एचएएल में बनाया जाएगा सुखोई का ये हिस्सा : वायुसेना के हेलीकॉप्टर के बाद नई जिम्मेदारी निभाने को तैयार

वायुसेना के हेलीकॉप्टर के बाद नई जिम्मेदारी निभाने को तैयार
UPT | Sukhoi

Nov 08, 2024 14:50

एचएएल लखनऊ में न केवल सुखोई विमान की एक्सेसरीज बल्कि नेवी वर्जन की ब्रम्होस मिसाइल बनाने की भी योजना है। इसके लिए एक नई यूनिट स्थापित की जा रही है, जिससे क्षेत्रीय और सामरिक महत्व में और वृद्धि होगी।

Nov 08, 2024 14:50

Lucknow News : भारतीय वायुसेना के सुखोई (सू-30) फाइटर जेट्स की अपग्रेड की प्रक्रिया के तहत लखनऊ स्थित हिंदुस्तान एरोनॉटिकल लिमिटेड (एचएएल) को महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की तैयारी है। पहले चरण में सुखोई की नाक के हिस्से को एचएएल में बनाया जाएगा। इसके बाद इन विमानों में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित उत्तम रडार लगाया जाएगा। इस योजना को अंतिम रूप देने के लिए रक्षा मंत्रालय विचार-विमर्श कर रहा है।

चौथी से 4.5 जनरेशन में उन्नति
सुखोई विमान भारतीय वायुसेना के बेड़े में चौथी जनरेशन के लड़ाकू विमान के रूप में शामिल हैं। डीआरडीओ द्वारा विकसित रडार के शामिल होने से इनकी क्षमताएं बढ़कर 4.5 जनरेशन की हो जाएंगी। भारतीय वायुसेना के पास 259 सुखोई विमान हैं, जो देश के विभिन्न रणनीतिक स्थानों पर तैनात हैं। पहले चरण में, इनमें से 84 विमानों को अपग्रेड किया जाएगा। 



एचएएल लखनऊ को विशेष जिम्मेदारी
एचएएल लखनऊ पहले से ही वायुसेना के हेलीकॉप्टरों के लिए एक्सेसरीज बनाता रहा है। अब अब सुखोई के विशेष हिस्सों का निर्माण भी एचएएल करेगा। इस परियोजना के सफल होने पर एचएएल का कद और भी बढ़ जाएगा। एचएएल की ओरे इस इस संबंध में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। लेकिन, माना जा रहा है कि इस संबंध में जल्द ही अनुमति मिल जाएगी।

टाइटेनियम से बनी नोज की बनावट
सुखोई की नाक का हिस्सा शंक्वाकार होता है और इसे 'नोज' कहा जाता है, जो टाइटेनियम धातु से बनी होती है। इसे बनाने की तकनीकी विशेषज्ञता के लिए एचएएल लखनऊ को चुना गया है। इस कार्य से न केवल एचएएल की प्रतिष्ठा बढ़ेगी, बल्कि रक्षा क्षेत्र में उसकी भूमिका भी अहम होगी।

बीकेटी स्टेशन को किया जा रहा अपग्रेड
लखनऊ के बख्शी का तालाब (बीकेटी) वायुसेना स्टेशन को भी अपग्रेड किया जा रहा है। वहां नए रनवे, हैंगर, और रडार इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया चल रही है। माना जा रहा है कि बीकेटी स्टेशन पर सुखोई विमानों की स्क्वैड्रन तैनात की जा सकती है। यह तैनाती सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण होगी।

ब्रम्होस मिसाइल का निर्माण भी लखनऊ में
एचएएल लखनऊ में न केवल सुखोई विमान की एक्सेसरीज बल्कि नेवी वर्जन की ब्रम्होस मिसाइल बनाने की भी योजना है। इसके लिए एक नई यूनिट स्थापित की जा रही है, जिससे क्षेत्रीय और सामरिक महत्व में और वृद्धि होगी।
सुखोई (सू-30) फाइटर जेट्स भारतीय वायुसेना की रीढ़ माने जाते हैं। यह चौथी पीढ़ी का मल्टीरोल फाइटर जेट है, जिसे रूस की सुखोई कंपनी ने डिजाइन किया है। 

विमान की डिजाइन और संरचना
सुखोई-30 की डिजाइन दो सीटों वाली होती है, जिससे यह एक मल्टी-रोल विमान के रूप में कार्य कर सकता है। यह ट्विन-इंजन और कैनार्ड्स से युक्त है, जिससे यह उच्च गति और तीव्र गतिशीलता प्रदान करता है। इसका वजन लगभग 18,400 किलोग्राम (खाली) और अधिकतम टेकऑफ वजन 34,500 किलोग्राम तक हो सकता है।

इंजन और प्रदर्शन क्षमता
सुखोई-30 दो शक्तिशाली AL-31FP टर्बोफैन इंजनों से लैस होता है, जो प्रत्येक लगभग 12,500 किलोग्राम का थ्रस्ट प्रदान करते हैं। इसकी अधिकतम गति 2 मैक (लगभग 2,120 किमी प्रति घंटा) है। यह विमान 3,000 किलोमीटर तक की दूरी तक बिना रीफ्यूलिंग के उड़ान भर सकता है, और हवा में रीफ्यूलिंग की सुविधा इसे असीमित दूरी तक उड़ान भरने की क्षमता देती है।

अत्याधुनिक हथियार प्रणाली
सुखोई-30 की हथियार प्रणाली इसे मल्टीरोल फाइटर बनाती है। यह विमान इस प्रकार के हथियार ले जा सकता है:

एयर-टू-एयर मिसाइलें : जैसे R-77 और R-73, जो लंबी और मध्यम दूरी के हवाई लक्ष्यों को भेदने की क्षमता रखती हैं।
एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलें : जैसे KH-59 और KH-31, जो जमीनी और समुद्री लक्ष्यों को निशाना बनाने में सक्षम हैं।
गाइडेड और अनगाइडेड बम : विभिन्न प्रकार के बम और रॉकेट्स, जिनमें लेजर-गाइडेड बम भी शामिल हैं।

अत्याधुनिक रडार और इलेक्ट्रॉनिक्स
सुखोई-30 विमान में सक्षम रडार सिस्टम लगा होता है, जैसे कि BARS-Radar, जो 400 किमी तक की रेंज में 15 हवाई लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है। नए अपग्रेडेड वर्जन में डीआरडीओ द्वारा विकसित 'उत्तम रडार' लगाया जा सकता है, जिससे इसकी रडार क्षमताओं में और भी वृद्धि होगी। इसमें उन्नत एवियोनिक्स, डेटा लिंक सिस्टम, और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) सूट शामिल हैं, जो इसे दुश्मन के रडार से बचने और विरोधी इलेक्ट्रॉनिक हमलों से रक्षा करने में सक्षम बनाते हैं।

मल्टीरोल क्षमताएं
सुखोई-30 विमान विभिन्न प्रकार के मिशनों में कार्य कर सकता है:
एयर सुपीरियोरिटी मिशन : दुश्मन के लड़ाकू विमानों को मार गिराने के लिए।
ग्राउंड अटैक मिशन : जमीनी ठिकानों और दुश्मन की इन्फ्रास्ट्रक्चर को नष्ट करने के लिए।
रिस्कोन्सेंस मिशन : दुश्मन के क्षेत्र में निगरानी और सूचनाएं जुटाने के लिए।
स्ट्राइक मिशन : सामरिक और महत्वपूर्ण लक्ष्यों को भेदने के लिए।

हवा में रीफ्यूलिंग और लंबी दूरी की उड़ान
सुखोई-30 की सबसे बड़ी खासियत है इसकी हवा में ईंधन भरने की क्षमता, जो इसे लंबी दूरी के मिशनों के लिए आदर्श बनाती है। इससे यह विमान अंतर्राष्ट्रीय मिशनों और गश्ती उड़ानों में भी शामिल हो सकता है।

कॉकपिट और पायलट कम्फर्ट
सुखोई-30 में डुअल सीट कॉकपिट होता है, जिसमें एक पायलट और एक वेपन सिस्टम ऑफिसर (WSO) बैठता है। कॉकपिट में ग्लास कॉकपिट तकनीक, मल्टी-फंक्शन डिस्प्ले (MFD), हेड-अप डिस्प्ले (HUD), और अन्य उन्नत उपकरण होते हैं, जो पायलट के लिए ऑपरेशन को आसान बनाते हैं।

चालक और रक्षा प्रणाली
इस विमान में उन्नत फ्लेयर और चाफ डिस्पेंसर लगे होते हैं, जो दुश्मन की मिसाइलों को भटकाने के लिए कार्य करते हैं। इसके अलावा, इसमें डिजिटल फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम और रडार वार्निंग रिसीवर भी शामिल है, जो दुश्मन के हमलों की चेतावनी देता है। सुखोई-30 की इन विशेषताओं के कारण यह भारतीय वायुसेना के सबसे महत्वपूर्ण और शक्तिशाली फाइटर जेट्स में से एक माना जाता है।
 

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