डॉ. अनुराग कटियार ने बताया कि अगरबत्ती और धूपबत्ती का धुआं बच्चों की श्वसन प्रणाली पर गंभीर असर डाल सकता है। एक अगरबत्ती जलाने से उतना ही धुआं निकलता है जितना 75 सिगरेट से, जबकि धूपबत्ती से यह मात्रा 125 सिगरेट तक पहुंच जाती है।
ओपन किचन से एलर्जी का बढ़ता खतरा : चिकित्सक बोले- त्वचा और श्वसन संबंधी बीमारियों की बन रहे वजह
Oct 18, 2024 19:37
Oct 18, 2024 19:37
300 से ज्यादा चिकित्सकों ने की शिरकत
दिल्ली के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरज गुप्ता ने इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आईएपी) की 45वीं वर्षगांठ पर आयोजित यूपेडिकॉन 2024 में बताया कि ओपन किचन बच्चों में त्वचा और श्वसन संबंधी बीमारियों के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। आयोजन में देश भर से करीब 300 से ज्यादा चिकित्सक शामिल हुए और उन्होंने अहम जानकारी दी। चिकित्सकों के मुताबिक जब खाना पकाया जाता है, तो किचन में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) एक हजार से भी ऊपर चला जाता है, जबकि सामान्य स्थिति में 500 AQI भी गंभीर माना जाता है। इससे उठने वाला धुआं घर में मौजूद बच्चों की सेहत पर बुरा असर डालता है, खासकर उनकी सांस और त्वचा पर।
अगरबत्ती और धूपबत्ती से सावधान
इस दौरान डॉ. अनुराग कटियार ने बताया कि अगरबत्ती और धूपबत्ती का धुआं बच्चों की श्वसन प्रणाली पर गंभीर असर डाल सकता है। एक अगरबत्ती जलाने से उतना ही धुआं निकलता है जितना 75 सिगरेट से, जबकि धूपबत्ती से यह मात्रा 125 सिगरेट तक पहुंच जाती है। ऐसे में बच्चों में बार-बार छींक आना, खांसी होना या सांस लेने में तकलीफ होना एलर्जी का संकेत हो सकता है। समय पर इलाज कराने से इस तरह की एलर्जी से बचा जा सकता है।
फास्ट फूड और कुपोषण: बच्चों की सेहत पर संकट
डॉ. सलमान खान ने बच्चों में बढ़ते कुपोषण के विभिन्न कारणों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गरीब बच्चों में पौष्टिक भोजन की कमी से कुपोषण हो रहा है, जबकि संपन्न परिवारों के बच्चे फास्ट फूड की आदत के कारण कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। फास्ट फूड के अत्यधिक सेवन से बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता घटती है, जिससे वे बार-बार बीमार पड़ते हैं। उन्होंने सभी माता-पिता से अपील की कि बच्चों को समय पर टीके लगवाएं, जिससे उन्हें बीमारियों से बचाया जा सके और कुपोषण की समस्या को भी रोका जा सके।
ग्लोबल वार्मिंग से बच्चों का स्वास्थ्य खतरे में
डॉ. रमेश बैजनिया ने ग्लोबल वार्मिंग और बढ़ते प्रदूषण के कारण बच्चों की सेहत पर मंडरा रहे खतरों के बारे में चेतावनी दी। वाहनों से निकलने वाले धुएं और पेड़ों की कटान ने समस्या को और भी गंभीर बना दिया है। इससे बच्चों में सांस से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ओजोन परत भी पतली हो रही है, और धरती की सतह के नजदीक आ रही ओजोन परत बच्चों के फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रही है। इससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है।
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