कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भगवा वस्त्रों पर की गई टिप्पणी ने विवाद खड़ा कर दिया है। इस बयान के विरोध में संत समाज से जुड़ी कई प्रमुख हस्तियां सामने आई हैं।
'क्या गुंडों को राजनीति करनी चाहिए?': भगवा रंग पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान पर भड़के जगद्गुरु रामभद्राचार्य
Nov 12, 2024 13:43
Nov 12, 2024 13:43
खड़गे ने चुनावी सभा में मुख्यमंत्री योगी का नाम लिए बिना भगवा वस्त्र पहनने को लेकर टिप्पणी की थी
खड़गे ने हाल ही में एक चुनावी सभा में मुख्यमंत्री योगी का नाम लिए बिना भगवा वस्त्र पहनने को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि कई नेता साधु के वेश में राजनीति में आए हैं और कुछ मुख्यमंत्री बन गए हैं। खड़गे ने यह भी कहा कि भगवा वस्त्र पहनने वाले लोग या तो सफेद वस्त्र पहनें या राजनीति छोड़ें, क्योंकि संन्यास और राजनीति एक साथ नहीं चल सकते। खड़गे का यह बयान भाजपा और संत समाज के लिए अपमानजनक माना जा रहा है, जिसने एक नई बहस को जन्म दे दिया है।
रामभद्राचार्य ने खड़गे के बयान का विरोध कर कहा- भगवाधारी राजनीति में क्यों नहीं हो सकते?
रामभद्राचार्य ने खड़गे के बयान का विरोध करते हुए कहा कि भगवाधारी राजनीति में क्यों नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि राजनीति भगवाधारी का क्षेत्र है और इसे गुंडों या सूट-बूट पहनने वालों का क्षेत्र नहीं होना चाहिए। भगवा वस्त्र हमारी संस्कृति और सनातन धर्म का प्रतीक है, जिसका सम्मान होना चाहिए। रामभद्राचार्य ने कहा कि भगवा ध्वज की महानता का सम्मान किया जाना चाहिए और राजनीति का क्षेत्र भगवाधारी ही संभाल सकते हैं।
खड़गे के बयान पर भाजपा नेताओं की ओर से भी तीखी प्रतिक्रिया आई
खड़गे के बयान पर भाजपा नेताओं की ओर से भी तीखी प्रतिक्रिया आई है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने खड़गे से माफी मांगने की मांग की और कहा कि कांग्रेस पार्टी तय नहीं कर सकती कि साधु-संत क्या पहनें। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस अध्यक्ष ने सनातन संस्कृति का अपमान किया है और यह बयान उसी कड़ी का हिस्सा है जिसमें सनातन को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। पाठक ने कांग्रेस को भ्रष्टाचार में लिप्त बताते हुए कहा कि साधु-संतों के पहनावे पर टिप्पणी करना कांग्रेस का अधिकार नहीं है।
इस विवाद ने राजनीति में धर्म और संस्कृति के मुद्दों को एक बार फिर से गरमा दिया है। भगवा वस्त्रों को लेकर हो रही बहस ने समाज में सनातन प्रतीकों के सम्मान और उनके राजनीतिक प्रयोग पर विचार विमर्श को बढ़ावा दिया है।
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