राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. अजय गुप्ता ने बताया कि डिप्थीरिया संक्रमण का मुख्य कारण बच्चों का टीकाकरण नहीं कराना है। बहुत से अभिभावक अपने बच्चों का टीकाकरण यह सोचकर नहीं करवाते हैं कि टीका लगने के बाद बुखार आएगा। यह सही नहीं है।
यूपी में स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बने 1.24 लाख परिवार : बच्चों का टीकाकरण कराने से किया इनकार
Sep 03, 2024 17:30
Sep 03, 2024 17:30
स्वास्थ्य महानिदेशक परिवार कल्याण ने सभी सीएमओ को भेजा पत्र
शून्य से पांच साल तक के बच्चों में डिप्थीरिया सहित 12 जानलेवा बीमारियों से बचाव को लेकर नियमित टीकाकरण किया जाता है। हाल ही में स्वास्थ्य महानिदेशक परिवार कल्याण ने पत्र जारी कर सभी जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि टीकाकरण से इनकार वाले परिवारों की पहचान कर उन परिवारों के बच्चों का टीकाकरण सुनिश्चित किया जाए। इसके साथ ही 60 जनपदों में 'जीरो डोज' अभियान चल रहा है जिसके तहत शून्य से दो साल की आयु के ऐसे बच्चों की पहचान कर उनका टीकाकरण सुनिश्चित किया जा रहा है जिन्हें कोई भी टीका नहीं लगा है।
नियमित टीकाकरण के अभाव में इन जनपदों में बच्चे संक्रमित
इतने प्रयासों के बावजूद प्रदेश में अभी भी 1.24 लाख परिवार टीकाकरण कराने से इनकार कर रहे हैं, जिन्हें टीकाकरण के लिए तैयार करने में समाज के सभी वर्गों को आगे आना चाहिए। हाल ही में हरदोई, उन्नाव, आजमगढ़ सहित कई जनपद हैं जहां समय से बच्चों का नियमित टीकाकरण न होने से डिप्थीरिया (गलघोंटू) से संक्रमित हो रहे हैं।
डिप्थीरिया संक्रमण का मुख्य कारण बच्चों का टीकाकरण कराने से इनकार
राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. अजय गुप्ता ने बताया कि डिप्थीरिया संक्रमण का मुख्य कारण बच्चों का टीकाकरण नहीं कराना है। बहुत से अभिभावक अपने बच्चों का टीकाकरण यह सोचकर नहीं करवाते हैं कि टीका लगने के बाद बुखार आएगा। यह सही नहीं है। टीका लगाने के लिए मना नहीं करें। बुखार आना बच्चे के लिए शुभ संकेत हैं कि टीका प्रभावी है। विभिन्न जनपदों में जनवरी से अब तक संदिग्ध डिप्थीरिया से 664 बच्चे संक्रमित हुए हैं। जिनमें से 615 पूरी तरह ठीक हो चुके हैं।
कोरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया संक्रमण की वजह
डिप्थीरिया एक संक्रमण है जो कोरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया नामक बैक्टीरिया के कारण होता है जो विष बनाते हैं। डिप्थीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है, आमतौर पर खांसने या छींकने से निकलने वाली सांस की बूंदों के जरिए इसका प्रभाव होता है। डिप्थीरिया त्वचा संक्रमण वाले किसी व्यक्ति के खुले घावों या अल्सर को छूने से भी फैल सकता है। यह नाक और गले की श्लेष्मा झिल्ली को प्रभावित करती है। संक्रमित होने के दो से चार दिनों के बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं। यह एक व्यक्ति से दूसरे में आसानी से फैलती है। इस बीमारी से बच्चे ही नहीं वयस्क भी प्रभावित होते हैं। ऐसे लोग जिन्हें इसका टीका नहीं लगा है या किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं या ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहांं डिप्थीरिया का संक्रमण है या जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है और पांच साल से छोटे बच्चे इस बीमारी की चपेट में आसानी से आ सकते हैं
बीमारी के लक्षण
बुखार, जुकाम, सिर में दर्द, नाक का बहना, गले की ग्रंथियों में सूजन, कब्ज और कमजोरी आना। अगर किसी को यह लक्षण दिखाई दें तो तुरंत आशा कार्यकर्ता से सम्पर्क करें या निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं। स्वयं किसी भी तरह का इलाज न करें या किसी अप्रशिक्षित चिकित्सक को न दिखाएं। ऐसा करने से कोई अनहोनी घट सकती है।
इस बीमारी से बचने के उपाय
- डेढ़ माह, ढाई माह, साढ़े तीन माह, 16-24 माह और पांच से 6 साल की उम्र पर डीपीटी का बूस्टर लगवाना।
- 10 और 16 साल की आयु में डिप्थीरिया और टिटेनस (टीडी) का टीका लगवाना।
- नियमित टीकाकरण के तहत गर्भवती को भी व्यस्क डिप्थीरिया और टिटनेस का टीका लगता है।
- अपने बच्चों का नियमित टीकाकरण जरूर कराएं। यह टीके सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर निःशुल्क लगते हैं।
- प्रत्येक बुधवार और शनिवार को जब भी एएनएम आपके गांव में टीका लगाने के लिए आए तो कोई आनाकानी नहीं करें। टीका जरूर लगवाएं।
- टीके 12 बीमारियों से बचाव को लगाए जाते हैं। इनमें टीबी, पोलियो, हेपेटाइटिस बी, टिटेनस, काली खांसी, डिप्थीरिया, इनफ्लूएंजा, खसरा, रुबेला, निमोनिया, वायरल डायरिया और जापानी इंसिफेलाइटिस है।
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