अधिकारियों के अनुसार, यदि एक भिखारी की औसत कमाई 1200 रुपये रोजाना मानी जाए, तो लखनऊ के 5312 भिखारी हर दिन 63 लाख रुपये से ज्यादा कमाते हैं। यह एक बड़ा आंकड़ा है, जो दिखाता है कि भीख मांगने का व्यवसाय कितना फायदेमंद हो सकता है।
घर-गाड़ी, स्मार्टफोन-बैंक बैलेंस : लाचारी के पीछे छुपा अमीरी का सच, भिखारियों के सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा
Oct 25, 2024 10:36
Oct 25, 2024 10:36
सरकारी योजनाओं से जोड़े जाएंगे 5312 भिखारी
लखनऊ में डूडा, नगर निगम और समाज कल्याण विभाग के कराए सर्वेक्षण में कुल 5312 भिखारी मिले हैं। सरकार अब इन्हें योजनाओं का लाभ दिलाने और मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विशेष अभियान चला रही है। इन भिखारियों के आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं और पांच टीमें इस कार्य में जुटी हुई हैं। सर्वे के दौरान कई नए और चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
कमाई में महिला भिखारी अव्वल, रोजाना की कमाई तीन हजार तक पहुंची
सर्वे में यह भी पाया गया कि भिखारी महिलाओं की कमाई सबसे अधिक है। विशेषकर गर्भवती महिलाएं और गोद में छोटे बच्चे लेकर भीख मांगने वाली महिलाएं प्रतिदिन तीन हजार रुपये तक कमा रही हैं। वृद्ध और बच्चों की कमाई 900 से लेकर 2000 रुपये तक होती है। इसके अलावा, उन्हें भोजन, कपड़े आदि भी मुफ्त में मिलते हैं।
लखनऊ के भिखारी हर दिन कमाते हैं 63 लाख रुपये
अधिकारियों के अनुसार, यदि एक भिखारी की औसत कमाई 1200 रुपये रोजाना मानी जाए, तो लखनऊ के 5312 भिखारी हर दिन 63 लाख रुपये से ज्यादा कमाते हैं। यह एक बड़ा आंकड़ा है, जो दिखाता है कि भीख मांगने का व्यवसाय कितना फायदेमंद हो सकता है।
स्मार्टफोन और पैनकार्ड वाले भिखारी
डूडा के परियोजना अधिकारी सौरभ त्रिपाठी ने बताया कि सर्वे में कई भिखारियों के पास स्मार्टफोन और पैनकार्ड पाए गए हैं। बाराबंकी के एक भिखारी अमन के पास स्मार्टफोन के अलावा कई अन्य सुविधाएं हैं और उसका पैनकार्ड भी बना हुआ है। इससे पता चलता है कि ये भिखारी केवल मजबूरी में नहीं, बल्कि पेशेवर रूप से भीख मांग रहे हैं।
भिखारी के बैंक खाते में 13 लाख जमा
लखनऊ के चारबाग क्षेत्र में सर्वे के दौरान एक भिखारी ने अधिकारियों को बताया कि उसके बैंक खाते में 13 लाख रुपये जमा हैं। उसने यह भी कहा कि उसे किसी सरकारी सुविधा की जरूरत नहीं है, केवल भीख मांगने की अनुमति चाहिए। इस तरह के तथ्य भिखारियों की असली स्थिति को उजागर करते हैं।
90 प्रतिशत भिखारी पेशेवर, जल्द होगी सख्त कार्रवाई
अधिकारियों ने पाया कि लखनऊ के 90 प्रतिशत से अधिक भिखारी पेशेवर हैं, जो इस काम को मजबूरी से नहीं, बल्कि धंधे के रूप में कर रहे हैं। इसके चलते प्रशासन अब इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की योजना बना रहा है। लखनऊ में कई जिलों से पेशेवर भिखारी आते हैं, जिनमें बाराबंकी, सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर खीरी और रायबरेली शामिल हैं।
गर्भवती होने पर मिलती है ज्यादा भीख
सर्वे के दौरान एक महिला भिखारी मिली, जो पहले से छह बच्चों की मां है और गर्भवती है। उसने बताया कि गर्भवती होने पर उसे ज्यादा भीख मिलती है, जिससे वह महीने में 80-90 हजार रुपये तक कमा लेती है। यह घटना भिखारियों की असलियत को और गहराई से उजागर करती है।
लोगों से अपील: भीख न दें, सरकारी योजनाओं से जोड़ेने में करें मदद
डूडा के परियोजना अधिकारी सौरभ त्रिपाठी और डीपीओ विकास सिंह ने लोगों से अपील की है कि वे भिखारियों को भीख न दें, बल्कि उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ने में मदद करें। ऐसा करने से भिखारियों का गठजोड़ टूटेगा और इस प्रवृत्ति पर लगाम लगाई जा सकेगी।
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