मौलाना सैय्यद साएम मेहदी नकवी ने कहा कि शिया कम्युनिटी में तीन तलाक का कोई वजूद ही नहीं है। हमारे यहां प्रॉपर तरीके से तलाक होता है। लेकिन इस तरह के मामले सामने आने के बाद हम हुकूमत, पुलिस को इसकी सच्चाई बताने के लिए मजबूर हो गए हैं।
शिया कम्युनिटी में तीन तलाक मान्य नहीं, चेयरमैन का एफआईआर पर विरोध, बोले- मजहबी मामले में नहीं हो हस्तक्षेप
Aug 05, 2024 18:22
Aug 05, 2024 18:22
एफआईआर का कोई आधार नहीं
मौलाना सैय्यद साएम मेहदी नकवी ने सोमवार को प्रेस क्लब में मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि तीन तलाक के कानून के तहत शिया युवाओं पर केस दर्ज किए जा रहे हैं। शिया कम्युनिटी के बच्चों को बरगलाकर इस तरह की कोशिश की जा रही है। इन बेटियों का कहना है कि इनके शौहर ने तीन तलाक कहकर इनसे रिश्ता खत्म कर लिया। इसके बाद एफआईआर दर्ज कर ली जाती है। उन्होंने कहा कि जबकि शिया कम्युनिटी में इसका कोई मतलब नहीं है।
शिया समुदाय में तलाक की लंबी प्रक्रिया
मौलाना सैय्यद साएम मेहदी नकवी ने कहा कि शिया कम्युनिटी में तीन तलाक का कोई वजूद ही नहीं है। हमारे यहां प्रॉपर तरीके से तलाक होता है। लेकिन इस तरह के मामले सामने आने के बाद हम हुकूमत को, सरकार को, पुलिस को इसकी सच्चाई बताने के लिए मजबूर हो गए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे वहां तीन तलाक कह देने भर से तलाक की मान्यता नहीं है। इसलिए ऐसी शिकायत आने पर शिया समुदाय के किसी भी लड़के को परेशान नहीं किया जाए, उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की जाए।
लंबी प्रक्रिया में कई बार निकलता है हल
उन्होंने कहा कि शिया समुदाय में तलाक का बाकायदा एक प्रोसीजर है। इसमें जो तलाक देना चाहता है वह सबसे पहले मौलवी के पास जाता है, उनसे बात करता है। इसके बाद दोनों पक्षों के अभिभावकों को बुलाया जाता है, उनसे बातचीत की जाती है। समझाने के बाद भी जब हल नहीं निकलता है, कामयाबी नहीं मिलती है, तब आगे की प्रक्रिया की जाती है। इसके तहत हमारे वहां तीन मौलाना आते हैं। इनमें एक मौलाना सीगा पढ़ता है और दो मौलाना गवाह के तौर पर मौजूद होते हैं। इस तरह तलाक की लंबी प्रक्रिया पूरी की जाती है। यह कानून मजहब-ए-इस्लाम में इसलिये है कि ताकि लोग अपने फायदे के लिये मजहब का गलत इस्तेमाल नहीं कर सके।
जब तीन तलाक मान्य नहीं तो एफआइआर दर्ज करना गलत
मौलाना सैय्यद साएम मेहदी नकवी ने कहा कि इस तरह इतनी लंबे प्रोसेस के दौरान बहुत से मामल सॉल्व हो जाते हैं और बहुत से तलाक हो जाते हैं। इसलिए इतना लंबा प्रोसीजर जो शिया कम्युनिटी में है, उसके आधार पर ही तलाक होता है। सिर्फ तीन तलाक कह देने से इसका कोई मतलब नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि तीन तलाक के मामले में हमारी सुन्नी समुदाय से तुलना नहीं करें, क्योंकि हमारे उनके डिफरेंस हैं। उनके यहां तीन तलाक कह देने से तलाक हो जाता है। हमारे वहां ऐसी कोई मान्यता नहीं है।
रद्द किए जाएं मामले
उन्होंने कहा कि अगर इस तरह के मामलों को लेकर कोई महिला पुलिस से शिकायत करती है, तो पुलिस को समझना होगा कि वास्तव में तलाक नहीं हुआ है और ऐसे में इस कानून के तहत एफआईआर दर्ज करने का कोई मतलब नहीं है। चूंकि आमतौर पर लोग मजहब की पूरी जानकारी नहीं रखते हैं। लिहाजा कानून का गलत इस्तेमाल करते हैं और गलत बयानी से काम करते हैं। जब तलाक की नहीं हुआ तो कार्रवाई करना भी पूरी तरह से गलत है। ऐसी एफआईआर रद्द होनी चाहिए।
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