मीट कारोबारियों के ठिकानों पर आईटी रेड : 1200 करोड़ का नहीं मिला हिसाब, कश्मीर की सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका पर सवाल

1200 करोड़ का नहीं मिला हिसाब, कश्मीर की सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका पर सवाल
UPT | Income Tax Raid

Nov 13, 2024 11:28

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि इस 1200 करोड़ रुपये की नकदी को संदिग्ध गतिविधियों में इस्तेमाल करने की आशंका है। खासकर उन इलाकों में जहां देश की सुरक्षा संवेदनशील है, वहां के युवाओं को सुरक्षा कार्यों में लगाया जाना और भारी नकद लेन-देन करना एक बड़े खतरे की ओर इशारा करता है।

Nov 13, 2024 11:28

Lucknow News : प्रदेश में मीट कारोबार से जुड़े बड़े समूहों पर आयकर विभाग के छापों के बाद चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। विभाग की जांच में यह बात सामने आई कि इन कंपनियों ने 1200 करोड़ रुपये की नकदी का हिसाब अब तक स्पष्ट नहीं किया है। साथ ही, इस रकम के उपयोग को लेकर संदेह जताया गया है कि यह रुपये की हेराफेरी या अन्य संदिग्ध गतिविधियों में खपाया गया हो सकता है। खास बात यह है कि इन कंपनियों ने कश्मीर की निजी सुरक्षा एजेंसियों से सेवाएं ली हैं, जिनकी भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।

बड़े समूहों पर कई शहरों में हुई छापेमारी 
दिसंबर 2022 में आयकर विभाग ने बरेली के मारिया ग्रुप, रहबर ग्रुप, अल-सुमामा ग्रुप, लखनऊ और उन्नाव के रुस्तम ग्रुप, और आगरा के एचएमए ग्रुप के खिलाफ छापेमारी की थी। इन छापों के दौरान मिले दस्तावेजों की गहराई से जांच की गई, जिसमें सामने आया कि संभल के प्रवीण रस्तोगी ने इन मीट कंपनियों को मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए 524 करोड़ रुपये की नकद सहायता दी थी। इसके अलावा, रहबर ग्रुप की 68 करोड़ की काली कमाई का पता चला, जबकि रुस्तम ग्रुप और मारिया ग्रुप से जुड़ी 535 करोड़ और 102 करोड़ रुपये की बोगस बिक्री का भी खुलासा हुआ।



संदिग्ध लेन-देन का रहस्य 
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि इस 1200 करोड़ रुपये की नकदी को संदिग्ध गतिविधियों में इस्तेमाल करने की आशंका है। खासकर उन इलाकों में जहां देश की सुरक्षा संवेदनशील है, वहां के युवाओं को सुरक्षा कार्यों में लगाया जाना और भारी नकद लेन-देन करना एक बड़े खतरे की ओर इशारा करता है। कश्मीर की निजी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा इन मीट कारोबारियों को सेवाएं दिए जाने से भी यह मामला और गंभीर हो गया है।

सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका पर संदेह
जांच में यह सामने आया कि इन मीट कंपनियों के सुरक्षा कार्यों में कश्मीरी युवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो कई दृष्टिकोणों से संदिग्ध माना जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार यह रकम कई धार्मिक संगठनों जैसे जमात-ए-उलेमा हिंद और देवबंद को भेजी गई। एचएमए एग्रो की जांच में यह भी पता चला कि इसने एक अरबी अनुवादक नियुक्त किया है, जो नियमित रूप से खाड़ी देशों के कुछ लोगों के संपर्क में रहता है।

प्रमुख सुरक्षा एजेंसियों की ली गईं सेवाएं
मारिया ग्रुप, रुस्तम ग्रुप, और रस्तोगी ग्रुप ने राजौरी स्थित खान सिक्योरिटी प्रोटेक्शन की सेवाएं ली हैं, जिनके अधिकतर कर्मचारी कश्मीरी युवा हैं। आगरा की एचएमए ग्रुप ने जाफरान चौधरी सिक्योरिटी प्राइवेट लिमिटेड, हिंदुस्तान गार्ड फोर्स सिक्योरिटी सर्विसेज, सुभाना चौधरी सिक्योरिटी सर्विसेज और एशिया ग्रुप सिक्योरिटी से सुरक्षा सेवाएं प्राप्त की हैं। ये कंपनियां पुंछ में स्थित हैं और इनकी सेवाओं पर संदेह किया जा रहा है, खासकर इनके मालिकों के संबंध को लेकर सवाल उठ रहे हैं। 

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