गंगा नदी का प्रदूषण उत्तर प्रदेश में चिंता का विषय बना हुआ है। सीवेज और दूषित पानी की रोकथाम में हो रही कमी के चलते गंगा का जल अब आचमन या पीने के योग्य नहीं रह गया है।
गंगा में बढ़ते प्रदूषण पर NGT की सख्ती : सीवेज बहाव के कारण आचमन योग्य नहीं रह गया पानी, यूपी सरकार से मांगी विस्तृत रिपोर्ट
Nov 10, 2024 00:22
Nov 10, 2024 00:22
एनजीटी ने यूपी में गंगा में गिर रहे सीवेज पर मांगी विस्तृत रिपोर्ट
एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने 6 नवंबर को अपने आदेश में राज्य के विभिन्न जिलों में गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों में गिर रहे सीवेज, नालों, और सीवेज शोधन संयंत्रों (एसटीपी) की स्थिति की जानकारी मांगी। एनजीटी ने कहा कि प्रदेश के सभी नालों और एसटीपी के आंकड़े प्रस्तुत करने होंगे ताकि यह समझा जा सके कि गंगा में प्रदूषण के स्रोत और उनसे निपटने के उपायों में कहां कमी हो रही है। इस रिपोर्ट के तहत यह भी देखा जाएगा कि प्रयागराज समेत अन्य जिलों में सीवेज शोधन में कितनी क्षमता का अभाव है।
यूपी सरकार की एनजीटी को रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एनजीटी को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार, प्रयागराज जिले में ही सीवेज शोधन में 128 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) का अंतर पाया गया है। इसके अलावा, 25 नाले ऐसे हैं जो बिना शोधित सीवेज गंगा में प्रवाहित कर रहे हैं, जबकि 15 नालों से बिना शोधित सीवेज यमुना नदी में गिरता है। इन नालों के माध्यम से बड़ी मात्रा में दूषित जल गंगा और अन्य नदियों में मिल रहा है, जिससे उनकी गुणवत्ता में गिरावट आई है।
एनजीटी का यूपी के मुख्य सचिव को निर्देश
एनजीटी ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि गंगा में गिर रहे इस सीवेज को रोकने के लिए अल्पकालिक उपायों का भी हलफनामे में उल्लेख किया जाए। पीठ ने स्पष्ट किया कि जब तक एसटीपी पूरी तरह कार्यरत नहीं हो जाते, तब तक गंगा में बिना शोधित जल प्रवाहित न हो, इसके लिए हर संभव प्रयास किए जाने चाहिए। गंगा नदी में प्रदूषण की समस्या पर विचार करते हुए एनजीटी ने पहले भी उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों से अनुपालन रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन गंगा का प्रदूषण नियंत्रण में नहीं आ रहा है। इस दिशा में एनजीटी ने एक बार फिर कड़े निर्देश जारी किए हैं और उम्मीद जताई है कि राज्य सरकार जल्द ही गंगा की स्वच्छता और पवित्रता बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।
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