यूपी में खुले 100 से अधिक सर्वोदय विद्यालय : छात्राओं को NEET, JEE की निःशुल्क कोचिंग, स्कूलों की संख्या बढ़ाने की तैयारी

छात्राओं को NEET, JEE की निःशुल्क कोचिंग, स्कूलों की संख्या बढ़ाने की तैयारी
UPT | यूपी में खुले 100 से अधिक सर्वोदय विद्यालय।

Oct 29, 2024 18:21

उत्तर प्रदेश में समाज कल्याण एवं जनजातीय विकास विभाग द्वारा संचालित जय प्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालयों की संख्या 94 से बढ़कर 100 हो गई है।

Oct 29, 2024 18:21

Short Highlights
  • इस वित्तीय वर्ष में 35 हजार से अधिक हुई विद्यार्थियों की संख्या
  • सभी विद्यालयों में 570 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया जारी
Lucknow News : प्रदेश में समाज कल्याण एवं जनजातीय विकास विभाग द्वारा संचालित जय प्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालयों की संख्या 94 से बढ़कर 100 हो गई है। इन विद्यालयों में जरूरतमंद छात्रों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली आवासीय निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ नि:शुल्क छात्रावास, पाठ्य सामग्री और यूनिफॉर्म की सुविधा भी प्रदान की जा रही है। इस कदम से न केवल गरीब वर्ग के छात्रों का भविष्य संवर रहा है बल्कि उनके जीवन में स्थायित्व और सामाजिक समृद्धि का रास्ता भी खुल रहा है।

समाज के सभी वर्गों को समाहित करने की पहल
जय प्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालयों में 60 प्रतिशत स्थान अनुसूचित जाति एवं जनजाति के छात्रों के लिए, 25 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग और 15 प्रतिशत सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए आरक्षित है। इस समावेशी नीति के चलते सभी वर्गों के गरीब परिवारों के बच्चों को समान अवसर मिल पा रहे हैं। छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग विद्यालयों की व्यवस्था की गई है। ताकि उन्हें सुरक्षित और प्रभावशाली माहौल में अपनी पढ़ाई करने का मौका मिले। वर्तमान में 58 जिलों में कुल 100 सर्वोदय विद्यालय संचालित हो रहे हैं। जिसमें 31 बालिका और 69  बालक विद्यालय शामिल हैं। इनमें से 45 विद्यालयों में आवासीय सुविधाओं का विस्तार भी किया जा रहा है।



छात्राओं को NEET, JEE की निःशुल्क कोचिंग
गरीब छात्राओं का डॉक्टर और इंजीनियर बनने का सपना अब सरकार के प्रयास से साकार हो रहा है। प्रदेश के सर्वोदय विद्यालयों में पढ़ने वाली प्रतिभावान छात्राओं को अब नीट (NEET) और जेईई (JEE) की निःशुल्क कोचिंग दी जा रही है। इसके तहत मिर्जापुर जिले के मडिहान में विशेष रूप से एक कोचिंग सेंटर की शुरुआत की गई है, जहां 40 मेधावी छात्राओं को निःशुल्क कोचिंग की सुविधा दी जा रही है।

शिक्षा के साथ सर्वांगीण विकास पर फोकस
सर्वोदय विद्यालयों में छात्रों को केवल शिक्षा ही नहीं बल्कि पाठ्य सामग्री, यूनिफार्म और खेल-कूद की पूरी व्यवस्था भी प्रदेश सरकार द्वारा नि:शुल्क मुहैया कराई जा रही है। इस व्यवस्था का उद्देश्य छात्रों को न केवल शैक्षिक बल्कि शारीरिक और मानसिक रूप से भी सशक्त बनाना है। इन विद्यालयों में राज्य सरकार की सेवा से सेवानिवृत 570 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी की जा रही है। ताकि उच्च गुणवत्ता की शिक्षा छात्रों को प्रदान की जा सके। इन शिक्षकों में जो टीजीटी (प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक) कक्षा 6 से 10 तक पढ़ाते हैं उनके लिए मानदेय 34,125 रुपये और पीजीटी (पोस्ट ग्रेजुएट टीचर) कक्षा 11 से 12 तक पढ़ाते हैं उनके लिए 35,700 रुपये का मानदेय निर्धारित किया गया है।

बढ़ी लाभार्थियों की संख्या
पिछले कुछ वर्षों में सरकार की इस योजना के चलते लाभार्थी छात्रों की संख्या में साल दर साल बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2018-19 में जहां यह संख्या 32,429 थी, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 35 हजार से अधिक हो चुकी है। प्रदेश में सर्वोदय आवासीय विद्यालयों की संख्या अब 100 तक पहुंच गई है, जिसमें हाल ही में छह नए विद्यालय खोले गए हैं। 

            वर्ष          छात्रों की संख्या
  • 2018-19       32,429
  • 2019-20       32,466
  • 2020-21       33,388
  • 2021-22       35,068
  • 2022-23       35,089
  • 2023-24       33,253
  • 2024-25       35000 से अधिक

हर निर्धन बच्चे को मिले शिक्षा का अधिकार
गरीब और वंचित वर्ग के होनहार बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए सर्वोदय विद्यालय एक महत्वपूर्ण माध्यम है। सरकार का उद्देश्य है कि समाज के निर्धन वर्ग के बच्चों को आर्थिक कठिनाइयों के कारण पढ़ाई से वंचित न रहना पड़े। इन आवासीय विद्यालयों के माध्यम से ऐसे छात्रों के लिए एक सशक्त प्लेटफॉर्म तैयार किया गया है, जहां वे नि:शुल्क आवास, भोजन, और अन्य शैक्षणिक संसाधनों के साथ पढ़ाई कर सकते हैं। 

भविष्य में और बढ़ेंगे विद्यालय
सरकार की योजना है कि आने वाले समय में सर्वोदय विद्यालयों की संख्या और भी बढ़ाई जाए। ताकि प्रदेश के हर कोने में वंचित वर्ग के बच्चे अच्छी शिक्षा का लाभ उठा सकें। इस दिशा में राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के हर ज़िले में सर्वोदय विद्यालयों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। ताकि गरीब बच्चों को शिक्षा के लिए दूर न जाना पड़े। इस प्रकार की समावेशी और निःशुल्क शिक्षा व्यवस्था से राज्य में न केवल शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हो रहा है, बल्कि प्रदेश के समग्र विकास में भी यह अहम भूमिका निभा रही है।
 

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