नई गाइडलाइन के तहत, एनकाउंटर में इस्तेमाल किए गए सभी हथियारों को पुलिस को सरेंडर करना होगा, और उनकी जांच की जाएगी। अगर एनकाउंटर में कोई अपराधी गंभीर रूप से घायल होता है, तो उससे बरामद हथियारों का बैलिस्टिक परीक्षण भी कराया जाएगा, ताकि मामले में पूरी तरह से पारदर्शिता रहे और किसी भी तरह की गड़बड़ी की संभावना समाप्त हो सके।
यूपी में एनकाउंटर को लेकर नई गाइडलाइन : वीडियोग्राफी, फॉरेंसिक जांच से लेकर क्राइम ब्रांच करेगी ये काम, जानें अहम बिंदु
Oct 22, 2024 13:21
Oct 22, 2024 13:21
मौत के बाद पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी
अगर किसी एनकाउंटर में अपराधी की मौत हो जाती है, तो पोस्टमार्टम की प्रक्रिया भी डॉक्टरों के पैनल के जरिए की जाएगी और इसकी वीडियोग्राफी कराई जाएगी। यह कदम इस बात की पुष्टि करेगा कि कोई भी गड़बड़ी नहीं हो रही है। इसके अलावा, जिस स्थान पर एनकाउंटर हुआ होगा, वहां फॉरेंसिक टीम की जांच भी अनिवार्य होगी, ताकि सभी साक्ष्यों को सही ढंग से इकट्ठा किया जा सके।
जांच प्रक्रिया में बदलाव
डीजीपी ने स्पष्ट किया है कि जिस क्षेत्र में एनकाउंटर हुआ है, वहां की पुलिस इस मामले की जांच नहीं करेगी। इस प्रकार की घटनाओं की जांच क्राइम ब्रांच या फिर किसी अन्य थाने की पुलिस करेगी। साथ ही, जो अधिकारी एनकाउंटर में शामिल हैं, उनकी जांच उनके रैंक से ऊंचे अधिकारी करेंगे। इसके अलावा एनकाउंटर में मारे गए अपराधियों के परिजनों को तुरंत सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं।
एनकाउंटर में उपयोग किए गए हथियारों की जांच
नई गाइडलाइन के तहत, एनकाउंटर में इस्तेमाल किए गए सभी हथियारों को पुलिस को सरेंडर करना होगा, और उनकी जांच की जाएगी। अगर एनकाउंटर में कोई अपराधी गंभीर रूप से घायल होता है, तो उससे बरामद हथियारों का बैलिस्टिक परीक्षण भी कराया जाएगा, ताकि मामले में पूरी तरह से पारदर्शिता रहे और किसी भी तरह की गड़बड़ी की संभावना समाप्त हो सके।
मंगेश यादव एनकाउंटर पर विवाद
हाल ही में सुलतानपुर डकैती कांड में यूपी पुलिस ने मंगेश यादव का एनकाउंटर किया था। इस घटना के बाद सरकार पर पुलिस प्रशासन के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगेश यादव के एनकाउंटर को फर्जी करार दिया और इसे हत्या करार दिया। उन्होंने इसे जाति के नजरिये से भी जोड़ा था। हालांकि, पुलिस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए एनकाउंटर को सही ठहराया। सुलतानपुर डकैती कांड में मंगेश यादव और अनुज सिंह नाम के दो आरोपियों का एनकाउंटर हुआ था। दोनों के परिजनों ने पहले से ही इस एनकाउंटर की आशंका जताई थी। इस एनकाउंटर के बाद कई सवाल उठे, जिससे पुलिस पर दबाव बढ़ गया था। लेकिन, पुलिस ने इस एनकाउंटर को कानूनी और न्यायसंगत बताया।
सीडी में संलग्न की जाएगी मेडिकल रिपोर्ट
गाइडलाइंस में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि जिन मामलों में पुलिसकर्मी और अपराधी घायल होते हैं उनमें दोनों की मेडिकल रिपोर्ट सीडी में संलग्न की जाए। पुलिस कार्रवाई के सभी मामलों में डीजी परिपत्र 2017 में दिए गए निर्देशों का अनुपालन किया जाए। निर्देशों में कहा गाय है कि कार्रवाई से संबंधित सभी मामलों में सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से समय-समय पर निर्धारित मानकों और अपेक्षाओं को सुनिश्चित किया जाए। साथ ही साथ दी गई गाइडलाइंस के आधार पर कार्रवाई की जाए ताकि कभी भी असहज स्थिति खड़ी न हो सके।
एनकाउंटर के मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही होगी तय
आलाधिकारियों का कहना है कि नई गाइडलाइन के साथ, उत्तर प्रदेश पुलिस एनकाउंटर के मामलों में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगी। एनकाउंटर की वीडियोग्राफी और फॉरेंसिक जांच से किसी भी प्रकार के फर्जी एनकाउंटर के आरोपों से बचा जा सकेगा। साथ ही, इन गाइडलाइनों का पालन करते हुए पुलिसकर्मी अधिक जिम्मेदारी के साथ काम कर सकेंगे।
एनकाउंटर को लेकर गाइडलाइन के अहम बिंदु
- एनकाउंटर की पूरी घटना की वीडियोग्राफी कराना आवश्यक होगा, जिससे सभी गतिविधियों का सही रिकार्ड हो सके।
- एनकाउंटर स्थल पर फॉरेंसिक टीम जाकर जांच करेगी और साक्ष्य एकत्र करेगी।
- एनकाउंटर में मारे गए अपराधी के परिजनों को तुरंत इसकी सूचना दी जाएगी।
- एनकाउंटर की जांच उस क्षेत्र की पुलिस नहीं करेगी; जांच क्राइम ब्रांच या किसी दूसरे थाने की पुलिस द्वारा की जाएगी।
- एनकाउंटर की जांच केवल एनकाउंटर में शामिल अधिकारियों से एक रैंक ऊपर के अधिकारी ही करेंगे।
- एनकाउंटर में पुलिस द्वारा इस्तेमाल किए गए हथियारों को जांच के लिए सरेंडर करना होगा।
- अपराधी से बरामद हथियारों का बैलिस्टिक परीक्षण अनिवार्य रूप से कराया जाएगा।
- मारे गए अपराधी का पोस्टमार्टम दो डॉक्टरों के पैनल द्वारा किया जाएगा, और इसकी भी वीडियोग्राफी कराई जाएगी।
- एनकाउंटर में घायल पुलिसकर्मी और अपराधियों की मेडिकल रिपोर्ट भी जांच में शामिल की जाएगी।
- सभी सबूत न्यायिक जांच के दौरान पेश किए जाएंगे, ताकि केस का जल्द निस्तारण हो सके और पारदर्शिता बनी रहे।
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