एसजीपीजीआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि केवल 10.71 प्रतिशत मरीज ही पहली और दूसरी स्टेज में अस्पताल पहुंचे। इनमें से 3.57 प्रतिशत मरीज पहली स्टेज में और 7.14 प्रतिशत दूसरी स्टेज में इलाज के लिए आए।
SGPGI : कान के कैंसर के दूसरी स्टेज के सभी मरीजों की जान बचाने में मिली सफलता, इनकी दर हुई एक तिहाई
Jan 17, 2025 11:25
Jan 17, 2025 11:25
रिपोर्ट के प्रमुख आंकड़े
एसजीपीजीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 2015 से 2024 तक इलाज के लिए पहुंचे मरीजों का डेटा अध्ययन किया गया। पहली और दूसरी स्टेज के सभी मरीज दो वर्षों तक जीवित रहे। लेकिन तीसरी स्टेज के केवल 33.33 प्रतिशत और चौथी स्टेज के 37.5 प्रतिशत मरीज ही दो वर्ष तक जीवित रह सके।
इलाज में देरी : मरीजों के जीवन पर असर
रिपोर्ट से पता चला कि इलाज में देरी के कारण केवल 30 प्रतिशत मरीज ही अगले दो वर्षों तक जीवित रह सके। उनका औसत जीवनकाल 26.5 महीने रहा। रिपोर्ट के मुताबिक, 60 वर्ष से कम आयु के मरीजों में जीवित रहने की संभावना अधिक थी। साथ ही, जिन मरीजों को सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी दी गई, उनकी स्थिति में सुधार हुआ।
पहली और दूसरी स्टेज में लक्षणों की पहचान
एसजीपीजीआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि केवल 10.71 प्रतिशत मरीज ही पहली और दूसरी स्टेज में अस्पताल पहुंचे। इनमें से 3.57 प्रतिशत मरीज पहली स्टेज में और 7.14 प्रतिशत दूसरी स्टेज में इलाज के लिए आए। तीसरी और चौथी स्टेज में मरीजों की संख्या क्रमशः 14.28 प्रतिशत और 72.4 प्रतिशत थी।
टेंपोरल बोन : संरचना और समस्या
टेंपोरल बोन खोपड़ी के दोनों किनारों के नीचे स्थित होती है और यह ईयर कैनाल, मिडिल ईयर और इनर ईयर को सुरक्षित रखती है। टेंपोरल बोन का मुख्य कार्य कान की संरचनाओं को सुरक्षा प्रदान करना है और यह श्रवण तंत्र के सही संचालन में भी मददगार है। इस हड्डी में कैंसर या ट्यूमर का पनपना दुर्लभ लेकिन गंभीर स्थिति है।
टेंपोरल बोन की संरचना और भाग
- स्क्वैमस पार्ट (Squamous Part): यह हड्डी का सपाट और पतला भाग है जो खोपड़ी के ऊपर और साइड में फैला होता है।
- टायम्पेनिक पार्ट (Tympanic Part): यह भाग बाहरी श्रवण नहर (ईयर कैनाल) के चारों ओर होता है।
- मास्टोइड पार्ट (Mastoid Part): इसमें छोटे-छोटे वायुकोशिकीय कक्ष (एयर सेल) होते हैं और यह कान के पीछे स्थित होता है।
- पेट्रस पार्ट (Petrous Part): यह हिस्सा बेहद सख्त होता है और इसमें इनर ईयर की संरचनाएं, जैसे कोक्लिया और वेस्टिबुलर सिस्टम स्थित होते हैं।
- कान पर त्वचा की परतदार पैच
- कान का बहना
- कान में दर्द या सूजन
- कान से खून आना
- कम सुनाई देना
- चक्कर आना या चेहरे का पक्षाघात
टेंपोरल बोन कैंसर का इलाज ट्यूमर के आकार और स्थान पर निर्भर करता है। सर्जरी को प्राथमिक उपचार के रूप में अपनाया जाता है। इसके बाद रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी की जाती है। यह समस्या अक्सर धूप में अधिक समय बिताने वाले लोगों और पुरुषों में ज्यादा देखी जाती है।
डॉक्टरों की टीम का योगदान
रिपोर्ट को एसजीपीजीआई के न्यूरोटोलॉजी और रेडियोथेरेपी विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने तैयार किया। प्रमुख डॉक्टरों में डॉ. नाजनीन हमीद, डॉ. पुनीता लाल, डॉ. रविशंकर मनोगरन, डॉ. अमित केशरी, डॉ. विधिन दास, डॉ. कल्याण चिदंबरम, डॉ. मो. आकिब और डॉ. मोहित सिन्हा का योगदान रहा।
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