UPPCL Privatisation : उड़ीसा में सुधार को बनाई जा चुकी है विशेषज्ञ कमेटी-आम सहमति पर जोर, यूपी में भी गठित करने की मांग

उड़ीसा में सुधार को बनाई जा चुकी है विशेषज्ञ कमेटी-आम सहमति पर जोर, यूपी में भी गठित करने की मांग
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Jan 06, 2025 15:27

उपभोक्ता परिषद ने कहा कि ऐसे में यूपी सरकार और पावर कारपोरेशन प्रबंधन से यह मांग है कि प्रदेश के ऊर्जा सेक्टर में सुधार की आवश्यकता पर काम किया जाए। इसके तहत पहले चरण में पूर्वांचल और दक्षिणांचल के 42 जनपदों में सुधार के लिए तत्काल बिजली विशेषज्ञों की स्वतंत्र कमेटी का गठन कराया जाए।

Jan 06, 2025 15:27

Lucknow News : उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) को पीपीपी मॉडल पर देने के फैसले पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। दोनों विद्युत वितरण निगमों के 42 जनपद इसके अंतर्गत आते हैं और इन्हें उड़ीसा मॉडल की तर्ज पर निजी हाथों में देने की बात की जा रही है। हालांकि उड़ीसा मॉडल खुद सवालों के घेरे में है। वहां पॉवर सेक्टर में सुधार के लिए कमेटी खुद आम सहमति के आधार पर फैसला करने की सिफारिश कर चुकी है।   

उड़ीसा मॉडल का असफल उदाहरण
उपभोक्ता परिषद ने यूपीपीसीएल प्रबंधन और उत्तर प्रदेश सरकार को बताया है कि उड़ीसा में जब ऊर्जा सेक्टर का निजीकरण फेल साबित हुआ और एक बड़ा संकट सामने आया, तब सरकार ने वर्ष 2001 में एक स्वतंत्र कमेटी का गठन किया था। इसमें ऊर्जा सेक्टर के विशेषज्ञ शामिल किए गए। कमेटी का अध्यक्ष सेवानिवृत्त आईएएस अफसर सोवन कानूनगो को बनाया गया और पांच अन्य सदस्य विशेषज्ञ के रूप में कमेटी में शामिल किए गए। कमेटी का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा क्षेत्र में सुधारात्मक कदम उठाए जाने की आवश्यकता को जाहिर करना था। साथ ही सुधार प्रक्रिया किस प्रकार से अपनाई जाए, जिससे उपभोक्ता सहित विभाग व सबकी उन्नति हो सके, इसे लेकर भी अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। इस स्वतंत्र कमेटी का जो मुख्य रिकमेंडेशन था, उसमें यह बात स्पष्ट की गई कि बिजली क्षेत्र का पुनरुद्धार काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में कितनी तेजी से आम सहमति बनाई जाए।



ऊर्जा क्षेत्र में सुधार की मांग
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि ऐसे में यूपी सरकार और पावर कारपोरेशन प्रबंधन से यह मांग है कि प्रदेश के ऊर्जा सेक्टर में सुधार की आवश्यकता पर काम किया जाए। इसके तहत पहले चरण में पूर्वांचल और दक्षिणांचल के 42 जनपदों में सुधार के लिए तत्काल बिजली विशेषज्ञों की स्वतंत्र कमेटी का गठन कराया जाए। यह कमेटी बिजली क्षेत्र में सुधार के उपायों पर अपनी रिपोर्ट दे। खास बात है ​कि ये रिपोर्ट आम सहमति के आधार पर तैयार की जानी चाहिए।

निजीकरण बनाम सुधार : ऊर्जा सेक्टर को उद्योगपतियों को देने पर सवाल
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा प्रदेश सरकार वास्तव में ऊर्जा क्षेत्र में यदि सुधार चाहती है, तो इस दिशा में आगे बढ़े। उपभोक्ता परिषद उसे हर सहयोग देने को तैयार है। संगठन हमेशा से चाहता है कि ऊर्जा क्षेत्र में सुधार हो और सुधार कैसे होगा, इस पर चर्चा जरूरी हो। लेकिन, सुधार के नाम पर इस सेक्टर को उद्योगपतियों को देने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने ऐसा करना सुधार की दिशा में कदम उठाना नहीं बल्कि पूरी तरह उद्योगपतियों के सामने समर्पण करने जैसा है। ये फैसला बिजली प्रबंधन को नकारा साबित कर देगा। इसलिए इस प्रकार की स्थिति से अपने को दूर रखकर सुधार की दिशा में स्वतंत्र रूप से सोचने की जरूरत है।

यूपी में उठाए गए कई सकारात्मक कदम
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का पहले ऐसा राज्य बना, जहां विद्युत नियामक आयोग (UPERC) ने क्वालिटी कंट्रोल कमेटी का गठन किया। इन्वेस्टिगेटिंग अथॉरिटी बनाई और डिमांड सप्लाई गैप कमेटी का गठन किया गया। साथ ही स्टैंडिंग कमेटी ऑफ इक्विपमेंट क्वालिटी कंट्रोल एंड मॉनिटरिंग पूरे देश के लिए मिसाल है, जिसमें उपभोक्ता परिषद का अहम योगदान रहा है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र में सुधार करने के लिए निजीकरण की बात करना उचित नहीं है। अभी भी समय है इस पर सरकार व पावर कारपोरेशन विचार कर नए सिरे से शुरुआत करे।

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