इस कानून के लागू होने से उपभोक्ता अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे और उन्हें भोजन में मिलावट और गलत गतिविधियों से बचने में मदद मिलेगी। राज्य सरकार ने इन समस्याओं को जड़ से खत्म करने के लिए इस कानून का प्रारूप तैयार किया है।
खाने में थूकने-फर्जी नाम से बेचने पर योगी सरकार हुई सख्त : उपभोक्ताओं के हित में सख्त अध्यादेश लाने की तैयारी
Oct 15, 2024 10:52
Oct 15, 2024 10:52
उपभोक्ताओं को पहचान का अधिकार
राज्य सरकार का यह कानून उपभोक्ताओं को रेस्टोरेंट, होटल और अन्य खाद्य प्रतिष्ठानों के असली संचालक की पहचान जानने का अधिकार देगा। इससे फर्जी नामों का उपयोग कर खाद्य व्यवसाय चलाने वालों पर कड़ी निगरानी रखी जा सकेगी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर, राज्य में कई स्थानों पर संचालकों की पहचान स्पष्ट करने के लिए बैनर लगाए गए हैं, ताकि उपभोक्ता सटीक जानकारी प्राप्त कर सकें।
थूकने की घटनाओं पर लगेगा प्रतिबंध
हाल ही में, खाद्य पदार्थों में थूकने जैसी घटनाओं के सामने आने के बाद, सरकार ने इसे एक गंभीर अपराध मानते हुए इसे रोकने के लिए कठोर कदम उठाने का फैसला किया है। इस कानून का उद्देश्य ऐसी गतिविधियों को पूरी तरह से खत्म करना है। "उप्र छद्म एवं सौहार्द विरोधी क्रियाकलाप निवारण एवं थूकना प्रतिषेध अध्यादेश 2024" के तहत ऐसे मामलों में दोषी पाए गए लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
नए अध्यादेशों के तहत उठाए गए कदम
सरकार अब "यूपी प्रिवेंशन ऑफ कंटेमिनेशन इन फूड (कंस्यूमर राइट टू नो) अध्यादेश 2024" के तहत ऐसे नियम बनाएगी, जो खाद्य उत्पादों की शुद्धता को बनाए रखने में सहायक होंगे। इस अध्यादेश का मकसद सिर्फ मिलावट को रोकना नहीं है, बल्कि उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक बनाना भी है। यह नया अध्यादेश उपभोक्ताओं को उनके खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जानकारी पाने का हक भी देगा।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था मामला
कुछ महीने पहले, इस मुद्दे को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। अदालत ने भी राज्य सरकार को उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाने का सुझाव दिया था। इसी क्रम में राज्य सरकार अब कड़ा रुख अपनाते हुए इन अध्यादेशों को लागू करने की दिशा में बढ़ रही है।
उपभोक्ताओं के लिए लाभकारी पहल
इस कानून के लागू होने से उपभोक्ता अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे और उन्हें भोजन में मिलावट और गलत गतिविधियों से बचने में मदद मिलेगी। राज्य सरकार ने इन समस्याओं को जड़ से खत्म करने के लिए इस कानून का प्रारूप तैयार किया है। कहा जा रहा है कि इससे राज्य में उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और व्यापार में पारदर्शिता आएगी।
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