यूपी में फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों का बड़ा खुलासा : आबादी से अधिक बने दस्तावेज, आतंकी कनेक्शन की आशंका से जांच तेज

आबादी से अधिक बने दस्तावेज, आतंकी कनेक्शन की आशंका से जांच तेज
UPT | Fake birth certificates case

Jul 24, 2024 14:33

सलोन ब्लॉक के बाद अब छतोह ब्लॉक के नुरुद्दीनपुर गांव में भी इस प्रकार की जालसाजी का खुलासा हुआ है, जहां गांव की वास्तविक आबादी से 7,500 अधिक, कुल 10,151 फर्जी जन्म प्रमाणपत्र...

Jul 24, 2024 14:33

Short Highlights
  • फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों के निर्माण का एक बड़ा मामला सामने आया है
  • गांव की वास्तविक आबादी से 7,500 अधिक प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं
Raebareli News : उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों के निर्माण का एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसने प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों को चौंका दिया है। सलोन ब्लॉक के बाद अब छतोह ब्लॉक के नुरुद्दीनपुर गांव में भी इस प्रकार की जालसाजी का खुलासा हुआ है, जहां गांव की वास्तविक आबादी से 7,500 अधिक, कुल 10,151 फर्जी जन्म प्रमाणपत्र जारी किए गए।

गांव में नहीं रहने वालों का भी प्रमाणपत्र
मामले की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिला विकास अधिकारी (सीडीओ) अर्पित उपाध्याय द्वारा की गई जांच में पता चला है कि जिन लोगों के नाम से ये प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं, वे वास्तव में गांव में रहते ही नहीं हैं। यह खुलासा सलोन ब्लॉक में पहले से ही पकड़े गए 20,000 से अधिक फर्जी प्रमाणपत्रों के मामले के बाद आया है।

आतंकी कनेक्शन ने बढ़ाई चिंता
इस मामले को और भी चिंताजनक बनाता है इसका संभावित आतंकी कनेक्शन। केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के एक संदिग्ध सदस्य का जन्म प्रमाणपत्र सलोन का बना हुआ मिला था। इसी तरह, कर्नाटक में भी एक संदिग्ध व्यक्ति का जन्म प्रमाणपत्र यहीं से जारी किया गया था। इन घटनाओं के कारण दोनों राज्यों की पुलिस जांच के लिए रायबरेली पहुंची।

भाजपा विधायक ने उठाई जांच की मांग
मामले की गंभीरता को देखते हुए, भाजपा विधायक अशोक कुमार कोरी ने जांच की मांग उठाई। जांच शुरू होने पर पता चला कि ग्राम विकास अधिकारी (वीडीओ) विजय सिंह यादव की यूजर आईडी और पासवर्ड का उपयोग करके लगभग 20,000 फर्जी प्रमाणपत्र जारी किए गए थे। इस मामले में पुलिस ने वीडीओ समेत तीन अन्य व्यक्तियों - मो. जीशान, रियाज और सुहेल खान को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

एटीएस ने शुरू की जांच
जांच का दायरा बढ़ाते हुए, आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने भी इस मामले में अपनी जांच शुरू कर दी है। पूरे रैकेट का भंडाफोड़ करने के लिए, आरोपी वीडीओ की तैनाती वाले सभी ग्राम पंचायतों को जांच के दायरे में लिया गया है। इसी क्रम में नुरुद्दीनपुर में आबादी से अधिक जन्म प्रमाणपत्र जारी करने का मामला सामने आया।

सलोन ब्लॉक के पांच गांवों में 19,184 फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों की जांच के बाद, अब छतोह ब्लॉक के आठ गांवों में भी जांच का विस्तार किया गया है। यहां पिछले चार साल में जारी किए गए सभी प्रमाणपत्रों की जांच के आदेश दिए गए हैं। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि आरोपी वीडीओ पूर्व में इन ग्राम पंचायतों में भी तैनात रह चुका है। 

आरोपी वीडीयो के तैनाती वाले गांवों में जांच शुरू
एटीएस की आईजी नीलाब्जा चौधरी और लखनऊ रेंज के आईजी अमरेंद्र सेंगर ने स्वयं सलोन पहुंचकर जांच की। अनुमान है कि आरोपी वीडीओ के तैनाती वाले गांवों में फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों की संख्या 25 से 30 हजार तक हो सकती है। इसी कारण उसकी पिछले चार साल की तैनाती वाले सभी गांवों में जांच के आदेश दिए गए हैं। छतोह ब्लॉक की ग्राम पंचायतों बारा, निनावां, गढ़ा, महानंदपुर, बरावां, बढ़ौना, दोस्तपुर बुढ़वारा, महमदपुर नमकसार में पूर्व में उसकी तैनाती थी। इन गांवों में भी अब तक जारी किए गए जन्म प्रमाणपत्रों की जांच के लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया गया है।

इसके अतिरिक्त, सलोन ब्लॉक के 12 अन्य गांवों में भी जांच शुरू कर दी गई है, जहां वीडीओ विजय यादव पहले तैनात रहे थे। इन गांवों में पाल्हीपुर, दुबहन, पृथ्वीपुर, अवनानीश, माधवपुर निनौया, सांडा सैदन, लहुरेपुर, गोपालपुर उर्फ अनंतपुर, नूरुद्दीनपुर, गढ़ी इस्लामनगर, कालू जलालपुर और सिरसिरा शामिल हैं।

क्या बोले जिला विकास अधिकारी
जिला विकास अधिकारी अरुण कुमार के अनुसार, जांच टीमों को 1 फरवरी 2020 से अब तक बनाए गए सभी जन्म प्रमाणपत्रों की जांच करके रिपोर्ट देनी है। उन्होंने कहा कि जांच पूरी होने के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि आरोपी वीडीओ की यूजर आईडी और पासवर्ड का उपयोग करके कितने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र जारी किए गए थे।

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