'Suta सिस्टर्स' की कहानी : IIM लखनऊ से ली एमबीए की डिग्री, फिर लाखों की नौकरी छोड़ बहनों ने शुरू किया करोड़ों का कारोबार

IIM लखनऊ से ली एमबीए की डिग्री, फिर लाखों की नौकरी छोड़ बहनों ने शुरू किया करोड़ों का कारोबार
UPT | Suta Sisters

Oct 21, 2024 18:19

कंपनी का नाम 'सुता' होने के पीछे भी लॉजिक है। इसका नाम उन्होंने अपने नाम के पहले दो अक्षरों 'सु' (सुजाता) और 'ता' (तान्या) को मिलाकर रखा है। बता दें कंपनी शुरू करने से पहले दोनों बहनों ने अलग-अलग जगहों पर जाकर बुनाई को जाना...

Oct 21, 2024 18:19

Lucknow News : एक सक्सेसफुल स्टार्टअप की आपने कई कहानियां सुनी होगी, जिसे हो सकता है, कुछ दोस्तों ने मिलकर शुरू किया होगा, लेकिन हम आपको दो बहनों के सफल स्टार्टअप की कहानी बताने वाले हैं। ये कहानी है 'Suta सिस्टर्स' की मालकिन दो बहने सुजाता बिस्वास और तान्या बिस्वास की। जिन्होंने IIM लखनऊ से एमबीए की डिग्री ली, फिर लाखों की नौकरी छोड़ बहनों ने अपना कारोबार शुरू किया जो आज करोड़ों का मुनाफा दे रहा है। 

कौन हैं सुजाता और तान्या  बिस्‍वास
बता दें सुजाता और तान्या बिस्‍वास पश्चिम बंगाल से ताल्लुक रखती हैं। दोनों बहनों में  सुजाता बड़ी और तान्‍या छोटी हैं। सुजाता ओडिशा यूनिवर्सिटी टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च (पहले कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी-CET) और IIFT दिल्ली की से पढ़ाई कर चुकी हैं। सुता की शुरुआत करने से पहले उन्होंने Essar ग्रुप, जिंदल ग्रुप और IIT बॉम्बे के साथ सात साल तक काम किया है। वहीं छोटी बहन तान्या ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT), राउरकेला से Ceramics में इंजीनियरिंग की डिग्री ली, फिर IIM लखनऊ से एमबीए किया। तानिया आईबीएम, टाटा रिफ्रैक्टरीज और सीड फंड की निवेशित फर्म के साथ काम कर चुकी हैं।


कैसे पड़ा वेंचर का नाम 'सुता'
कंपनी का नाम 'सुता' होने के पीछे भी लॉजिक है। इसका नाम उन्होंने अपने नाम के पहले दो अक्षरों 'सु' (सुजाता) और 'ता' (तान्या) को मिलाकर रखा है। बता दें कंपनी शुरू करने से पहले दोनों बहनों ने अलग-अलग जगहों पर जाकर बुनाई को जाना और समझा। उनका मकसद पारंपरिक परिधानों को आकर्षक रूप युवा महिलाओं के बीच लोकप्रिय बनाना है।

कुछ ऐसे आया सुता का आईडिया
सुजाता और तान्‍या को अपनी मां और दादी को सिल्क की साड़ियां पहने देखकर आइडिया आया था। उन्होंने सोचा कि क्यों न ऐसी साड़ियां बनाई जाए जो घर और ऑफिस दोनों जगह आरामदायक हों। उनकी साड़ियों की कीमत आम तौर पर 2,500 रुपये से लेकर 3,500 रुपये तक होती है।

60 प्रतिशत महिलाएं कर रही काम
दो बहनों द्वारा 6 लाख रुपये से शुरू हुआ साड़ी का कारोबार आज हजारों लोगों को रोजगार देने के साथ ही करोड़ों का मुनाफा भी कमा रहा है। साल 2016 में दोनों बहनों ने सुता की शुरुआत केवल दो कर्मचारियों और एक बुनकर के साथ की थी। आज उनके ग्रुप में 170 कर्मचारी और 16,000 कारीगर शामिल हैं, जिनमें से 60 प्रतिशत महिलाएं हैं। उनका सालाना रेवेन्‍यू 50 करोड़ रुपये से ऊपर निकल गया है।

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