने
हरदोई के रहने वाले और इस समय मायानगरी मुंबई में कई फिल्मों में अपनी एक्टिंग का दम दिखा चुके राहुल चौहान कहते हैं कि हरदोई अपने जायके के लिए देश ही नहीं, विदेश तक में जाना जाता है। इस खस्ते के चर्चा मुंबई में भी है। हरदोई में स्टेशन पर
शूट हुई 'इश्क ज्यादा' की स्टार कास्ट ने भी इसका स्वाद लिया था। इसके अलावा कई बार कई सिने स्टारों ने इसका स्वाद लिया है। सुबह सवेरे मिलने वाले इस खस्ते के स्वाद का अपना अलग महत्व है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इसमें नुकसान करने वाली कोई भी चीज नहीं पड़ती है। देसी मसाले का भुना हुआ स्वाद जुबान पर पड़ते ही दिन को खूबसूरत बना देता है। हरदोई आने पर वह इसका स्वाद लेना नहीं भूलते हैं। हरदोई में मेडिकल स्टोर चलाने वाले गुड्डू का कहना है कि वह बचपन से लेकर अभी तक इस जायके के मुरीद हैं।
दिग्गज नेताओं ने चखा खस्ते का स्वाद
हरदोई आठ विधानसभा दो लोकसभा वाला बड़ा क्षेत्र है। पांच जिलों की सीमाएं हरदोई को प्रदेश और देश की राजनीति में बड़ा ओहदा देती है। लेखक अजीत अवस्थी कहते हैं कि 90 के दौर में जिले की नेतागिरी स्टेशन से ही शुरू होती थी, मेरे ख्याल से गाहे बगाहे दिल्ला के खस्ते का स्वाद जनपद के ज्यादातर पॉलिटिशियन ने लिया है। इसमें राजनीति में ऊंचा ओहदा रखने वाले नरेश अग्रवाल, उषा वर्मा, नितिन अग्रवाल, सुखसागर मिश्र मधुर जैसे तमाम नेता शामिल हैं। यहां खस्ता खाते हुए लोग एक दूसरे से रूबरू भी हो जाया करते थे।
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