शिक्षा विभाग ने 27000 प्राइमरी स्कूल बंद करने के फैसले को बताया भ्रामक : प्रियंका गांधी-मायावती के बयान से उठे सवाल

प्रियंका गांधी-मायावती के बयान से उठे सवाल
UPT | UP Basic Education Order Politics

Nov 04, 2024 14:49

शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि उत्तर प्रदेश सरकार प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। विभाग समय-समय पर अध्ययनों का आयोजन करता है ताकि शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सके। वर्तमान में सभी प्राथमिक विद्यालयों में सुविधाओं और शिक्षा के स्तर को सुधारने पर जोर दिया जा रहा है।

Nov 04, 2024 14:49

Lucknow News : उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में 27,000 प्राथमिक विद्यालय बंद करने की खबरों का खंडन किया है। बेसिक शिक्षा की महानिदेशक कंचन वर्मा ने एक बयान जारी करते हुए स्पष्ट किया कि इन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है। उन्होंने प्रदेश के 27,000 विद्यालयों को बंद करने की खबरों को पूरी तरह से निराधार बताया है। महानिदेशक ने कहा कि प्रदेश सरकार का उद्देश्य स्कूलों को बंद करना नहीं बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है।

भ्रामक खबरों का सच
बेसिक शिक्षा की महानिदेशक कंचन वर्मा ने कहा कि 27,000 प्राथमिक विद्यालयों को निकटवर्ती विद्यालयों में विलय करने की अफवाहें फैलाई जा रही हैं, जो कि पूरी तरह भ्रामक और गलत हैं। सरकार ने किसी भी स्कूल को बंद करने की प्रक्रिया आरंभ नहीं की है। शिक्षा विभाग का लक्ष्य है कि स्कूलों में आधारभूत सुविधाओं और मानव संसाधन को और बेहतर किया जाए ताकि छात्रों, विशेषकर बालिकाओं की शिक्षा में गुणवत्ता बढ़े और ड्रॉप-आउट दर में कमी आए।



स्कूलों के विकास पर ध्यान केंद्रित
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि उत्तर प्रदेश सरकार प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। विभाग समय-समय पर अध्ययनों का आयोजन करता है ताकि शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सके। वर्तमान में सभी प्राथमिक विद्यालयों में सुविधाओं और शिक्षा के स्तर को सुधारने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि छात्राओं और छात्रों को समान रूप से लाभ प्राप्त हो।

बेसिक शिक्षा विभाग खुद सवालों के घेरे में
हालांकि इस प्रकरण में बेसिक शिक्षा विभाग खुद भी सवालों के घेरे में है। आरोप है कि विभाग में आपसी तालमेल की कमी की वजह से एक बार फिर किरकरी के बाद फैसला वापस करना पड़ा। इससे पहले 13 और 14 नवंबर को आयोजित होने वाली बैठक का जो विस्तृत एजेंडा जारी हुआ है, उसमें स्पष्ट रूप विद्यालयों को मर्ज करने की विस्तृत रूपरेखा स्पष्ट की गई थी।

एजेंडे में स्पष्ट तौर पर चर्चा की बात
इस एजेंडे के मुताबिक भारत सरकार ने विद्यालयों को पूर्ण रूप से क्रियाशील एवं व्यवहार्य बनाने की दिशा में यह अपेक्षा की है कि कम नामांकन वाले विद्यालयों का निकटस्थ अन्य विद्यालयों में संविलियन किये जाने की सम्भावना ज्ञात कर ली जाए। 50 से कम नामांकन वाले प्राथमिक विद्यालयों के संबंध में आंकड़ों के आधार पर थ्योरिटिकल एक्सरसाइज प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण कर ली जाये। ग्राम पंचायत विद्यालय संविलियन का मानक नहीं है, मानक विद्यालय है, इसको ध्यान में रखकर कार्ययोजना तैयार की जाये। इसके लिए किस विद्यालय को निकटस्थ किस अन्य विद्यालय में संविलियन किया जा सकता है, बच्चों को कितनी दूरी तय करनी होगी, भवन की उपलब्धता, शिक्षकों की उपलब्धता, ट्रांसपोर्ट की उपलब्धता, नहर, नाला, सड़क या हाईवे आदि घटकों पर विचार कर परिदृश्य तैयार करते हुए प्रत्येक विद्यालय के लिए एक पेज की टिप्पणी तैयार किया जाये और इस प्रकार ऐसे सभी विद्यालयों के बारे में जनपद की पुस्तिका तैयार कर ली जाये। इस सम्बन्ध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों की बैठक 13 या 14 नवंबर 2024 को आयोजित की जाये।

सियासत तेज होने पर विभाग ने दी सफाई
इसके बाद मामले में सियासत तेज होने पर विभाग की ओर से अपनी सफाई में कहा गया कि कुछ समाचार माध्यमों में 27000 प्राथमिक विद्यालयों को निकटवर्ती विद्यालयों में विलय करते हुए बंद करने की बात की गई है, जो बिल्कुल भ्रामक एवं निराधार है। किसी भी विद्यालय को बंद किए जाने की कोई प्रक्रिया गतिमान नहीं है। प्रदेश का प्राथमिक शिक्षा विभाग विद्यालयों में मानव संसाधन और आधारभूत सुविधाओं के विकास, शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने तथा छात्रों, विशेषकर बालिकाओ के, ड्राप आउट दर को कम करने के लिए सतत प्रयत्नशील है। इस दृष्टि से समय-समय पर विभिन्न अध्ययन किए जाते हैं। विगत वर्षों में प्रदेश के विद्यालयों में कायाकल्प, निपुण, प्रेरणा आदि योजनाओं के माध्यम से शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति एवं सुधार हुए हैं। विभाग के लिए प्रदेश के छात्रों का हित सर्वोपरि है। 

प्रियंका गांधी ने की सरकार की आलोचना
इसस पहले कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस मामले में योगी सरकार की आलोचना की। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने 27,764 प्राइमरी और जूनियर स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया है। यह कदम शिक्षा क्षेत्र के साथ-साथ दलित, पिछड़े, गरीब और वंचित तबकों के बच्चों के खिलाफ है। प्रियंका गांधी ने कहा कि यूपीए सरकार शिक्षा का अधिकार कानून लाई थी जिसके तहत व्यवस्था की गई थी कि हर एक किलोमीटर की परिधि में एक प्राइमरी विद्यालय हो ताकि हर तबके के बच्चों के लिए स्कूल सुलभ हो। उन्होंने कहा कि कल्याणकारी नीतियों और योजनाओं का मकसद मुनाफा कमाना नहीं बल्कि जनता का कल्याण करना है। भाजपा नहीं चाहती कि कमजोर तबके के बच्चों के लिए शिक्षा सुलभ हो।

मायावती बोलीं- गरीब बच्चे आखिर कहां और कैसे पढ़ेंगे? 
इससे पहले बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सरकार के इस कथित फैसले का विरोध करते हुए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार द्वारा 50 से कम छात्रों वाले बदहाल 27,764 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में जरूरी सुधार करके उन्हें बेहतर बनाने के उपाय करने के बजाय उनको बंद करके उनका दूसरे स्कूलों में विलय करने का फैसला उचित नहीं है। ऐसे में गरीब बच्चे आखिर कहां और कैसे पढ़ेंगे? 

अधिकांश राज्यों में शिक्षा का बेहद बुरा हाल
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि यूपी व देश के अधिकतर राज्यों में खासकर प्राइमरी व सेकेंडरी शिक्षा का बहुत ही बुरा हाल है जिस कारण गरीब परिवार के करोड़ों बच्चे अच्छी शिक्षा तो दूर सही शिक्षा से भी लगातार वंचित हैं। ओडिशा सरकार द्वारा कम छात्रों वाले स्कूलों को बंद करने का भी फैसला अनुचित। उन्होंने कहा कि सरकारों की इसी प्रकार की गरीब व जनविरोधी नीतियों का परिणाम है कि लोग प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने को मजबूर हो रहे हैं, जैसा कि सर्वे से स्पष्ट है, लेकिन सरकार द्वारा शिक्षा पर समुचित धन व ध्यान देकर इनमें जरूरी सुधार करने के बजाय इनको बंद करना ठीक नहीं है।
 

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