आयरन स्क्रैप : बोगस रैकेट के जरिए 285 करोड़ की टैक्स चोरी का पर्दाफाश, अब रजिस्टर्ड कारोबारी देंगे 2 प्रतिशत टीडीएस

बोगस रैकेट के जरिए 285 करोड़ की टैक्स चोरी का पर्दाफाश, अब रजिस्टर्ड कारोबारी देंगे 2 प्रतिशत टीडीएस
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Oct 18, 2024 08:42

आयरन स्क्रैप में जीएसटी चोरी केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के कई अन्य राज्यों में भी एक गंभीर समस्या है। जीएसटी काउंसिल की 54वीं बैठक में लिए गए फैसले के आधार पर, राज्य सरकार ने मेटल स्क्रैप को लेकर नई अधिसूचना जारी की है।

Oct 18, 2024 08:42

Lucknow News :  राज्य कर विभाग ने आयरन स्क्रैप (लोहे का कबाड़) में बड़े पैमाने पर हो रही जीएसटी चोरी का खुलासा किया है। विभाग ने डाटा एनालिसिस का उपयोग करते हुए करीब 285 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी से जुड़े बोगस फर्मों के एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है। यह कदम मेटल स्क्रैप में हो रही संगठित टैक्स चोरी को रोकने के लिए उठाया गया, जिसमें कई फर्जी फर्में शामिल थीं।

कबाड़ कारोबार में टैक्स चोरी पर नकेल कसने के लिए बड़े फैसले
जीएसटी चोरी पर रोक लगाने के लिए राज्य कर विभाग ने दो महत्वपूर्ण फैसले किए हैं। पहला फैसला यह है कि पंजीकृत कारोबारी यदि अपंजीकृत व्यापारी से स्क्रैप खरीदता है, तो उस पर टैक्स की देयता पंजीकृत व्यापारी की होगी। दूसरा, पंजीकृत व्यापारी को अब टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) के दायरे में लाया गया है। इसके तहत कबाड़ प्राप्त करने वाले को 2 प्रतिशत टीडीएस देना होगा। ये दोनों नए नियम अब लागू कर दिए गए हैं।



मेटल स्क्रैप में जीएसटी चोरी की समस्या 
आयरन स्क्रैप में जीएसटी चोरी केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के कई अन्य राज्यों में भी एक गंभीर समस्या है। जीएसटी काउंसिल की 54वीं बैठक में लिए गए फैसले के आधार पर, राज्य सरकार ने मेटल स्क्रैप को लेकर नई अधिसूचना जारी की है। समस्या यह है कि कबाड़ का कारोबार अक्सर छोटे व्यापारियों के जरिए संचालित होता है, जो आमतौर पर जीएसटी पंजीकृत नहीं होते। इससे इन व्यापारियों से स्क्रैप खरीदने वाले और फिर उससे बनाए गए उत्पादों, जैसे सरिया, इंगट, और एंगल का पूरा रिकॉर्ड रखना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा एनालिसिस का प्रयोग
राज्य कर आयुक्त डॉ. नितिन बंसल ने इस समस्या पर अंकुश लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और डाटा एनालिसिस के माध्यम से बड़े पैमाने पर जांच की। इसके परिणामस्वरूप कई बोगस फर्मों की पहचान हुई, जो इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दुरुपयोग करके टैक्स चोरी कर रही थीं। विशेष टास्क फोर्स (एसटीएफ) की जांच में पाया गया कि कई बड़ी स्टील निर्माता कंपनियों ने फर्जी फर्मों के जरिए टैक्स चोरी की थी।

कानपुर और गाजियाबाद की 12 फर्मों पर कार्रवाई
हाल ही में एसटीएफ को कानपुर और गाजियाबाद में एक आयरन स्क्रैप रैकेट की जानकारी मिली, जिसके बाद दोनों शहरों की 12 फर्मों की डाटा एनालिसिस की गई। जांच में सामने आया कि इन फर्मों ने टैक्स चोरी में मदद की थी। कानपुर की विशेष जांच विंग ने इस कार्रवाई में 37.38 करोड़ रुपये का टैक्स जमा कराया। हालांकि, गाजियाबाद की फर्म की जांच में न तो कोई स्टॉक मिला और न ही कोई स्टॉक बुकिंग का रिकॉर्ड। यह फर्म सिर्फ दूसरे राज्यों में स्थित आयरन फर्मों के लिए बिल काट रही थी।

डाटा एनालिसिस विंग से संगठित टैक्स चोरी पर नियंत्रण
राज्य कर विभाग अब नए टूल्स के साथ डाटा एनालिसिस विंग को और अधिक सक्रिय बना रहा है, जिससे मेटल स्क्रैप में संगठित टैक्स चोरी पर लगाम लगेगी। साथ ही, ईमानदार व्यापारियों को भी राहत मिलेगी। राज्य कर आयुक्त डॉ. नितिन बंसल के अनुसार, यह कदम कारोबार में पारदर्शिता लाने और टैक्स चोरी पर नियंत्रण करने में सहायक साबित होगा।
 

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