छात्रों को चुनौतियों की पहचान की क्षमता विकसित करना जरूरी : कुलपति आलोक राय बोले- सही प्रश्न पूछने से मिलेगा स्थायी समाधान

कुलपति आलोक राय बोले- सही प्रश्न पूछने से मिलेगा स्थायी समाधान
UPT | लखनऊ विश्वविद्यालय कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय।

Nov 09, 2024 20:27

लविवि वाणिज्य संकाय ने शनिवार को एमबीए फाइनेंस और अकाउंटिंग विभाग के आयोजन में एक व्याख्यान का आयोजन किया।

Nov 09, 2024 20:27

Lucknow News : लखनऊ विश्वविद्यालय के वाणिज्य संकाय ने शनिवार को एमबीए फाइनेंस और अकाउंटिंग विभाग के आयोजन में एक व्याख्यान का आयोजन किया। कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने कहा कि आज के तेजी से बदलते और प्रतिस्पर्धात्मक माहौल में छात्रों और पेशेवरों को उन चुनौतियों की पहचान करने की क्षमता विकसित करनी चाहिए जिनका सामना उन्हें करना पड़ रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सही प्रश्न पूछना बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि समस्या को सटीक रूप से परिभाषित करने से ही हम प्रभावी और स्थायी समाधान पा सकते हैं।

लक्ष्य निर्धारण और गहन शोध से प्राप्त होंगे परिणाम
कुलपति प्रोफेसर राय ने सफलता प्राप्त करने के लिए एक रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि किसी भी शैक्षिक या पेशेवर लक्ष्य की प्राप्ति की यात्रा की शुरुआत समस्या की पहचान, उसे स्पष्ट रूप से परिभाषित करने और फिर व्यवस्थित तथा गहन शोध के माध्यम से परिणाम हासिल करने से होती है। निदेशक प्रोफेसर अवधेश कुमार ने शिक्षा और व्यावहारिक उद्योग अनुभवों के बीच सेतु स्थापित करने के महत्व पर प्रकाश डाला। इस व्याख्यान में वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रोफेसर रचना मुज्जू, प्रोफेसर राम मिलन समेत कई अन्य गण उपस्थित थे।



स्वदेशी का समर्थन कर अर्थव्यवस्था को दी गति  
दर्शनशास्त्र विभाग ने गांधीवाद और अंबेडकरवाद के मध्य मार्ग से राष्ट्र निर्माण पर एक सेमिनार का आयोजन किया। इस व्याख्यान श्रृंखला के दौरान मुख्य वक्ता अनुज शंकर मिश्रा रहे। उन्होंने विस्तार से बताया कि महात्मा गांधी ने समाज में समानता और अहिंसा के सिद्धांतों पर बल दिया, साथ ही अर्थव्यवस्था में स्वदेशी का समर्थन किया।  

विचारधाराओं के मध्य मार्ग से राष्ट्र निर्माण 
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने समानता, सामाजिक न्याय के लिए संवैधानिक सुधारों और एक गतिशील अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया। अनुज शंकर मिश्रा ने यह भी उल्लेख किया कि इन दोनों विचारधाराओं के मध्य मार्ग को अपनाकर राष्ट्र निर्माण के लिए एक समावेशी दृष्टिकोण विकसित किया जा सकता है, जिसमें गांधी के सामाजिक सद्भाव और अंबेडकर के कानूनी सुधारों का संतुलित उपयोग किया जा सके। उन्होंने ने कहा दोनों विचारधाराओं का संतुलित मिश्रण भारत में सामाजिक समरसता, न्याय और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कर सकता है। इस सेमिनार में विभागाध्यक्ष डॉ. रजनी श्रीवास्तव, विभाग के प्राचार्य प्रोफेसर राकेश चंद्रा, डॉ. राजेंद्र वर्मा और डॉ. प्रशांत शुक्ला समेत कई अन्य विद्वान उपस्थित थे।

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