सुप्रीम कोर्ट ने मदरसों को बंद करने की राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सिफारिश पर सोमवार को रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट इस फैसले का यूपी मदरसा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने स्वागत किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने एनसीपीसीआर की सिफारिश पर रोक लगाई : यूपी मदरसा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष बोले- शिक्षा में हिन्दू-मुस्लिम उचित नहीं
Oct 21, 2024 18:49
Oct 21, 2024 18:49
एनसीपीसीआर की मदरसों के प्रति गलत धारणा
पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि एनसीपीसीआर ने पूरे देश में मदरसों के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है। मदरसों पर मौका मिलते ही आरोप लगाता है। दरअसल, आयोग ने मदरसों को कभी नजदीक से जानने की कोशिश तक नहीं की। इसलिए मदरसों के प्रति गलत धारणा बना ली है। उन्होंने कहा कि अंत्योदय के तर्ज पर मदरसे कम कर रहे हैं। मदरसों में ऐसे बच्चों को शिक्षा दी जा रही, जिनका पढ़ना मुश्किल था।
अभिभावक की जहां इच्छा, वहां बच्चों को पढ़ाएंगे
इफ्तिखार अहमद ने कहा कि मुस्मिल समुदाय के बच्चे संस्कृत स्कूल में पढ़ते हैं। हिंदू समाज के बच्चे मदरसों में पढ़ते हैं। मैं खुद काशी हिंदू विश्वविद्यालय से पढ़कर यहां तक पहुंचा हूं। मदरसों के लिए ऐसा नजरियां रखना ठीक नहीं है। अभिभावक अपनी मर्जी से बच्चों को पढ़ाते हैं। उनकी जहां इच्छा होगी वहां अपने बच्चों को पढ़ाएंगे। शिक्षा के केंद्र में हिन्दू-मुसलमान करना उचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की जितनी प्रशंसा की जाए कम है।
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