छात्र संगठनों के नेतृत्व में जेआरएफ शोधार्थियों ने गुरुवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में जोरदार प्रदर्शन किया। शोधार्थियों ने बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली की वापसी समेत कई महत्वपूर्ण मांगों को लेकर धरना दिया।
लखनऊ विश्वविद्यालय : जेआरएफ शोधार्थियों ने बायोमेट्रिक अटेंडेंस का किया विरोध, भूख हड़ताल की दी चेतावनी
Sep 12, 2024 18:54
Sep 12, 2024 18:54
यूजीसी ने नहीं दिया स्पष्ट दिशा-निर्देश
इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली की लागू की गई नई व्यवस्था है। शोधार्थियों का कहना है कि यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन) ने इस प्रणाली को लागू करने के लिए कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। इसलिए यह नई व्यवस्था शोधार्थियों के लिए अनुचित है। छात्रों का कहना है कि इस प्रणाली के चलते उन्हें अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए अतिरिक्त समय और ऊर्जा लगानी पड़ रही है, जिससे उनके अकादमिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो गया है।
छात्रों ने मुख्य कुलानुशासक को सौंपा ज्ञापन
जेआरएफ शोधार्थी, एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया), छात्रसभा, आइसा (आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन) और अन्य छात्र संगठनों के कार्यकर्ता विश्वविद्यालय के गेट नंबर एक पर एकत्रित हुए। उन्होंने अपनी मांगों को लेकर धरना दिया और प्रशासनिक भवन की ओर बढ़े। सूचना मिलने पर प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्य मौके पर पहुंचे और छात्रों से बातचीत की। इसके बावजूद, प्रदर्शनकारी अपनी मांगों पर अड़े रहे। इस स्थिति को देखते हुए विश्वविद्यालय के मुख्य कुलानुशासक प्रो. राकेश द्विवेदी छात्रों से मिलने पहुंचे और उन्होंने छात्रों की मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया। प्रदर्शन कर रही छात्राओं ने प्रॉक्टर को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें उनकी प्रमुख मांगें स्पष्ट की गईं।
अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की चेतावनी
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि बायोमेट्रिक प्रणाली के लागू होने से उन्हें अनावश्यक तनाव का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो वे अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की चेतावनी दे रहे हैं। समाजवादी छात्रसभा के तौकील ने स्पष्ट किया कि यदि प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो आंदोलन को अगली चरण पर ले जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। एनएसयूआई के विशाल सिंह ने भी इस प्रणाली को एक दमनकारी कदम बताते हुए कहा कि प्रशासन को बुनियादी मांगों पर लिखित आश्वासन देना चाहिए। आइसा के निखिल कुमार ने इस प्रदर्शन को सिर्फ बायोमेट्रिक उपस्थिति के खिलाफ नहीं बल्कि शैक्षणिक स्वतंत्रता के व्यापक मुद्दे पर भी बताया। उन्होंने कहा कि आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक प्रशासन उनकी मांगों को पूरा नहीं करता।
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