प्राइमरी विद्यालयों में नियम विरुद्ध तैनाती समाप्त : 13 वर्ष बाद शिक्षकों को मूल स्कूल में वापस भेजने का आदेश

13 वर्ष बाद शिक्षकों को मूल स्कूल में वापस भेजने का आदेश
UPT | UP Basic Education Department

Oct 09, 2024 09:15

एक माह पहले मानव संपदा पोर्टल पर इन शिक्षकों के ब्योरे की जांच की गई, जिसमें इनकी लंबी संबद्धता की जानकारी सामने आई। बीएसए राम प्रवेश ने इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को दी। बेसिक शिक्षा निदेशक के आदेश पर बीएसए ने सभी शिक्षकों की नियम-विरुद्ध सम्बद्धता रद्द करते हुए उन्हें अपने मूल स्कूल में वापस तैनाती के आदेश दिए।

Oct 09, 2024 09:15

Lucknow News : प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों में नियमों के विरुद्ध करीब 13 वर्षों से पसंदीदा स्कूलों में कार्यरत 16 शिक्षक-शिक्षिकाओं को अब अपने मूल स्कूलों में लौटना होगा। बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) ने आदेश दिया है कि ये शिक्षक और शिक्षिकाएं दो दिन के भीतर अपने मूल स्कूलों में जॉइन करें। बीईओ को निर्देश दिया गया है कि संबद्ध स्कूल से इन शिक्षकों को कार्यमुक्त कर मूल स्कूल में कार्यभार ग्रहण कराया जाए। आदेश का पालन नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

2011 से संबद्ध स्कूलों में कार्यरत
इन शिक्षकों में दो शिक्षक और 14 महिला शिक्षिकाएं शामिल हैं, जो साल 2011 से संबद्ध स्कूलों में कार्यरत थीं। नियमानुसार, संबद्धता एक वर्ष के लिए ही होती है, परंतु ये शिक्षिकाएं करीब 13 वर्षों से उसी स्कूल में डटी रहीं। इनमें से कई महिला शिक्षिकाएं शासन में कार्यरत अधिकारियों की पत्नियां हैं, जिन्होंने अपनी संबद्धता की अवधि को लंबे समय तक बनाए रखा।



मानव संपदा पोर्टल पर हुई जांच
एक माह पहले मानव संपदा पोर्टल पर इन शिक्षकों के ब्योरे की जांच की गई, जिसमें इनकी लंबी संबद्धता की जानकारी सामने आई। बीएसए राम प्रवेश ने इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को दी। बेसिक शिक्षा निदेशक के आदेश पर बीएसए ने सभी शिक्षकों की नियम-विरुद्ध सम्बद्धता रद्द करते हुए उन्हें अपने मूल स्कूल में वापस तैनाती के आदेश दिए।

कोर्ट जाने पर भी नहीं मिली राहत
इन शिक्षकों में से कई शिक्षिकाएं उच्च न्यायालय गईं। लेकिन, अदालत से उन्हें कोई राहत नहीं मिली। बीएसए ने दोबारा इन शिक्षकों के अटैचमेंट निरस्त करने का आदेश दिया है और निर्देश दिया गया है कि वे दो दिन के भीतर अपने मूल स्कूल में कार्यभार ग्रहण करें। आदेश के पालन न होने पर सख्त कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से आदेश
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक, यह कदम प्रशासनिक अनुशासन को सुदृढ़ बनाने के लिए उठाया गया है। प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से भी यह कदम अहम है। इस प्रकार की संबद्धता से जहां शिक्षकों का सही उपयोग नहीं हो पाता, वहीं शिक्षा की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 

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