भुलई भाई का निधन 31 अक्टूबर 2024 को हुआ, जब उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। कोविड काल में, जब प्रधानमंत्री मोदी ने उनका हालचाल लिया था, तब वे चर्चा में आए थे...
111 साल की उम्र में ली आखिरी सांस : जानिए कौन थे BJP के सबसे पुराने कार्यकर्ता 'भुलई भाई'
Nov 01, 2024 16:57
Nov 01, 2024 16:57
एक प्रेरणादायक राजनीतिक सफर
भुलई भाई ने 1974 में जनसंघ के टिकट पर कुशीनगर की नौरंगिया सीट से विधायक बनकर राजनीति में कदम रखा। वे दो बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे और अपने कार्यकाल में उन्होंने शुचिता और ईमानदारी के प्रतीक के रूप में पहचान बनाई। उनके नेतृत्व क्षेत्र में कई विकास कार्य हुए, जिससे उन्होंने जनता के बीच एक मजबूत छवि बनाई। 1980 में भाजपा के गठन के बाद भी उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा जारी रखी, जो उनके महत्त्व को और बढ़ाती है।
दीनदयाल उपाध्याय से प्रेरणा
भुलई भाई का राजनीतिक सफर उस समय शुरू हुआ जब उन्होंने शिक्षाधिकारी की नौकरी छोड़कर जनता की सेवा करने का निर्णय लिया। यह प्रेरणा उन्हें दीनदयाल उपाध्याय से मिली, जिसने न केवल उन्हें बल्कि उनके अनुयायियों को भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उनका यह साहसिक निर्णय भारतीय राजनीति में एक मिसाल बन गया।
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प्रधानमंत्री मोदी का स्नेह
हाल ही में, कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भुलई भाई से फोन पर बात की थी, जिसमें उन्होंने उनकी स्वास्थ्य स्थिति का हालचाल लिया। यह न केवल पार्टी के प्रति भुलई भाई के सम्मान को दर्शाता है, बल्कि उनके प्रति स्नेह का भी प्रतीक है। योगी आदित्यनाथ ने भी उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली, जो दर्शाता है कि भुलई भाई का स्थान भाजपा में कितना महत्वपूर्ण था।
अंतिम यात्रा
भुलई भाई का निधन 31 अक्टूबर 2024 को हुआ, जब उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। कोविड काल में, जब प्रधानमंत्री मोदी ने उनका हालचाल लिया था, तब वे चर्चा में आए थे। 111 वर्ष की आयु में, वे भाजपा के लिए एक प्रेरणा बने रहे। उनके अंतिम समय में भी वे पगार छपरा स्थित अपने घर पर ऑक्सीजन पर थे।
एक श्रद्धांजलि
साल 2022 में, जब योगी आदित्यनाथ ने दूसरी बार उत्तर प्रदेश की सरकार बनाई, तब भुलई भाई लखनऊ में शपथ ग्रहण समारोह में विशेष मेहमान बनकर पहुंचे। उस दिन उन्हें अमित शाह द्वारा मंच से सम्मानित किया गया, जो उनकी राजनीतिक यात्रा की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जाएगा और वे हमेशा भारतीय राजनीति के इतिहास में एक प्रेरणास्रोत बने रहेंगे।
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