डॉ. शालिनी ने बताया कि इन शिशुओं की सेहत पर डेढ़ साल तक नजर रखी जाएगी। यह शोध जन्म के बाद शिशु की शुरुआती देखभाल के महत्व को रेखांकित करता है। शोध में पाया गया कि समय पर इलाज से गंभीर समस्याओं को रोका जा सकता है।
केजीएमयू शोध : जन्म के बाद शिशु का नहीं रोना दिमागी बीमारी का संकेत, दूसरे अंग भी हो सकते हैं प्रभावित
Dec 24, 2024 10:50
Dec 24, 2024 10:50
192 शिशुओं पर हुआ विस्तृत अध्ययन
डॉ. शालिनी ने 192 ऐसे नवजातों पर शोध किया, जो जन्म के समय नहीं रोए थे। यह शोध 24 घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचे शिशुओं पर केंद्रित था। उनकी ईईजी जांच से पता चला कि 60 प्रतिशत शिशुओं में दिमागी विकार पाए गए, जबकि 40 प्रतिशत शिशु मामूली इलाज के बाद स्वस्थ हो गए। 70 प्रतिशत शिशुओं में दिमागी विकास की समस्याएं और 40 प्रतिशत में झटके (सीजर्स) की दिक्कत पाई गई। इसके अलावा, एक तिहाई शिशुओं में किडनी से संबंधित समस्याएं भी दर्ज की गईं।
शिशुओं की सेहत पर दीर्घकालिक निगरानी की योजना
डॉ. शालिनी ने बताया कि इन शिशुओं की सेहत पर डेढ़ साल तक नजर रखी जाएगी। यह शोध जन्म के बाद शिशु की शुरुआती देखभाल के महत्व को रेखांकित करता है। शोध में पाया गया कि समय पर इलाज से गंभीर समस्याओं को रोका जा सकता है।
नेप्रिलिसिन एंजाइम की पहचान से इलाज की उम्मीद
अल्जाइमर जैसी गंभीर और अब तक लाइलाज मानी जाने वाली बीमारी के इलाज में बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। केजीएमयू के सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च के प्रमुख डॉ. शैलेंद्र सक्सेना ने अल्जाइमर के लिए जिम्मेदार नेप्रिलिसिन एंजाइम की पहचान की है। यह एंजाइम दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने वाले एमिलॉयड बीटा प्रोटीन को हटाने में मदद करता है।
एंजाइम पर आधारित दवाओं का विकास प्रारंभिक चरण में
डॉ. शैलेंद्र ने बताया कि नेप्रिलिसिन एंजाइम को बढ़ावा देने वाली दवाएं अल्जाइमर के इलाज में प्रभावी हो सकती हैं। हालांकि, यह शोध अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन इससे अल्जाइमर और अन्य न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों के इलाज की संभावना मजबूत हुई है।
स्तन कैंसर : समय पर पहचान से बचाव संभव
महिलाओं में स्तन कैंसर के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। मुंबई टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. सुदीप गुप्ता ने बताया कि जागरूकता से इस बीमारी को शुरुआती अवस्था में रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि महिलाएं खुद से स्तन की गांठ की जांच कर सकती हैं और किसी भी असामान्यता के लिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉ. गुप्ता ने कहा कि समय पर की गई मैमोग्राफी और अन्य जांच स्तन कैंसर की शुरुआती पहचान में मददगार साबित हो सकती हैं। इस बीमारी को रोकने और इसके प्रभाव को कम करने में जागरूकता और शुरुआती निदान बेहद अहम हैं।
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