100 एकड़ भूमि को जंगल में परिवर्तित किया जाएगा। यह निर्णय एलडीए की 181वीं बोर्ड बैठक में लिया गया, जिसका उद्देश्य शहर के पर्यावरण को बेहतर बनाना है। इस परियोजना में जापानी पारिस्थितिकीविद् अकीरा मियावाकी...
गर्मी से निपटने का खास इंतजाम : लखनऊ विकास प्राधिकरण ने मियावाकी जंगल विकसित करने का किया फैसला, 100 एकड़ में होगा तैयार
Jul 08, 2024 09:59
Jul 08, 2024 09:59
- लखनऊ में 100 एकड़ भूमि को जंगल में परिवर्तित किया जाएगा
- एलडीए की 181वीं बोर्ड बैठक में फैसला लिया गया है
- यह परियोजना स्थानीय समुदाय में एक अधिक टिकाऊ जीवनशैली को प्रोत्साहित करेगी
गोमतीनगर के निवासियों को मिलेगा लाभ
जानकारी के अनुसार, यह भूमि, जो पहले सहारा इंडिया हाउसिंग लिमिटेड को दी गई थी, अब एक नए उद्देश्य को पूरा करेगी। एलडीए के उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी के अनुसार, यह क्षेत्र गोमतीनगर के निवासियों को लाभान्वित करेगा और शहरी गर्मी तथा वायु प्रदूषण से निपटने में मदद करेगा। यह स्थान ग्राम जियामऊ, ग्राम उजरियांव और रेलवे लाइन के मध्य स्थित है।
प्रति वर्ग मीटर तीन पौधे लगाए जाएंगे
इस परियोजना में नीम, आम, बरगद, पीपल, आंवला और पाकड़ जैसी स्थानीय प्रजातियों को शामिल किया जाएगा। प्रति वर्ग मीटर लगभग तीन पौधे लगाए जाएंगे और शुरुआती तीन वर्षों तक नियमित देखभाल की जाएगी। इसके बाद, वन स्वतंत्र रूप से विकसित होने लगेगा। यह न केवल शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार करेगा और शहरी ताप द्वीप प्रभाव को कम करेगा, बल्कि जैव विविधता को भी बढ़ावा देगा।।
क्या है परियोजना का उद्देश्य?
इस परियोजना का उद्देश्य केवल पर्यावरण संरक्षण ही नहीं, बल्कि शहर के निवासियों के लिए एक नया मनोरंजन स्थल भी बनाना है। एलडीए के उपाध्यक्ष ने बताया कि इस जंगल में ट्रैकिंग और पैदल चलने की सुविधाएं भी होंगी। साथ ही, एलडीए वन विभाग के साथ मिलकर भूजल स्तर को बनाए रखने का प्रयास करेगा। यह पहल न केवल पर्यावरण को लाभ पहुंचाएगी, बल्कि स्थानीय समुदाय में एक अधिक टिकाऊ जीवनशैली को भी प्रोत्साहित करेगी।
क्या है मियावाकी जंगल?
मियावाकी जंगल एक विशेष प्रकार का तेजी से बढ़ने वाला, घना वन होता है, जो जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी द्वारा विकसित तकनीक पर आधारित है। इस पद्धति में स्थानीय पेड़ प्रजातियों का चयन किया जाता है और उन्हें बहुत घनी संख्या में रोपा जाता है, जो प्राकृतिक वन की प्रक्रिया को तेज करता है। इस विधि से विकसित जंगल पारंपरिक वनों की तुलना में 10 गुना तेजी से बढ़ते हैं और 30 गुना अधिक घने होते हैं।
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