इसके साथ ही केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर के बाहर बने टिनशेड ट्राएज एरिया को हटा दिया गया है। यह एरिया दलालों के लिए एक आसान प्रवेश बिंदु बन गया था। अब इस एरिया को हटाने से दलालों की पैठ कमजोर होने की संभावना है।
KGMU : ट्रॉमा सेंटर के गार्ड-आउटसोर्स कर्मियों के फोन रहेंगे जमा, मरीजों को झांसा देकर निजी अस्पताल पहुंचाने पर सख्ती
Dec 23, 2024 12:59
Dec 23, 2024 12:59
इस वजह से मोबाइल जमा करने का किया गया निर्णय
ट्रॉमा सेंटर के सीएमएस प्रो. प्रेमराज ने बताया कि शिकायतें मिल रहीं थीं कि कुछ गार्ड निजी अस्पतालों के दलालों के संपर्क में थे। इस गार्डों को ड्यूटी से हटा दिया गया है। नए गार्डों को ड्यूटी के दौरान मोबाइल फोन जमा करने का निर्देश दिया गया है। दरअसल केजीएमयू से मरीजों को झांसा देकर निजी अस्पतालों में ले जाने के कई मामले बीते दो महीनों में सामने आए हैं। इसके मद्देनजर केजीएमयू प्रशासन अब सख्ती कर रहा है।
केजीएमयू में नई व्यवस्था : ट्राएज एरिया खत्म
इसके साथ ही केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर के बाहर बने टिनशेड ट्राएज एरिया को हटा दिया गया है। यह एरिया दलालों के लिए एक आसान प्रवेश बिंदु बन गया था। अब इस एरिया को हटाने से दलालों की पैठ कमजोर होने की संभावना है। दरअसल ट्रॉमा सेंटर आने वाले मरीजों को पहले इसी स्थान पर रखा जाता था। बेड होने पर उन्हें संबंधित विभाग भेजा जाता या फिर अन्य अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता। ट्राएज एरिया बाहर होने से दलालों की पैठ आसानी से हो जाती थी। मौका पाकर वे मरीज को झांसा देकर प्राइवेट हॉस्पिटल पहुंचा देते थे। अब इस पर रोक लग सकेगी। मरीजों को निजी अस्पताल पहुंचाने का यह खेल बड़े स्तर पर मिलीभगत की ओर इशारा करता है। सवाल उठता है कि निजी अस्पतालों तक मरीजों की जानकारी कैसे पहुंचती है और तीमारदारों के नंबर दलालों तक कैसे जाते हैं।
मरीजों को निजी अस्पताल ले जाने का खेल जारी
हाल ही में हरदोई निवासी मुन्नी देवी (66) निजी अस्पताल दलाली का शिकार बनीं। सड़क दुर्घटना में घायल मुन्नी देवी को ट्रॉमा सेंटर लाया गया था। लेकिन, खुद को डॉक्टर बताने वाले शख्स ने उन्हें निजी अस्पताल में ले जाने का झांसा दिया। इलाज के नाम पर उन्हें आईआईएम रोड स्थित एक प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया। कुछ दिनों बाद उनकी मृत्यु हो गई। मुन्नी देवी के बेटे शिशुपाल ने आरोप लगाया कि अस्पताल ने आयुष्मान कार्ड के बावजूद इलाज करने से इनकार कर दिया और ढाई लाख रुपये की मांग की। 25,000 रुपये एडवांस जमा कराने के बावजूद इलाज में लापरवाही हुई और उनकी मां की जान चली गई।
पिछले मामलों पर भी उठा सवाल
यह कोई पहली घटना नहीं है। विगत 14 नवंबर को गोलागंज निवासी आलम को बेहतर इलाज के नाम पर निजी अस्पताल ले जाया गया। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इसी तरह, 6 नवंबर को लखीमपुर की पूनम मौर्य को निजी अस्पताल शिफ्ट किया गया, जहां ऑपरेशन के बाद उनकी भी मृत्यु हो गई।
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