केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने योगी सरकार को पत्र लिखते हुए ओबीसी की नियुक्तियों को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि ओबीसी अभ्यर्थियों की नियुक्ति को लेकर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए...
केंद्रीय मंत्री के तर्क पर यूपीपीएससी का दो टूक जवाब : साक्षात्कार में ‘नॉट सूटेबल’ लिखने का प्रावधान नहीं, अनुप्रिया पटेल ने यह लगाए थे आरोप
Jun 29, 2024 13:54
Jun 29, 2024 13:54
आयोग ने किया आरोप को खारिज
आयोग ने शनिवार को सभी आरोप खारिज करते हुए बताया कि साक्षात्कार परिषद द्वारा ‘नॉट सूटेबल’ लिखने का प्रावधान ही नहीं है बल्कि ग्रेडिंग दी जाती है। आयोग ने चयन की पूरी प्रकिया को विस्तार से बताया है। आयोग ने कहा कि साक्षात्कार प्रक्रिया कोडिंग पर आधारित है। इसमें अभ्यर्थियों के व्यक्तिगत विवरण जैसे क्रमांक, नाम, रजिस्ट्रेशन संख्या, श्रेणी और आयु संरक्षित रहते हैं और उन्हें सेलोटेप से चिपकाया जाता है। साक्षात्कार परिषद नोट 'नॉट सूटेबल' की जगह ग्रेडिंग प्रदान करती है। परिषद के सदस्यों और प्राविधिक परामर्शदाताओं द्वारा दी गई ग्रेडिंग को औसत के सिद्धांत के आधार पर अंकों में बदला जाता है और उसे मार्कशीट पर अंकित किया जाता है। फिर मार्कशीट को लिफाफे में सील किया जाता है।
आयोग ने समझाई परीक्षा प्रक्रिया
आयोग ने आगे बताया कि न्यूनतम अर्हता अंक के अंतर्गत सामान्य, ओबीसी, और ईडब्लूएस के लिए 40 फीसदी और एससी-एसटी के लिए 35 फीसदी हैं। रिक्त पदों के संदर्भ में, अगर किसी श्रेणी में अभ्यर्थी न्यूनतम अर्हता अंक नहीं प्राप्त करते हैं, तो ऐसी रिक्तियों को अन्य श्रेणी में परिवर्तित करने का अधिकार आयोग को नहीं है। इसके बजाय, शासनादेश में बताई गई प्रक्रिया के अनुसार ऐसी रिक्तियों को फॉरवर्ड किया जाता है।
अनुप्रिया ने सीएम को लिखा पत्र
दरअसल 27 जून को अनुप्रिया ने सीएम योगी को पत्र लिखा था कि साक्षात्कार आधारित परीक्षाओं में आरक्षित पदों के अभ्यर्थियों को ‘नॉट फॉर सूटेबल’ यानी ‘पद के योग्य नहीं’ लिखकर उस पद को अनारक्षित घोषित कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि परीक्षा में यह कई बार अपनाकर अंत में उस पद को अनारक्षित घोषित कर दिया जाता है।
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सीएम से किया अनुरोध
उन्होंने पत्र में लिखा कि आप सहमत होंगे कि अन्य पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति से आने वाले अभ्यर्थी भी इन परीक्षाओं में अपनी योग्यता के आधार पर ही न्यूनतम अर्हता की परीक्षा पास करते हैं और इन साक्षात्कार आधारित परीक्षाओं के लिए अर्ह माने जाते हैं। उन्होंने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया भले ही कई बार में पूरी हो, लेकिन हर हाल में सीटें उन्हीं वर्गों से भरी जाएं जिनके लिए आरक्षित की गई हों न कि योग्य नहीं होने की बात कहकर सीटों को अनारक्षित कर दिया जाए।
अनुप्रिया पटेल को CM ऑफिस से जवाब
सूत्रों के मुताबिक अनुप्रिया को CM ऑफिस से भी जवाब आया है। केंद्रिय मंत्री और सांसद अनुप्रिया पटेल ने सीएम योगी को पत्र लिखा था जिसके जवाब में कहा गया है कि प्रस्ताव का मुख्य बिंदु यह है कि साक्षात्कार-आधारित नियुक्ति प्रक्रिया वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित पदों को केवल उन्हीं वर्गों के अभ्यर्थियों से भरा जाए। यह सुझाव दिया गया है कि यदि आवश्यक हो तो नियुक्ति प्रक्रिया को कई बार दोहराया जाए, लेकिन आरक्षित पदों को अन्य वर्गों के अभ्यर्थियों से न भरा जाए। इस संदर्भ में, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने अपनी वर्तमान प्रक्रियाओं का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया है। आयोग ने बताया कि वे चयन प्रक्रिया में उच्चतम मानकों, गुणवत्ता, निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय करते हैं।
इनमें शामिल हैं :
- कोडिंग-आधारित साक्षात्कार प्रक्रिया, जिसमें अभ्यर्थी का व्यक्तिगत विवरण छिपा दिया जाता है।
- द्विसदस्यीय साक्षात्कार परिषद का गठन।
- प्रथम और द्वितीय सत्र में अलग-अलग साक्षात्कार परिषदों का उपयोग।
- 'Not Suitable' जैसे शब्दों के बजाय ग्रेडिंग सिस्टम का उपयोग।
- विभिन्न श्रेणियों के लिए अलग-अलग न्यूनतम अर्हता अंक, जैसे सामान्य, EWS और OBC के लिए 40% तथा SC/ST के लिए 35%।
आगे कहा गया कि UPPSC ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी श्रेणी में पर्याप्त योग्य अभ्यर्थी नहीं मिलते हैं, तो वे इन रिक्तियों को अन्य श्रेणियों में स्थानांतरित नहीं करते। इसके बजाय, वे सरकारी निर्देशों के अनुसार इन रिक्तियों को अगले चयन चक्र के लिए आगे बढ़ा देते हैं। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) ने भी अपनी प्रक्रियाओं पर प्रकाश डाला है। उन्होंने बताया कि 2017 के बाद से, समूह 'ग' के पदों के लिए साक्षात्कार प्रक्रिया को समाप्त कर दिया गया है। हालांकि, 2017 से पहले के कुछ विज्ञापन, जिनमें साक्षात्कार शामिल थे और जो अभी भी विधिक जटिलताओं के कारण लंबित हैं, उनमें आरक्षित पदों पर अनारक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को चयनित करने का कोई प्रावधान नहीं है।
उच्च शिक्षा विभाग ने अपने अंतर्गत आने वाले राज्य विश्वविद्यालयों और स्वायत्त संस्थानों की नियुक्ति प्रक्रियाओं पर जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि शैक्षणिक पदों पर नियुक्तियां विश्वविद्यालय स्तर पर की जाती हैं। यदि आरक्षित श्रेणी के लिए योग्य अभ्यर्थी नहीं मिलते हैं, तो वे पद अगले भर्ती चक्र के लिए आरक्षित रखे जाते हैं, न कि अन्य श्रेणियों में परिवर्तित किए जाते हैं।
यह रिपोर्ट सरकारी नियुक्तियों में आरक्षण नीति के कार्यान्वयन पर एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करती है। यह दर्शाती है कि विभिन्न सरकारी निकाय आरक्षण नीतियों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन साथ ही चयन प्रक्रिया में गुणवत्ता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने का प्रयास भी कर रहे हैं। यह पत्र मुख्यमंत्री के समक्ष एक महत्वपूर्ण निर्णय लेने का अवसर प्रस्तुत करता है, जो आरक्षण नीति और मेरिट-आधारित चयन के बीच संतुलन स्थापित करने में मदद कर सकता है।
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा यह अवगत कराया गया है कि उनके अधीन राज्य विश्वविद्यालय, स्वायत्तशासी संस्थान होते हैं। राज्य विश्वविद्यालयों में शैक्षिक पदों पर नियुक्तियां स्वयं के स्तर से की जाती हैं। आरक्षित श्रेणी के पदों पर यदि कोई अभ्यर्थी योग्य नहीं पाया जाता है तो आगामी भर्ती वर्ष के लिए आरक्षित वर्ग की सीट परिवर्तित नहीं की जाती है। उल्लेखनीय है कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा समय-समय पर कार्मिक विभाग द्वारा निर्गत आरक्षण से संबंधित शासनादेशों का अक्षरशः अनुपालन किया जाता है।
तीसरी बार बनीं राज्य मंत्री
लोकसभा चुनाव में मिर्जापुर सीट पर जीत हासिल की। मिर्जापुर से तीसरी बार सांसद बनकर अनुप्रिया ने मिथक को तोड़ने का काम किया है। उन्होंने सपा के रमेश बिंद को 37810 के अंतर से हराया। अपना दल सोनेलाल की प्रमुख अनुप्रिया पटेल को तीसरी बार राज्य मंत्री का पद मिला है। इस बार उन्हें उन्हें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री, रसायन और उर्वरक मंत्रालय में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई है।
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