संभल हिंसा को लेकर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे ने कहा कि भाजपा सरकार संविधान और कानून नहीं मानती है। पुलिस महानिदेशक ने संभल हिंसा की निष्पक्ष जांच का भरोसा दिया है।
संभल हिंसा : नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे बोले- संविधान, कानून नहीं मानती भाजपा, घटना के दिन संभल में नहीं थे जियाउर्रहमान
Nov 26, 2024 14:11
Nov 26, 2024 14:11
कानून बदले बिना कार्रवाई की
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट यानी (पूजा का कानून) पारित हुआ था। इसमें विशेष प्रावधान किए गए। इस कानून के तहत 15 अगस्त 1947 से पहले भारत में किसी धार्मिक स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। अगर कोई ऐसा करने का प्रयास करता करेगा तो जुर्माना और तीन साल की जेल हो सकती है। इस कानून में यह भी प्रावधान था कि दूसरे धर्म के कब्जे के सबूत मिलने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। हालांकि अयोध्या के राम मंदिर मामले को इस दायरे से बाहर रखा गया था।
भाजपा सरकार कर रही मनमानी
माता प्रसाद पांडे ने कहा कि यह कानून पहले से ही लागू है। सरकार ने बिना इसको बदले इस तरह की कार्रवाई की। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार अपनी मनमानी करती है। किसी कानून और संविधान को मानती है। अपने राजनीतिक फायदे के लिए किसी भी हद तक जा सकी है। इसी का नतीजा संभल हिंसा है। उन्होंने इस घटना में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क को आरोपी बनाए जाने के सवाल पर कहा कि डीजीपी से बात करने पर पता चला कि जियाउर्रहमान उस दिन संभल में नहीं थे। तो वह मुजरिम कैसे हो गए। पुलिस उनके किसी भड़काऊ भाषण को आधार बना रही है, जो उचित नहीं है।
पुलिसकर्मी निजी हथियार का करते हैं इस्तेमाल
संभल हिंसा में समाजवादी पार्टी के नेताओं की ओर से गोली चलाई जाने के सवाल पर माता प्रसाद पांडे ने कहा कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। हकीकत तो ये है कि पुलिसकर्मी जब गोली चलाते हैं तो सरकारी हथियार का इस्तेमाल कम करते हैं। मैंने अपनी आंखों से देखा है कि कई पुलिसवाले निजी असलाह रखते हैं, वह भी अपराधियों से जब्त किए हुए। सरकारी हथियार का इस्तेमाल इसलिए नहीं करते क्योंकि फंसने का डर रहता है। इसलिए मालखाने में जमा हुए हथियारों का इस्तेमाल किया जाता है।
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