KGMU : चिप्स-कुकीज और फास्टफूड सेहत के दुश्मन, बच्चों में अस्थमा का बढ़ता कारण बना ट्रांस फैटी एसिड

चिप्स-कुकीज और फास्टफूड सेहत के दुश्मन, बच्चों में अस्थमा का बढ़ता कारण बना ट्रांस फैटी एसिड
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Jan 06, 2025 11:07

रिपोर्ट में पाया गया कि जो बच्चे बेहद दुबले थे, उनमें अस्थमा की समस्या ज्यादा देखी गई। 14.8 प्रतिशत बच्चे दुबलेपन की श्रेणी में थे, लेकिन अस्थमा से पीड़ित बच्चों में यह आंकड़ा 25.9 प्रतिशत तक बढ़ गया। वहीं, सामान्य और अधिक वजन वाले बच्चों में अस्थमा के मामले अपेक्षाकृत कम पाए गए।

Jan 06, 2025 11:07

Lucknow News : लखनऊ सहित देश के 10 बड़े शहरों में किए गए अध्ययन ने बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय और देश के अन्य प्रमुख संस्थानों के किए गए इस अध्ययन में पाया गया है कि चिप्स, कुकीज, बिस्किट, केक, पिज्जा और अन्य फास्टफूड बच्चों में अस्थमा जैसी गंभीर समस्या पैदा कर सकते हैं।

2.4 प्रतिशत बच्चों में मिला अस्थमा
अध्ययन के दौरान 2426 बच्चों को शामिल किया गया, जिसमें से 58 बच्चे यानी 2.4 प्रतिशत बच्चों में अस्थमा की शिकायत पाई गई। इनमें 6 से 11 साल के बच्चों में अस्थमा के मामले ज्यादा पाए गए, जबकि 12 से 16 साल के बच्चों में यह समस्या थोड़ी कम थी।

ट्रांस फैटी एसिड बना मुख्य कारण
रिपोर्ट के अनुसार, अस्थमा से पीड़ित 58 बच्चों में से 34 बच्चों का खानपान ट्रांस फैटी एसिड पर आधारित फास्टफूड जैसे चिप्स, कुकीज, बिस्किट और पिज्जा पर निर्भर था। यह स्पष्ट हुआ कि बच्चों के खानपान में ट्रांस फैटी एसिड की अधिकता उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।



शामिल शहर और अध्ययन की प्रक्रिया
अध्ययन में शामिल 10 शहरों में लखनऊ, तिरुवनंतपुरम, चंडीगढ़, डिब्रूगढ़, पटना, जोधपुर, श्रीनगर, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, और मुंबई शामिल थे। अध्ययन में बच्चों और उनके परिवारों के पिछले 24 घंटे के खाने-पीने की आदतों को देखा गया। इससे यह समझने की कोशिश की गई कि खानपान का सीधा असर बच्चों की सेहत पर कैसे पड़ता है।

दुबले बच्चों में अस्थमा के मामले ज्यादा
रिपोर्ट में पाया गया कि जो बच्चे बेहद दुबले थे, उनमें अस्थमा की समस्या ज्यादा देखी गई। 14.8 प्रतिशत बच्चे दुबलेपन की श्रेणी में थे, लेकिन अस्थमा से पीड़ित बच्चों में यह आंकड़ा 25.9 प्रतिशत तक बढ़ गया। वहीं, सामान्य और अधिक वजन वाले बच्चों में अस्थमा के मामले अपेक्षाकृत कम पाए गए।

मोटे बच्चों में अस्थमा की संभावना कम
दिलचस्प बात यह है कि मोटे बच्चों में अस्थमा की समस्या अपेक्षाकृत कम मिली। अस्थमा पीड़ित बच्चों में केवल 12.1 प्रतिशत मोटे बच्चे थे, जबकि सामान्य बच्चों में यह आंकड़ा 15.5 प्रतिशत था। यह दर्शाता है कि दुबले बच्चों की तुलना में मोटे बच्चों पर अस्थमा का असर कम रहा।

रिपोर्ट तैयार करने वाले विशेषज्ञ
इस अध्ययन में देश के कई प्रतिष्ठित विशेषज्ञ शामिल थे, जिनमें शैली अवस्थी, दिवस कुमार, अनुज कुमार पांडेय, गिरधर जी अग्रवाल, ठेक्कुमकारा सुरेंद्रन अनीश, भवनीत भारती और अन्य प्रमुख नाम शामिल हैं। उनकी मेहनत और अनुसंधान से यह रिपोर्ट इंडियन पीडियाट्रिक्स के ताजा अंक में प्रकाशित हुई। बच्चों में अस्थमा की समस्या का बढ़ता स्तर समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय है। इस रिपोर्ट से सामने आया है कि बच्चों के खानपान की आदतों में सुधार और जागरूकता लाने की जरूरत है ताकि उनकी सेहत बेहतर बनी रहे।
 

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