उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में इन दिनों बाघ की दहशत चरम पर है। हैदराबाद कोतवाली क्षेत्र के इमलिया गांव में बाघ के लगातार हमलों ने ग्रामीणों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है।
4 पिंजरे, 24 कैमरे, 2 ड्रोन : लखीमपुर में बेकाबू आदमखोर, रोज दिख रहा लेकिन पकड़ में नहीं आ रहा बाघ
Sep 02, 2024 12:08
Sep 02, 2024 12:08
ड्रोन कैमरों से कि जा रही है निगरानी
वन विभाग ने इस आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए कई प्रयास किए हैं। बाघ की गतिविधियों को नियंत्रित करने और उसे पिंजरे में बंद करने के लिए वन विभाग ने इलाके में पिंजरे लगाए हैं। इसके साथ ही, बाघ की निगरानी के लिए ड्रोन कैमरों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि, अब तक इन तमाम कोशिशों के बावजूद बाघ को पकड़ने में सफलता नहीं मिल पाई है। बाघ की तस्वीरें कई बार कैमरों में कैद हुई हैं, लेकिन यह खतरनाक शिकारी हर बार स्थान बदलकर अधिकारियों को चकमा दे देता है। बाघ को पकड़ने के लिए चार पिंजरे लगाए गए हैं, जो उसकी गतिविधियों वाले संभावित स्थानों पर रखे गए हैं। इसके अलावा, 24 हाई-डेफिनिशन कैमरों की भी मदद ली जा रही है, जो लगातार बाघ की निगरानी कर रहे हैं। इन कैमरों का नेटवर्क गांव के कई हिस्सों में फैला हुआ है, ताकि बाघ की हर गतिविधि को तुरंत पकड़ा जा सके।
वन विभाग ने जारी किया अलर्ट
वन विभाग के अधिकारी इस समय पूरी मुस्तैदी से काम कर रहे हैं। गांववासियों को अलर्ट रहने की हिदायत दी गई है और रात के समय में घरों से बाहर न निकलने का आग्रह किया गया है। इसके अलावा, वन विभाग ने गांव में लाउडस्पीकर से अनाउंसमेंट कर गांववासियों को सावधान रहने की अपील की है। बाघ के हमले की संभावनाओं को देखते हुए अधिकारियों ने गांव के आसपास के क्षेत्रों में भी अपनी निगरानी बढ़ा दी है। बाघ की बढ़ती दहशत के बीच ग्रामीण अब खुद ही अपनी सुरक्षा के इंतजाम करने लगे हैं। उन्होंने हाथों में मशालें लेकर रात में चौकीदारी शुरू कर दी है, ताकि बाघ के किसी भी संभावित हमले से बचा जा सके। ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग के अधिकारी इस मामले में पूरी तरह से असफल हो रहे हैं। उनके अनुसार, वन विभाग द्वारा उठाए गए कदम नाकाफी साबित हो रहे हैं और बाघ उनके नियंत्रण से बाहर है।
वन विभाग ने बुलाई विशेष टीम
विभाग की नाकामी के कारण ग्रामीणों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। वे वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं और इस समस्या के जल्द से जल्द समाधान की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बाघ को पकड़ने में जितनी देर होगी, उतना ही उनके लिए खतरा बढ़ता जाएगा। इस विकट स्थिति के चलते गांव में तनाव का माहौल है, और लोग अपने परिवारों की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं। बाघ की पहचान के लिए वन विभाग ने विशेषज्ञों की एक टीम भी बुलाई है, जो बाघ के पैरों के निशान और उसकी गतिविधियों का विश्लेषण कर रही है। इस टीम ने इस बात की पुष्टि की है कि यह वही बाघ है, जो पिछले कुछ समय से इलाके में घूम रही है और जिसने कई बार अपनी तस्वीरें सीसीटीवी कैमरों में दर्ज करवाई हैं। वन विभाग के प्रयासों के बावजूद बाघ को अब तक पिंजरे में बंद नहीं किया जा सका है। वन विभाग के अधिकारी इस समय बाघ को पकड़ने के लिए दिन-रात प्रयासरत हैं, लेकिन अब तक उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बाघ को पकड़ने में उन्हें सफलता मिलेगी, लेकिन इसके लिए थोड़ा समय और धैर्य जरूरी है। उन्होंने गांववासियों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं और वन विभाग के निर्देशों का पालन करें। बाघ की गतिविधियों पर नजर रखने और उसे पकड़ने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं और उम्मीद है कि जल्द ही बाघ को पिंजरे में कैद कर लिया जाएगा। ग्रामीणों का कहना है कि बाघ को पकड़ने में जितनी देर होगी, उतना ही उनके लिए खतरा बढ़ता जाएगा। इस विकट स्थिति के चलते गांव में तनाव का माहौल है, और लोग अपने परिवारों की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं। वन विभाग के अधिकारी इस समय बाघ को पकड़ने के लिए दिन-रात प्रयासरत हैं, लेकिन अब तक उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली है।
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