दिमाग को सक्रिय करने में मददगार हैं संस्कृत श्लोक : सीबीआर के अध्ययन में खुलासा, मानसिक बीमारियों के इलाज में मिलेगी मदद

सीबीआर के अध्ययन में खुलासा, मानसिक बीमारियों के इलाज में मिलेगी मदद
UPT | प्रतीकात्मक तस्वीर

Jan 14, 2025 11:15

अध्ययन में यह देखा गया कि जब संस्कृत के विद्वान समूह ने श्लोक सुने, तो उनके मस्तिष्क के वे हिस्से सक्रिय हो गए, जो आमतौर पर संगीत सुनने या कला देखने के दौरान सक्रिय होते हैं।

Jan 14, 2025 11:15

Lucknow News : असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय और अहं ब्रह्मास्मि जैसे संस्कृत के श्लोक न केवल आध्यात्मिक लाभ पहुंचाते हैं, बल्कि मानसिक बीमारियों के इलाज में भी कारगर हो सकते हैं। सेंटर ऑफ बायो मेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर), लखनऊ के किए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। अध्ययन में यह पाया गया कि संस्कृत श्लोक सुनने से मस्तिष्क के कई हिस्से सकारात्मक रूप से सक्रिय होते हैं, जो अन्य भाषाओं के शब्दों या ध्वनियों से संभव नहीं हो पाता।

स्प्रिंगर नेचर में प्रकाशित हुआ अध्ययन
सीबीएमआर के इस अध्ययन को प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल 'स्प्रिंगर नेचर' में प्रकाशित किया गया है। संस्थान के निदेशक डॉ. आलोक धवन ने बताया कि इस अध्ययन का उद्देश्य मस्तिष्क और संस्कृत श्लोकों के बीच संबंध को समझना था। 2012 से वैदिक संस्कृत और मस्तिष्क क्रियाशीलता पर संस्थान में शोध हो रहे हैं।



अध्ययन में शामिल किए गए प्रतिभागी
अध्ययन के तहत 44 प्रतिभागियों को दो समूहों में बांटा गया। पहले समूह में संस्कृत के विद्वान शामिल थे, जिन्होंने औसतन 12 साल तक वैदिक संस्कृत की शिक्षा ली थी। दूसरे समूह में हिंदी और अंग्रेजी जानने वाले लोग थे, जिन्हें संस्कृत का कोई ज्ञान नहीं था। अध्ययन में संस्कृत श्लोकों और बनावटी श्लोकों को सुनाकर मस्तिष्क की प्रतिक्रिया को मापा गया।

श्लोकों से मस्तिष्क के सक्रिय हिस्से
अध्ययन में यह देखा गया कि जब संस्कृत के विद्वान समूह ने श्लोक सुने, तो उनके मस्तिष्क के वे हिस्से सक्रिय हो गए, जो आमतौर पर संगीत सुनने या कला देखने के दौरान सक्रिय होते हैं। यह विशेषता हिंदी या अंग्रेजी के जानकार व्यक्तियों में नहीं देखी गई। अल्जाइमर जैसी मानसिक बीमारियों में निष्क्रिय होने वाले टेंपोरल क्षेत्र को भी श्लोकों के प्रभाव से सक्रिय पाया गया।

एमआरआई से मस्तिष्क की जांच
मस्तिष्क की क्रियाशीलता की जांच के लिए मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (MRI) तकनीक का उपयोग किया गया। संस्कृत श्लोकों और बनावटी श्लोकों को बारी-बारी से दोनों समूहों को सुनाया गया। रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि संस्कृत के वास्तविक श्लोक सुनने पर विद्वान समूह के मस्तिष्क में जबरदस्त सक्रियता देखी गई, जो बनावटी श्लोक या अन्य भाषाओं के मामले में नहीं हुई।

मानसिक बीमारियों के इलाज में मिलेगी मदद
संस्कृत श्लोकों के प्रभाव से मस्तिष्क के सक्रिय हिस्सों की पहचान से यह संभावना खुलती है कि इन श्लोकों का उपयोग भविष्य में मानसिक समस्याओं, जैसे कि अल्जाइमर और अवसाद, के उपचार में किया जा सकता है। श्लोक सुनने से मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जो मानसिक संतुलन को बनाए रखने में मदद कर सकता है।

संस्कृत और मानसिक स्वास्थ्य का गहरा नाता
संस्कृत के श्लोकों का प्रभाव केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक भी है। अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि संस्कृत के विद्वान न केवल मानसिक रूप से अधिक स्थिर होते हैं, बल्कि उनका मस्तिष्क भी अन्य भाषाओं के जानकारों की तुलना में अधिक सक्रिय होता है।

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