Lucknownews: जांच, न पड़ताल लखनऊ नगर निगम ने 2.41 घरों पर थोपा बढ़ा टैक्स, चालू वर्ष में बकाया भी जोड़ा

जांच, न पड़ताल लखनऊ नगर निगम ने 2.41  घरों पर थोपा बढ़ा टैक्स,  चालू वर्ष में बकाया भी जोड़ा
UPT | नगर निगम की प्रतीकात्मक फोटो

May 05, 2024 13:45

जीआईएस सर्वे में करीब 2.41 लाख मकानों का क्षेत्रफल बढ़ा मानकर इनका वार्षिक मूल्यांकन बढ़ा दिया गया। नगर निगम ने भी सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद सभी भवन स्वामियों को नोटिस जारी कर दिया है। नए सिरे से कर निर्धारण तक कर दिया गया है। जीआईएस सर्वे को सही मान लिया गया न तो किसी का मिलान कराया गया और न ही भवन स्वामियों से आपत्ति ली गई।

May 05, 2024 13:45

Short Highlights
  • जीआईएस सर्वे में मकानों का क्षेत्रफल बढ़ा मानकर बढ़ाया टैक्स
लखनऊ। जीआईएस सर्वे में करीब 2.41 लाख मकानों का क्षेत्रफल बढ़ा मानकर नगर निगम ने इनका वार्षिक मूल्यांकन बढ़ा दिया।  भवन स्वामियों को नोटिस जारी कर दी गयी है। इसमें नए सिरे से कर निर्धारण किया गया है। जीआईएस सर्वे का मिलान भी नहीं कराया गया, भवन स्वामियों से आपत्ति भी नहीं ली गई। स्थिति यह है कि दो साल का बकाया टैक्स चालू वित्तीय वर्ष में जोड़ दिया गया है। इससे भवन स्वामी हैरान और जोनल कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। जिनको सही से जवाब देने वाला भी नहीं है। वहीं, महापौर सुषमा खर्कवाल ने नगर निगम को चिट्ठी लिखकर इस सर्वे पर सवाल उठाते हुए एक सप्ताह मे जवाब मांगा है।
रहीम नगर की श्रीमती सरोज के मकान का वार्षिक मूल्यांकन पहले 9000 रु था जो कि जीआई सर्वे में बढ़ाकर 12312 रु कर दिया गया। इसकी जानकारी सरोज को नहीं है। उनके पुत्र योगेश मोहन ने बताया जब 15 प्रतिशत की छूट के लिए जब टैक्स जमा करने पहुंचे तो बकाया बता दिया गया। इससे वह चौंक गए। पिछले वित्तीय वर्ष में जीआईएस सर्वे पर बड़ी संख्या में आपत्तियां आई थीं। तय हुआ था कि 2.41 लाख भवनों का शत प्रतिशत मिलान कराया जाएगा। इसके बाद नगर निगम में कर निर्धारण संशोधित कर टैक्स वसूली के लिए बिल भेजा जाएगा। विशेष सचिव नगर विकास विभाग अमित कुमार सिंह की ओर से गत महीने जीआईएस आधारित सर्वेक्षण की कार्य प्रगति की समीक्षा बैठक में इस सम्बंध में निर्देश दिए थे। मगर इसका अनुपालन नहीं किया गया। नगर निगम ने शहर में भवनों का जियोग्राफिकल इंफारमेशन सिस्टम (जीआईएस) सर्वे कराया है। सर्वे से पहले नगर निगम के अभिलेखों में 5.49 लाख भवन, 4.53 लाख पेयजल के कनेक्शन तथा 8.21 लाख बिजली के कनेक्शन थे। इन आंकड़ों का नेशनल रिमोट सेंसिंग से मैपिंग कराई गई तो नगर निगम सीमा में करीब भवनों की संख्या 706953 मिली। इनमें करीब 6.28 लाख भवनों का भौतिक सत्यापन कराया गया। सत्यापन के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया को अपनाया गया। इसमें सर्वेक्षण के बाद जीआईएस संस्था के बाद नगर निगम के राजस्व निरीक्षक, कर निरीक्षक, कर निर्धारण अधिकारी, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी व जोनल अधिकारी की भूमिका रही। इस प्रक्रिया के बाद इन भवनों का संयुक्त सत्यापन भी किया जाना था जो कि नहीं हो सका है। सर्वे में मिले 6.39 लाख भवनों में से 3.80 लाख भवनों का ही नगर निगम के अभिलेखों से मिलान किया गया है। 2.41 लाख भवनों का वार्षिक मूल्यांकन बढ़ा दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, इन भवनों का वार्षिक मूल्य 25 फीसदी से ज्यादा बढ़ाया गया है। वार्षिक मूल्य बढ़ने से हाउस टैक्स भी बढ़ गया और वर्ष 2022 से एरियर भी लगा दिया गया है। इसकी जानकारी भवन स्वामी को नहीं है। अब जब वह इस साल का टैक्स जमा करने काउंटर पहुंच रहा तो बकाया देखकर हैरान है। बता दें कि समीक्षा के बाद विशेष सचिव ने जोनल अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि वार्डवार राजस्व निरीक्षकों के माध्यम से इन भवनों का सत्यापन कराया जाए। इसके बाद इन भवनों का नए सिरे से कर निर्धारण कर अंतिम रूप से बिल भेजा जाए। मगर नगर निगम प्रशासन ने वसूली का लक्ष्य हासिल करने के लिए बिना सत्यापन व आपत्ति मांगे ही बिल भेज दिए। निर्देश थे कि जीआईएस अक्षांश व देशांतर के आधार पर स्थलीय सत्यापन किया जाए। जीआईएस संस्था की ओर से गलत कर निर्धारण करने पर तत्काल उसका निराकरण किया जाए। प्रतिदिन कम से कम 10 भवनों का सत्यापन करने के निर्देश दिए गए थे। यह भी कहा गया है कि मौके पर भवन के न मिलने पर राजस्व निरीक्षकों से शपथ पत्र लिया जाए।

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