मायावती का यूपी सरकार पर हमला : विरोधियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई-सत्ताधारियों के हर जुर्म की अनदेखी

विरोधियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई-सत्ताधारियों के हर जुर्म की अनदेखी
UPT | Mayawati

Jan 16, 2025 14:32

बसपा सुप्रीमो ने विरोधी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि किसी को भी संदेह नहीं होना चाहिए कि देश में दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़ों और धार्मिक अल्पसंख्यकों में से खासकर मुस्लिम समाज के प्रति इनका जातिवादी व सांप्रदायिक रवैया अभी तक भी नहीं बदला है।

Jan 16, 2025 14:32

Lucknow News : बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने प्रदेश के पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों को पार्टी को आर्थिक रूप से मजबूत करने को कहा है। उन्होंने गुरुवार को बैठक में कहा कि बसपा केवल अपने कार्यकर्ताओं से ही विभिन्न रूपों में आर्थिक मदद लेकर ही अपनी गतिविधियों को चलाती है। मायावती ने प्रदेश में सरकारी तंत्र की जुल्म-ज्यादती से लोगों के त्रस्त होने का भी आरोप लगाया। उन्होंने विरोधी दलों के नेताओं पर पुलिस कार्रवाई पर भी सवाल उठाए और कहा कि सत्तापक्ष के लोगों के लिए हर जुर्म में अनदेखी की जा रही है।

गरीबों को बेजवजह गिरफ्तार कर भेजा जा रहा जेल, सरकार बने संवदेनशील
मायावती ने कहा कि यूपी के जिलों से पार्टी की फीडबैक के अनुसार प्रदेश में कानून-व्यवस्था के नाम पर दमनकारी नीति अपनाकर अधिकतर गरीबों, मजलूमों, बेसहारा व मेहनतकश लोगों को अंधाधुंध गिरफ्तार करके जेल में कैद किया जा रहा है। सरकार को कोर्ट की तरह गंभीर व संवेदनशील होकर संविधान धर्म की जिम्मेदारी जरूर निभाना चाहिए।



सिविल मुकदमों को भी क्रिमनल केस की तरह कार्रवाई 
उन्होंने कहा कि विरोधियों के खिलाफ खासकर पुलिस कार्रवाई से लोगों का यह सवाल स्वाभाविक है कि यूपी में यह कैसा कानून का राज है। सत्ताधारी लोगों के लिए उनके हर जुर्म की अनदेखी क्यों है, क्या इससे कानून-व्यवस्था सुधर पाएगी। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही सिविल मुकदमों को भी क्रिमनल केस की तरह कार्रवाई करना भी क्या उचित है। इसका भी राज्य सरकार को जरूर समुचित संज्ञान लेना चाहिए क्योंकि इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट को भी संज्ञान लेना पड़ा है।

वोट की राजनीति के लिए सरकारी मशीनरी और पुलिस का अनुचित इस्तेमाल
बसपा सुप्रीमों ने कहा कि इसके अलावा, जिलों में प्रशासन व पुलिस का रवैया ज्यादातर मामलों में राजनीतिक, सांपद्रायिक व जातिवादी द्वेष का होने से यह आम धारणा बन रही है कि यह सब भाजपा की नीति के तहत वोट की राजनीति के लिए सरकारी मशीनरी व पुलिस का अनुचित इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में कानून का राज का अभाव लोगों की चिन्ता का विशेष कारण है। पुलिस राज का अब अर्थ सिविल व्यवस्था का दिवालिया हो जाना, जो क्या व्यापक जन एवं देशहित में उचित है।

अमित शाह के आंबेडकर पर दिए बयान को वापस लेने की मांग बरकरार
मायावती ने गृह मंत्री अमित शाह पर संसद में डॉ. भीमराव आंबेडकर का खुला निरादर करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इसके विरुद्ध जिस तरह से पार्टी के लोगों ने बीती 24 दिसंबर को देशभर में अपना रोष व आक्रोश व्यक्त कर धरना-प्रदर्शन किया, उसके लिए सभी का आभार है। मायावती ने यह भी कहा कि पहले कांग्रेस व सपा और अब भाजपा की सरकारों के रवैयों से स्पष्ट है कि बहुजनों में भी खासकर दलित समाज के प्रति इनका नया-नया उभरा प्रेम विशुद्ध छलावा व इनकी चुनावी नाटकबाजी ज्यादा है। अमित शाह से बाबा साहेब के विरोधी बयान को वापस लेकर पश्चाताप करने की बसपा की मांग अभी तक बरकरार है।

दलितों और मुसलमानों की सिर्फ बसपा हितैषी
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि किसी को भी संदेह नहीं होना चाहिए कि देश में दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़ों और धार्मिक अल्पसंख्यकों में से खासकर मुस्लिम समाज के प्रति इन पार्टियों का जातिवादी व सांप्रदायिक रवैया अभी तक भी नहीं बदला है। इन वर्गों का हित इनके मुंह में राम बगल में छुरी की मिसाल वाली विरोधी पार्टियों में नहीं है बल्कि केवल बसपा में ही निहित और सुरक्षित है।

अच्छे दिन के लिए सरकार क्यों नहीं कर रही चिंतन
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि देश में करोड़ों गरीबों, किसानों, महिलाओं, युवाओं के साथ ही दलितों एवं अन्य बहुजन समाज के लोगों के जीवन स्तर में सुधार नहीं होने से इनका जीवन चिंतनीय हालत में है। देश अगर विकास कर रहा है तो इन सबके हालात क्यों बद से बदतर होते जा रहे हैं? इनके अच्छे दिन के लिए केंद्र व यूपी सरकार की सही चिन्ता व चिंतन क्यों नहीं है?

1.22 करोड़ बच्चों के स्कूलों में कम दाखिले पर उठाया सवाल
मायावती ने कहा कि ताजा आंकड़ों के मुताबिक देशभर में साल 2018-19 के मुकाबले वर्ष 2023-24 में अगर 1.22 करोड़ बच्चों का स्कूलों में कम दाखिला हुआ तो इसके लिए असली जिम्मेदार कौन तथा इससे किसका अत्याधिक नुकसान है। यह सोचने वाली बात है। इस प्रकार केवल जानलेवा महंगाई, जबरदस्त गरीबी, बेरोजगारी की मार है। वहीं लोगों को आत्म-सम्मान के साथ जीने के लिए जरूरी शिक्षा, स्वास्थ्य आदि के बुनियादी हक से भी बहुजन लोगों को लगातार वंचित रखने का जनविरोधी प्रयास आखिर क्यों है? 

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