दिल की बीमारियों से बचाव : समय पर इलाज ही बचा सकता है जान, हार्ट अटैक के शुरुआती लक्षणों को न करें नजरअंदाज

 समय पर इलाज ही बचा सकता है जान, हार्ट अटैक के शुरुआती लक्षणों को न करें नजरअंदाज
UPT | Heart Attack

Dec 29, 2024 10:41

हार्ट अटैक के मरीजों को 'गोल्डन आवर' में इलाज मिलना बेहद जरूरी है। यह वह समय होता है जब त्वरित हस्तक्षेप से मरीज की जान बचाई जा सकती है। हर अस्पताल में एक अच्छी तरह से सुसज्जित और प्रशिक्षित आपातकालीन विभाग होना चाहिए।

Dec 29, 2024 10:41

Lucknow News : सीने में भारीपन, पसीना आना, घबराहट और कंधों में दर्द जैसे लक्षण हार्ट अटैक का संकेत हो सकते हैं। इन्हें नजरअंदाज करना जानलेवा साबित हो सकता है। राजधानी में आयोजित कार्डियक इमरजेंसी कॉन्क्लेव में विशेषज्ञों ने इसे लेकर चेतावनी दी। सोसाइटी फॉर एक्यूट केयर, ट्रॉमा और इमरजेंसी मेडिसिन (एसएसीटीईएम) के संस्थापक डॉ. लोकेन्द्र गुप्ता का कहना है कि इन लक्षणों को पहचानकर समय पर इलाज करवाना अनगिनत जानें बचा सकता है।

गोल्डन आवर : जान बचाने का सुनहरा समय
डॉ. गुप्ता ने जोर देकर कहा कि हार्ट अटैक के मरीजों को 'गोल्डन आवर' में इलाज मिलना बेहद जरूरी है। यह वह समय होता है जब त्वरित हस्तक्षेप से मरीज की जान बचाई जा सकती है। हर अस्पताल में एक अच्छी तरह से सुसज्जित और प्रशिक्षित आपातकालीन विभाग होना चाहिए। उन्होंने प्रदेश के पीएचसी, सीएचसी, जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेजों में इमरजेंसी सेवाओं को मजबूत बनाने का आह्वान किया। 



युवा डॉक्टरों को मिलनी चाहिए विशेष ट्रेनिंग
डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. एसएम त्रिपाठी ने कहा कि युवा डॉक्टरों को विशेष प्रशिक्षण देकर इमरजेंसी सेवाओं को और बेहतर बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गंभीर मरीजों के इलाज के लिए आधुनिक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना आवश्यक है।

सभी अस्पतालों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता
संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई) इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के डॉ. ओपीडी संजीव के अनुसार सरकारी और निजी अस्पतालों के डॉक्टरों को नियमित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इससे आपातकालीन सेवाओं में सुधार होगा और गंभीर मरीजों को समय पर इलाज मिल सकेगा। कार्यक्रम में देशभर के कई प्रतिष्ठित डॉक्टरों ने भाग लिया। केजीएमयू के डॉ. अमित आनंद और डॉ. राजीव चौधरी, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आदित्य कपूर, डॉ. ऋषि सेठी, और डॉ. प्रेरणा कपूर जैसे विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि हार्ट अटैक जैसी आपात स्थितियों से निपटने के लिए समन्वित प्रयास और प्रशिक्षण आवश्यक हैं।

उपचार में देरी बन सकती है जानलेवा
विशेषज्ञों ने कहा कि प्रदेश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इमरजेंसी सेवाओं का विस्तार होना चाहिए। इससे न केवल हार्ट अटैक बल्कि अन्य आपातकालीन स्थितियों में भी मरीजों को तुरंत मदद मिल सकेगी। डॉ. लोकेन्द्र गुप्ता ने कहा कि समय पर इलाज में देरी से मरीज की जान पर बन आती है। इसलिए हर नागरिक को हार्ट अटैक और उसके लक्षणों के बारे में जागरूक होना चाहिए।

ये कदम हो सकते हैं महत्वपूर्ण
संपूर्ण इमरजेंसी सेवाओं का विकास : हर अस्पताल में आधुनिक उपकरण और प्रशिक्षित स्टाफ हो।
ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता : पीएचसी और सीएचसी स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम : आपातकालीन चिकित्सा विशेषज्ञों के लिए नियमित प्रशिक्षण की व्यवस्था।
संसाधनों की उपलब्धता : गंभीर मरीजों के इलाज के लिए सभी जरूरी संसाधनों को प्राथमिकता दी जाए।

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