लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा बैठक में आकाश आनंद भी शामिल हुए, बैठक से पहले उन्होंने अपनी बुआ मायावती के पैर छुए। मायावती ने सिर पर हाथकर उन्हें आशीर्वाद दिया।
UP Politics : मायावती ने आकाश आनंद को नंबर दो बनाने के बाद बैठक में किया शामिल, सिर पर हाथ रखकर दिया आशीर्वाद
Jun 23, 2024 14:57
Jun 23, 2024 14:57
- चुनाव में हार को लेकर नेताओं से लिया जा रहा फीडबैक
- यूपी विधानसभा उपचुनाव और मिशन 2024 को लेकर चर्चा
आकाश आनंद पर भरोसा कायम
मायावती ने आकाश आनंद को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित करने के साथ पार्टी का नेशनल कोर्डिनेटर बनाया था। इसके बाद पार्टी में आकाश आनंद की सक्रियता काफी बढ़ गई थी। चुनावी महासमर के दौरान वह लगातार रैलियों को संबोधित कर रहे थे। हालांकि चुनाव के दौरान उनके कुछ बयानों पर सवाल उठे, इसके बाद मायावती ने आकाश आनंद को अपरिपक्व बताते हुए उनसे दोनों जिम्मेदारी वापस ले लीं। अब चुनाव के बाद पहली बड़ी बैठक में आकाश आनंद के शामिल होने को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं, क्योंकि इस समय वह पार्टी में किसी पद पर नहीं हैं। हालांकि जिस तरह से मायावती ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के सामने आकाश आनंद को मुस्कुराकर आशीर्वाद दिया, उससे उन्होंने ये संदेश देने की कोशिश की, कि आकाश पर उनका भरोसा अभी भी कायम है। इसके बाद आकाश आनंद अपने पिता आनंद कुमार, सतीश चंद्र मिश्रा व अन्य के साथ बैठकर बैठक में शामिल हुए।
आकाश आनंद फिलहाल यूपी से दूर
बसपा सुप्रीमो आकाश आनंद को उत्तर प्रदेश में कोई जिम्मेदारी देती हैं या नहीं, इसका फैसला वह स्वयं करेंगी। हालांकि कहा जा रहा है कि फिलहाल इस बारे में वह जल्दबाजी नहीं करेंगी। बसपा सुप्रीमो ने फिलहाल आकाश आनंद को उत्तराखंड विधानसभा उपचुनाव की जिम्मेदारी दी है। इसमें उन्हें स्टार प्रचारक बनाया गया है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तराखंड को भेजे गए बसपा के पत्र में पार्टी के स्टार प्रचारकों की जो सूची जारी की गई है, उसमें कुल 13 नाम हैं, जिनमें पहले नंबर पर मायावती और दूसरे स्थान पर आकाश आनंद का नाम है। पार्टी की ओर से सभी 13 नेताओं को स्टार प्रचारक की श्रेणी में शामिल करने को कहा गया है। इस सूची के बाद आकाश आनंद एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं।
उत्तराखंड में इस जिम्मेदारी को निभाएंगे आकाश
इस तरह आकाश आनंद फिलहाल उत्तराखंड में बसपा प्रत्याशियों के लिए वोट की अपील करते नजर आएंगे। उत्तराखंड में बद्रीनाथ और मैंगलोर विधानसभा सीट पर 10 जुलाई को उपचुनाव के लिए मतदान होगा। वहीं 13 जुलाई को मतगणना के बाद नतीजे घोषित किए जाएंगे। इनमें मंगलौर सीट बसपा विधायक सरवत करीम अंसारी के निधन के कारण रिक्त हुई है। इस बीच जिस तरह से मायावती ने रविवार को राजधानी लखनऊ में हार की समीक्षा बैठक में आकाश आनंद को तरजीह दी, उससे माना जा रहा है कि उनकी राय भी अहम होगी।
मायावती का संगठन को मजबूत करने पर फोकस
बसपा सुप्रीमो अब देश में संगठन को मजबूत करने पर फोकस कर रही हैं। खासतौर पर उत्तर प्रदेश को लेकर पार्टी नए सिरे से रणनीति बनाने पर विचार कर रही है। उत्तराखंड के बाद उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भी पार्टी अपने प्रत्याशी खड़े कर सकती है। माना जा रहा है कि इस बैठक में पार्टी पार्टी पदाधिकारियों के साथ इस पार विचार विमर्श करेंगी। उपचुनाव से दूरी बनाना बसपा के नुकसानदायक साबित हो सकता है। बसपा की गैरमौजूदगी में उसके दलित वोट दूसरे दलों को छिटकने की संभावना है। नगीना लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले चंद्रशेखर आजाद ने अपनी आजाद समाज पार्टी के उम्मीदवार उपचुनाव में उतारे जाने की बात कही है। ऐसे में बसपा कोई रिस्क नहीं लेना चाहेगी।
मिशन 2027 को लेकर नई रणनीति पर जोर
इसके साथ ही यूपी में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिहाज से भी मायावती पार्टी संगठन को धार देना चाहती हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद वह मुसलमानों को काफी सोच विचार के बाद ही टिकट देने की बात कह चुकी हैं। बसपा नेताओं के मुताबिक चुनाव में मुसलमानों ने बसपा के बजाय सपा और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों को वोट दिए, जबकि पार्टी सुप्रीमो मायावती ने हमेशा उन्हे तरजीह दी। अब विधानसभा चुनाव के लिए मायावती एक बार फिर सोशल इंजीनियरिंग की राह पर लौट सकती हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक वह क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों का भी ध्यान रखने को प्राथमिकता देंगी। इसके लिए नए सिरे से रणनीति और पार्टी नेताओं को जिम्मेदारी दिया जाना जरूरी है। इस बैठक के बाद मायावती कई अहम फैसल कर सकती हैं।
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