झांसी मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में आग की घटना ने कई खामियों को उजागर किया। यूनिट में मानकों से अधिक मरीज थे और केवल एक ही निकास द्वार था, जिससे बचाव कार्य में बाधा आई। इस घटना के बाद उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए।
झांसी अग्निकांड से सबक : यूपी में आईसीयू, एनआईसीयू और पीआईसीयू का नए सिरे से होगा सर्वे, टीमें गठित करने की तैयारी
Nov 22, 2024 09:18
Nov 22, 2024 09:18
मानकों के अनुरूप न होने पर होगी यूनिट्स की शिफ्टिंग
जहां इन यूनिट्स में सुधार संभव होगा, वहां सुधार किए जाएंगे। लेकिन जहां सुधार की गुंजाइश नहीं होगी, वहां संबंधित यूनिट को अन्य स्थान पर शिफ्ट करने की योजना बनाई गई है। इसके लिए चिकित्सा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग में अलग-अलग टीमें गठित की जाएंगी।
झांसी हादसे से मिला सबक
झांसी मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में आग की घटना ने कई खामियों को उजागर किया। यूनिट में मानकों से अधिक मरीज थे और केवल एक ही निकास द्वार था, जिससे बचाव कार्य में बाधा आई। इस घटना के बाद उपमुख्यमंत्री ने ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए।
सेफ्टी और फायर ऑडिट पर विशेष ध्यान
सभी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में सेफ्टी ऑडिट और फायर ऑडिट अनिवार्य रूप से कराया जाएगा।
आईसीयू में आपातकालीन निकास द्वार बनाने के विकल्प देखे जाएंगे।
जिन अस्पतालों में यह संभव नहीं होगा, वहां यूनिट को अन्यत्र स्थानांतरित किया जाएगा।
रिपोर्ट चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक और स्वास्थ्य महानिदेशक द्वारा तैयार कराई जाएगी।
अन्य प्रदेशों से सीखने पर जोर
- सर्वे टीम विभिन्न अस्पतालों की वर्तमान स्थिति का आकलन करेगी। इसके लिए आपदा प्रबंधन नियमावली का अध्ययन पर जोर।
- अन्य राज्यों के मेडिकल कॉलेजों में अपनाए गए सुरक्षा उपायों की समीक्षा।
- स्थानीय अस्पताल की भौतिक स्थिति के आधार पर सुझाव देना शामिल होगा।
- जुलाई 2017 में केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में आग लगने के बाद भी कई सिफारिशें की गई थीं।
- अतिरिक्त निकास द्वार और रैंप बनाने की सिफारिशें की गई थीं।
- वाटर टैंक बन गया, लेकिन रैंप का काम अब तक अधूरा है।
- अप्रैल 2020 में दोबारा आग लगने की घटना से साबित हुआ कि सुरक्षा उपायों को तत्काल लागू करना जरूरी है।
इस बार स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि सभी सुधारों को समयबद्ध तरीके से लागू करना अनिवार्य है। अस्पतालों में आग लगने जैसी घटनाओं से बचने के लिए हरसंभव उपाय करना जरूरी है, जिससे भविष्य में इस तरह के हादसे रोके जा सकें।
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