मुस्लिम धर्म गुरुओं ने NCPCR पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत : कहा- हर धर्म के छात्रों के लिए खुले हैं मदरसे

कहा- हर धर्म के छात्रों के लिए खुले हैं मदरसे
UPT | मुस्लिम धर्म गुरुओं ने मदरसों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत

Oct 21, 2024 18:09

प्रदेश के मुख्य सचिव की ओर से 8449 मदरसों को नोटिस जारी किए गए थे। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से मुख्य सचिव को लिखे पत्र को लेकर अपनी आपत्ति जताई थी। बोर्ड के मुताबिक देश के संविधान ने अल्पसंख्यकों को अधिकार दिया है कि वे अपने पसंद के शिक्षण संस्थान स्थापित कर सकते हैं। साथ ही इसका प्रबंधन करने का भी उनका हक है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 ने भी मदरसों और पाठशालाओं को इस अधिनियम से छूट दी है।

Oct 21, 2024 18:09

Lucknow News : सुप्रीम कोर्ट के राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की सिफारिशों पर रोक लगाने के बाद मदरसों को बड़ी राहत मिली है। प्रदेश में मुस्लिम धर्म गुरुओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि इससे मदरसों को बंद करने की साजिश नाकाम हुई है। बोर्ड का प्रतिनिधिमंडल इस संबंध में पूर्व में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात भी कर चुका है। बोर्ड के महासचिव मौलाना फजलुर्रहीम मुजद्ददी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने मदरसों को नोटिस जारी करने पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी।

मदरसों को फंडिंग रहेगी जारी
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शिक्षा के अधिकार कानून (RTE) का पालन नहीं करने पर सरकारी वित्त पोषित और सहायता प्राप्त मदरसों की धनराशि रोकने की सिफारिश की थी। आयोग ने गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में भेजने को भी कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इन सिफारिशों को खारिज कर दिया, जिसका यूपी में मदरसों से जुड़े लोग और इस्लामिक धर्म गुरु स्वागत कर रहे हैं। अब शिक्षा का अधिकार अधिनियम का पालन नहीं करने वाले मदरसों को भी राज्य से मिलने वाली फंडिंग जारी रहेगी।



एनसीपीसीआर की सिफारिशें धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि एनसीपीसीआर की सिफारिशें धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ थीं। शैक्षिक संस्थानों में धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। ये पूरी तरह से गलत है। उन्होंने मदरसे हर धर्म के छात्रों के लिए खुले हैं। किसी को शिक्षा प्राप्त करने से रोका नहीं जा सकता।

मदरसा शिक्षा व्यवस्था आरटीई के दायरे में नहीं
वहीं ऑल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया के जनरल सेक्रेटरी वाहिदुल्ला खान सइदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मदरसों के लिए एक बड़ी जीत करार दिया। उन्होंने कहा कि मदरसा शिक्षा व्यवस्था आरटीई एक्ट यानी शिक्षा के अधिकार कानून के दायरे में नहीं आती। उन्होंने नसीहत दी कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को ऐसे संस्थानों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। उन्होंने आयोग मदरसों से गैर-मुस्लिम बच्चों को निकालने को लेकर आयोग की सिफारिश की भी आलोचना की। यूपी मदरसा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि आयोग ने मदरसों को कभी नजदीक से जानने की कोशिश तक नहीं की। इसलिए मदरसों के प्रति गलत धारणा बना ली है। उन्होंने कहा कि अंत्योदय के तर्ज पर मदरसे कम कर रहे हैं। मदरसों में ऐसे बच्चों को शिक्षा दी जा रही, जिनका पढ़ना मुश्किल था।

सुप्रीम कोर्ट ने मदरसों को बंद करने की साजिश को किया नाकाम 
ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी मौलाना यासीन अब्बास ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं। वास्तव में सुप्रीम कोर्ट ने मदरसों को बंद करने की साजिश को नाकाम किया है। उन्होंने कहा कि मदरसों को शक की निगाहों से देखा जाता है। हालांकि देश की आजादी की लड़ाई में लड़ने वाले कई योद्धाओं ने मदरसों से तालीम हासिल की थी। वहीं उत्तर प्रदेश के पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री अमर रिजवी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की। उन्होंने कहा कि शिक्षा के लिए धर्म की कोई बाध्यता नहीं होनी चाहिए।

8449 मदरसों को जारी किए गए थे नोटिस, सीएम योगी से मुलाकात कर दर्ज कराई आपत्ति 
इससे पहले प्रदेश के मुख्य सचिव की ओर से 8449 मदरसों को नोटिस जारी किए गए थे। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से मुख्य सचिव को लिखे पत्र को लेकर अपनी आपत्ति जताई थी। इस पत्र में गैर स्वीकृत मदरसों का सर्वेक्षण और मैपिंग कराने को लेकर निर्देश दिया गया था। साथ ही कहा गया कि इनमें पढ़ने वाले बच्चों का स्कूलों में दाखिला कराया जाए। इसे लेकर बोर्ड के महासचिव मौलाना फजलुर्रहीम मुजद्ददी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर इस आदेश का वापस लेने के लिए ज्ञापन सौंपा था। 

धार्मिक और आधुनिक शिक्षा दी जाती है मदरसों में
बोर्ड के मुताबिक मदरसे लंबे समय से किसी ट्रस्ट या सोसायटी के तहत स्थापित है। इनमें धार्मिक शिक्षा के साथ साथ आधुनिक शिक्षा भी दी जाती है। ऐसे में इन मदरसों के मदरसा बोर्ड से संबद्ध नहीं होने का हवाला देकर इन्हें गैर मान्यता प्राप्त बताना सही नहीं है। ये देश के संविधान के प्रावधानों 14, 21, 26, 28, 29 और 30 के विपरीत है।

संविधान में अधिकार का​ दिया हवाला
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मुताबिक देश के संविधान ने अल्पसंख्यकों को अधिकार दिया है कि वे अपने पसंद के शिक्षण संस्थान स्थापित कर सकते हैं। साथ ही इसका प्रबंधन करने का भी उनका हक है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 ने भी मदरसों और पाठशालाओं को इस अधिनियम से छूट दी है। मदरसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के साथ लाखों बच्चों को मुफ्त आवास और खाने पीने का इंतजाम करते हैं।

प्रमुख मदरसों को भी जारी किया जा चुका है नोटिस
बोर्ड के मुताबिक जिन मदरसों को नोटिस जारी किया गया, उनमें दारुल उलूम देवबंद, दारुल उलूम नदवतुल उलमा लखनऊ, जामिया सलाफिया बनारस, जामिया अशरफिया मुबारकपुर, जामिअतुल फलाह और मदरसा अल इस्लाह जैसे प्रमुख और अंतरराष्ट्रीय मदरसों को शामिल किया गया है। यह पूरी तरह से गलत है। बोर्ड ने मुताबिक इन मदरसों से पढ़ने वाले छात्र देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में हायर एजुकेशन की पढ़ाई के लिए एडमिशन लेते हैं। इन मदरसों से पढ़ाई पूरी करने वाले छात्र अंतरराष्ट्रीय यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई कर रहे हैं। बोर्ड ने दावा किया कि इन मदरसों से पढ़े छात्र सरकार में कई अहम पदों पर भी रहे हैं। 

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