राजीव त्यागी पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 22.20 करोड़ रुपये का लोन लिया। ईडी ने बताया कि त्यागी की कंपनी ने बैंक को कई संपत्तियां बंधक रखकर लोन हासिल किया था। जांच में सामने आया कि ये संपत्तियां पहले से ही अन्य बैंकों के पास बंधक थीं।
यूनियन बैंक घोटाला : बिल्डर राजीव त्यागी को सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने 24 अक्टूबर तक ईडी की हिरासत में भेजा
Oct 17, 2024 19:41
Oct 17, 2024 19:41
बैंक घोटाले का पर्दाफाश
राजीव त्यागी पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 22.20 करोड़ रुपये का लोन लिया। ईडी ने बताया कि त्यागी की कंपनी ने बैंक को कई संपत्तियां बंधक रखकर लोन हासिल किया था। जांच में सामने आया कि ये संपत्तियां पहले से ही अन्य बैंकों के पास बंधक थीं। लेकिन, त्यागी ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर इन्हें यूनियन बैंक में फिर से बंधक रख दिया।
ईडी ने संपत्तियां की जब्त
ईडी ने इससे पहले 23 सितंबर को त्यागी और उनके परिवार की 14.89 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की थीं। ये संपत्तियां राजीव त्यागी, उनके बेटे अमर्त्य राज त्यागी और कनिष्क राज त्यागी के अलावा मेसर्स एसकेटी गारमेंट प्राइवेट लिमिटेड और एसएस इंटरप्राइजेस के नाम पर खरीदी गई थीं। इनमें फ्लैट, दुकान, आवासीय और औद्योगिक भूखंड शामिल हैं, जिनकी वर्तमान बाजार कीमत कई गुना अधिक बताई जा रही है।
कंपनी के सरकारी प्रोजेक्ट्स में काम
साईं कंस्ट्रक्शन एंड बिल्डर्स ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण, और उत्तराखंड पावर कारपोरेशन जैसे सरकारी विभागों में कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया है। कंपनी ने इन प्रोजेक्ट्स के लिए यूनियन बैंक से करोड़ों रुपये का लोन लिया था। लोन प्राप्त करने के लिए त्यागी ने विभिन्न संपत्तियों को बंधक रखा, लेकिन जांच में सामने आया कि कुछ संपत्तियां पहले से ही दूसरे बैंकों के पास थीं।
मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच जारी
ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत इस केस की जांच शुरू की है। सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच ने 2022 में राजीव त्यागी और उनकी सहयोगी कंपनियों के खिलाफ यूनियन बैंक से धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। इसके बाद ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के पहलुओं की जांच अपने हाथ में ली और अब राजीव त्यागी से गहराई से पूछताछ की जा रही है।
फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल का मामला
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि त्यागी ने जिन संपत्तियों को बंधक रखा था, वे पहले से अन्य बैंकों के पास थीं। लेकिन उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिए यूनियन बैंक में भी उन्हीं संपत्तियों को बंधक रखकर लोन लिया। इसके चलते बैंक को 22 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। ईडी का कहना है कि आरोपों की पुष्टि करने के लिए आवश्यक सबूत जुटाए जा रहे हैं और इस मामले में अन्य संदिग्धों की भी जांच हो रही है।
आगे की कानूनी कार्रवाई
प्रवर्तन निदेशालय ने राजीव त्यागी को गिरफ्तार करने के बाद 24 अक्टूबर तक हिरासत में रखने की अनुमति प्राप्त की है। ईडी इस अवधि के दौरान उनसे पूछताछ करेगी ताकि इस घोटाले के सभी पहलुओं को उजागर किया जा सके। ईडी के अधिकारियों के अनुसार, यह एक बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकता है, जिसमें अन्य बैंकों के साथ भी इसी प्रकार के फर्जीवाड़े की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
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