राज्य टीबी अधिकारी डॉ. शैलेंद्र भटनागर ने बताया कि प्रदेश में हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस और एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) जैसे विशेष अभियान चलाए गए। इन अभियानों के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा संभावित मरीजों को चिन्ह्ति करने में सफलता मिली।
यूपी टीबी नोटिफिकेशन में देश में अव्वल : 6.73 लाख मरीजों की पहचान, प्राइवेट डॉक्टरों की मदद से 40 फीसदी केस रजिस्टर्ड
Jan 06, 2025 12:33
Jan 06, 2025 12:33
निजी डॉक्टरों की महत्वपूर्ण भूमिका
टीबी नोटिफिकेशन में निजी डॉक्टरों की भूमिका बेहद अहम रही। प्रदेश में चिन्ह्ति 6.73 लाख मरीजों में से लगभग 40 प्रतिशत, यानी ढाई लाख से अधिक मरीजों की पहचान निजी डॉक्टरों के माध्यम से हुई। यह सरकारी और निजी दोनों क्षेत्र के चिकित्सकों की साझेदारी का नतीजा है।
दूसरे और तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र और बिहार
टीबी नोटिफिकेशन में यूपी के बाद दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र रहा, जहां सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे स्थान पर बिहार रहा, जहां 2 लाख मरीजों की पहचान हुई। इसके बाद मध्य प्रदेश में 1.78 लाख और राजस्थान में 1.70 लाख मरीज चिन्ह्ति हुए।
योजनाओं का असर : सक्रिय केस खोज अभियान
राज्य टीबी अधिकारी डॉ. शैलेंद्र भटनागर ने बताया कि प्रदेश में हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस और एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) जैसे विशेष अभियान चलाए गए। इन अभियानों के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा संभावित मरीजों को चिन्ह्ति करने में सफलता मिली। इस समय 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें उच्च जोखिम और संभावित टीबी मरीजों की खोज पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
बिहार बना मिसाल : निजी डॉक्टरों का योगदान
बिहार ने निजी डॉक्टरों की भागीदारी के मामले में एक मिसाल कायम की है। वहां सरकारी डॉक्टरों ने 80,797 मरीज चिन्ह्ति किए, जबकि निजी डॉक्टरों ने 1,20,648 मरीजों का पंजीकरण कराया। यह दर्शाता है कि टीबी उन्मूलन में निजी डॉक्टरों की भागीदारी कितनी जरूरी है।
यूपी के इन जिलों ने किया बेहतर प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश में आगरा, मथुरा, झांसी, गोरखपुर और कानपुर जैसे जिलों ने निजी डॉक्टरों की भागीदारी में शानदार प्रदर्शन किया। वहीं, लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली और गाजियाबाद में सरकारी और निजी डॉक्टरों की भागीदारी लगभग बराबर रही।
कमजोर जिलों को सुधार की जरूरत
श्रावस्ती, महोबा, सोनभद्र, चित्रकूट और कन्नौज जैसे जिलों में निजी डॉक्टरों की भागीदारी बेहद कम रही। श्रावस्ती में मात्र 44 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए, जबकि महोबा में 255, सोनभद्र में 374 और चित्रकूट में 376 नोटिफिकेशन दर्ज हुए। इन जिलों में टीबी के खिलाफ लड़ाई को और सशक्त बनाने के लिए निजी डॉक्टरों की सक्रियता बढ़ाने की जरूरत है।
टीबी उन्मूलन की दिशा में आगे बढ़ता प्रदेश
विशेषज्ञों का मानना है कि टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए अधिक से अधिक मरीजों की पहचान और उनका इलाज जरूरी है। उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन यह दर्शाता है कि सही रणनीति और निजी-सरकारी साझेदारी से बड़ी बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है।
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