विधायक अभय सिंह पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज है, जिसकी सुनवाई हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चल रही है। इस प्रकरण में शुक्रवार को डबल बेंच के दोनों जस्टिस का आदेश एक दूसरे से पूरी तरह अलग आया। एक जज ने प्रकरण में अभय सिंह को दोषी मानते हुए तीन वर्ष की सजा सुनाई, तो दूसरे ने विधायक को बरी कर दिया।
विधायक अभय सिंह को तीन साल की सजा और बरी भी : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का विभाजित फैसला, जानें मामला
Dec 20, 2024 17:16
Dec 20, 2024 17:16
मामला चीफ जस्टिस की बेंच को सौंपा जाएगा
विधायक अभय सिंह पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज है, जिसकी सुनवाई हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चल रही है। इस प्रकरण में शुक्रवार को डबल बेंच के दोनों जस्टिस का आदेश एक दूसरे से पूरी तरह अलग आया। एक जज ने प्रकरण में अभय सिंह को दोषी मानते हुए तीन वर्ष की सजा सुनाई, तो दूसरे ने विधायक को बरी कर दिया। इस वजह से इस प्रकरण की बेहद चर्चा हो रही है। सियासी गलियारों में अभय सिंह को सजा और बरी करना चर्चा का विषय बना हुआ है। दोनों जजों के अलग-अलग फैसले के चलते अब यह प्रकरण चीफ जस्टिस की बेंच को भेजा जाएगा। चीफ जस्टिस की बेंच इस मामले पर अंतिम निर्णय करेगी।
साल 2010 का है मामला, सजा कायम रहने पर विधायकी पर संकट
यह प्रकरण 2010 का है, जब अयोध्या के गोसाईगंज क्षेत्र से विधायक अभय सिंह हत्या के प्रयास के एक मामले में नामजद हुए थे। इस मामले में उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे में गंभीर आरोप लगाए गए थे। अब चीफ जस्टिस की बेंच में अगर जस्टिस मसूदी का फैसला कायम रहता है और तीन साल की सजा बरकरार रहती है, तो अभय सिंह की विधायकी समाप्त हो जाएगी। भारतीय संविधान के अनुसार, दो साल या उससे अधिक की सजा पाने वाले जनप्रतिनिधियों की सदस्यता समाप्त हो जाती है। वहीं अगर जस्टिस अभय श्रीवास्तव का फैसले पर ही चीफ जस्टिस की बेंच अपनी मुहर लगाती है तो विधायक को राहत मिल सकती है।
आपराधिक छवि के नेता हैं अभय सिंह
अभय सिंह को माफिया और आपराधिक छवि का नेता माना जाता है। उनके खिलाफ कई गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। विधानसभा चुनाव 2022 में अयोध्या की गोसाईंगंज विधानसभा क्षेत्र की सपा प्रत्याशी के तौर पर अभय सिंह ने कड़े मुकाबले में भाजपा प्रत्याशी आरती तिवारी को 13 हजार से अधिक मतों से शिकस्त दी थी। हालांकि अब वह सपा के बागी विधायक के तौर पर जाने जाते हैं। विधानसभा उपचुनाव के दौरान वह अयोध्या में काफी सक्रिय रहे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अयोध्या दौरे के दौरान अभय सिंह की उनसे मुलाकात भी काफी चर्चा में रही। इसे लेकर सपा ने अभय सिंह पर तंज कसते हुए उन्हें गद्दार करार दिया था। हालांकि मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर तकनीकी कारणों से उपचुनाव नहीं हो सका।
पिता और पत्नी को भाजपा में करा चुके हैं शामिल
अभय सिंह काफी समय से भाजपा के कार्यक्रमों में खुलकर शिरकत कर रहे हैं। उनके पिता भगवान बख्श सिंह और पत्नी सरिता सिंह पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं। अभय सिंह ने राज्यसभा चुनाव में भी भाजपा के पक्ष में मतदान किया था। इसके बाद से ही वह भाजपा के पक्ष में सक्रिय हैं और सपा उनका विरोध कर रही है। अभय सिंह ने बसपा के साथ अपने सियासी सफर की शुरुआत की थी। बाद में वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए और 2022 में दूसरी बार विधायक बने।
सपा विधायक के तौर पर पार्टी के फैसले का किया विरोध
विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना जब सभी विधायकों को अयोध्या में राम मंदिर दर्शन कराने ले गए थे, तब अभय सिंह भी उनके साथ गए थे। हालांकि सपा ने विधायकों के अयोध्या जाने से इनकार किया था। इसके बाद अभय सिंह की सपा से दूरियां बढ़ती चली गईं। केंद्र सरकार ने अभय सिंह की सुरक्षा में इजाफा भी किया है। उन्हें वाई कैटेगरी की सुरक्षा दी गई है।
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