UPPCL : हर यूनिट बिजली पर 3.35 प्रतिशत नुकसान, अध्यक्ष बोले- 42 प्रतिशत खर्च दे रही सरकार, जानें पूरा सच

हर यूनिट बिजली पर 3.35 प्रतिशत नुकसान, अध्यक्ष बोले- 42 प्रतिशत खर्च दे रही सरकार, जानें पूरा सच
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Dec 21, 2024 17:55

उपभोक्ता परिषद भी प्रदेश में बिजली के बिल का भुगतान न करने वाले 67.41 लाख उपभोक्ताओं के मुद्दे को उठा चुका है। संगठन के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के मुताबिक इस समस्या पर विचार किया जाना चाहिए कि 67 लाख उपभोक्ता बिजली का बिल क्यों नहीं चुकाते हैं।

Dec 21, 2024 17:55

Lucknow News : उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) के निजीकरण के निर्णय के विरोध में कर्मचारी और अभियंता संघ लामबंद हो गए हैं। देश भर से इस लड़ाई को समर्थन मिल रहा है। वहीं सरकार निजीकरण के फायदे गिनाने में लगी है। शीतकालीन सत्र में ऊर्जा मंत्री एके शर्मा पीपीपी मॉडल की तारीफ कर चुके हैं। वहीं अब कारपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

66 लाख उपभोक्ताओं ने आज तक नहीं जमा किया बिल
यूपीपीसीएल अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल का कहना है कि विभाग इस समय 46 हजार करोड़ रुपये के घाटे में है। यह एक वक्त में 16 हजार करोड़ था। इसमें लगातार वृद्धि हो रही है। इसके पीछे मुख्य कारणों में उपभोक्ताओं द्वारा बिल नहीं भरना और विभागीय खर्चों का बढ़ना है। प्रदेश में कुल 3.52 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं, जिनमें से 66 लाख उपभोक्ताओं ने एक बार भी अपनी बकाया राशि जमा नहीं की है। उन्होंने अवर अभियंताओं से सवाल किया है कि वह बताएं कि एकमुश्त समाधान योजना में उन्होंने ऐसे कितने उपभोक्ताओं से बिल जमा कराया है। हालत ये है कि आज भी विभाग काे चलाने के लिए 42 प्रतिशत खर्चा सरकार दे रही है।



ग्रामीण क्षेत्रों में महज 50 प्रतिशत बिलिंग
ऐसा नहीं है कि यूपीपीसीएल के बढ़ते घाटे के बीच उसकी आय में इजाफा नहीं हुआ है। कारोपोरेशन के अध्यक्ष खुद इस बात को स्वीकार कर रहे हैंं। उनका कहना है कि विभाग का राजस्व 7.5 प्रतिशत बढ़ा है। हालांकि खर्चों में इससे ज्यादा 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस अंतर को सरकार को  पूरा करना पड़ रहा है। देखा जाए तो हर यूनिट बिजली पर विभाग को 3.35 प्रतिशत का नुकसान हो रहा है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 50 प्रतिशत बिलिंग हो रही है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 91 प्रतिशत तक पहुंचता है।

बिजली वितरण कंपनियों की स्थिति भी संतोषजनक नहीं
यूपीपीसीएल के मुताबिक प्रदेश की रैंकिंग में बिजली वितरण कंपनियों की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम (MVVNL) को तीसरा, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) को पांचवां, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) को सातवां, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम (PVVNL) को 5.9 और कानपुर की केस्को (KESCo) को 42वां स्थान प्राप्त हुआ है।

ऊर्जा मंत्री का पीपीपी मॉडल से तस्वीर बदलने का दावा
इससे पहले ऊर्जा मंत्री एके शर्मा पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल की तरफदारी कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई योजना थी और आज यह कई क्षेत्रों में सफलतापूर्वक लागू हो रही है। निजीकरण के दौरान सभी कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा की जाएगी। इनमें सरकारी कर्मियों से लेकर संविदा कर्मी और ठेका कर्मी शामिल हैं।

उपभोक्ता परिषद ने बिल नहीं जमा करने के मामले में दी दलील
इससे पहले उपभोक्ता परिषद भी प्रदेश में बिजली के बिल का भुगतान न करने वाले 67.41 लाख उपभोक्ताओं के मुद्दे को उठा चुका है। संगठन के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के मुताबिक इस समस्या पर विचार किया जाना चाहिए कि 67 लाख उपभोक्ता बिजली का बिल क्यों नहीं चुकाते हैं। उनके अनुसार, इन उपभोक्ताओं में से महज 15 प्रतिशत केवल कागजों में मौजूद हैं और इनका कनेक्शन कभी सक्रिय नहीं हुआ। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पूर्वांचल में 33,17,368, दक्षिणांचल में 8,70,301 और मध्यांचल में 22,62,198 उपभोक्ताओं ने कभी बिजली का भुगतान नहीं किया है।

 

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