केजीएमयू का बिना हाथ वालों को तोहफा : खास तकनीक से तैयार किए आर्टिफिशियल हैंड, दूसरे अंगों पर भी काम शुरू

खास तकनीक से तैयार किए आर्टिफिशियल हैंड, दूसरे अंगों पर भी काम शुरू
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Nov 21, 2024 19:31

कृत्रिम अंग बनाने की प्रक्रिया में सबसे पहले मरीज के दूसरे हाथ को स्कैन किया गया। इस स्कैनिंग के बाद, हाथ की डिजिटल डिजाइन तैयार की गई। इसके बाद एचबीटीयू में अत्याधुनिक प्रिंटिंग तकनीक से इसे प्रिंट किया गया। सिंथेटिक पदार्थ का उपयोग करके अंग को तैयार किया गया।

Nov 21, 2024 19:31

Lucknow News : किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) ने चिकित्सा क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत की है। अपने दंत चिकित्सा संकाय के ओरल पैथोलॉजी विभाग के अंतर्गत, केजीएमयू ने हू-ब-हू असली जैसे कृत्रिम हाथ तैयार किए हैं। इन कृत्रिम अंगों को विशेष तकनीकी सहायता और अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से विकसित किया गया है।

एचबीटीयू के साथ मिलकर इस तरह बनाएं दो कृत्रिम हाथ 
केजीएमयू ने कानपुर के हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एचबीटीयू) के सहयोग से दो कृत्रिम हाथ बनाए हैं। इन हाथों को मरीजों के अंगों के आकार, रंग और मोटाई से पूरी तरह मेल खाने वाला बनाया गया है। एक्स्ट्रा ओरल स्कैनर की मदद से मरीज के दूसरे हाथ को स्कैन कर इनकी डिजाइन तैयार की गई।

इस तरह बनाए हू-ब-हू असली जैसे अंग
कृत्रिम अंग बनाने की प्रक्रिया में सबसे पहले मरीज के दूसरे हाथ को स्कैन किया गया। इस स्कैनिंग के बाद, हाथ की डिजिटल डिजाइन तैयार की गई। इसके बाद एचबीटीयू में अत्याधुनिक प्रिंटिंग तकनीक से इसे प्रिंट किया गया। सिंथेटिक पदार्थ का उपयोग करके अंग को तैयार किया गया। यह सामग्री हल्की होने के साथ-साथ टिकाऊ भी है, जिससे मरीजों को इसे लंबे समय तक उपयोग करने में सहूलियत होगी।



अन्य अंगों पर भी काम शुरू
केजीएमयू के ओरल पैथोलॉजी विभाग की अध्यक्ष, डॉ. शालिनी गुप्ता ने बताया कि कृत्रिम हाथ बनाने की इस सफलता के बाद विभाग ने अन्य अंगों, जैसे नाक और कान, तैयार करने की दिशा में भी कदम बढ़ाए हैं। इसके लिए विभाग ने 'हैप्टिक विद जियो मैजिक सॉफ्टवेयर' खरीदा है। यह तकनीक और भी सटीक और उन्नत अंग निर्माण में मदद करेगी।

मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण
इन हू-ब-हू असली जैसे दिखने वाले कृत्रिम अंगों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इन्हें देखकर असली और नकली में फर्क करना मुश्किल है। हादसों में अपने अंग गंवाने वाले मरीजों के लिए यह तकनीक न केवल एक उम्मीद की किरण है, बल्कि उनके जीवन में आत्मविश्वास लौटाने का जरिया भी बनेगी।

कृत्रिम अंगों की गुणवत्ता और उपयोगिता
  • रंग और आकार में मेल : कृत्रिम अंग हू-ब-हू असली जैसे नजर आते हैं।
  • हल्कापन और मजबूती : सिंथेटिक पदार्थ का उपयोग इन्हें हल्का और टिकाऊ बनाता है।
  • व्यक्तिगत डिजाइन : प्रत्येक अंग को मरीज की आवश्यकताओं के अनुसार डिजाइन किया जाता है।
  • तकनीकी पहलुओं में नई ऊंचाई
  • इस परियोजना में एक्स्ट्रा ओरल स्कैनर और अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया है। यह न केवल अंग निर्माण को सटीक बनाता है, बल्कि इसे मरीज की विशिष्ट जरूरतों के अनुकूल भी बनाता है।
आने वाले समय में संभावनाएं
केजीएमयू अब न केवल कृत्रिम हाथ, बल्कि नाक, कान, और अन्य अंग भी बनाने की तैयारी में है। इस पहल से भविष्य में उन मरीजों को भी मदद मिलेगी, जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं और असली जैसे अंगों की आवश्यकता रखते हैं।

मुख्य बिंदु
  • केजीएमयू ने हू-ब-हू असली जैसे कृत्रिम हाथ तैयार किए।
  • तकनीक में एक्स्ट्रा ओरल स्कैनर और उन्नत सॉफ्टवेयर का उपयोग।
  • कानपुर के एचबीटीयू के सहयोग से प्रोजेक्ट को साकार किया गया।
  • नाक-कान जैसे अन्य अंगों पर भी काम शुरू।
  • हादसे में अंग गंवाने वाले मरीजों के लिए यह एक बड़ी राहत।

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