UPPCL Privatisation : कर्मचारियों-अभियंताओं का काला फीता बांधकर विरोध, कहा- पूंजीपतियों को लूटने का लाइसेंस देने जा रही सरकार

कर्मचारियों-अभियंताओं का काला फीता बांधकर विरोध, कहा- पूंजीपतियों को लूटने का लाइसेंस देने जा रही सरकार
UPT | UPPCL

Dec 10, 2024 10:08

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने भी यूपीपीसीएल में निजीकरण के इस प्रस्ताव का पुरजोर विरोध किया है। संगठन ने इसे आम जनता और सरकारी विभागों के लिए महंगा सौदा बताया है। परिषद का कहना है कि निजीकरण से बिजली की दरों में भारी वृद्धि होगी, जिससे यातायात और अन्य सार्वजनिक सेवाएं भी महंगी हो जाएंगी।

Dec 10, 2024 10:08

Lucknow News : उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) के निजीकरण के फैसले को लेकर ऊर्जा संगठन आज काली पट्टी बांधकर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन सहित अन्य संगठन निजीकरण के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ने की बात कह रहे हैं। कर्मचारियों से जुड़े मुद्दे सहित आरक्षण को लेकर वह सवाल कर रहे हैं, जिन पर उन्हें जवाब नहीं मिला है।  

पीपीपी मॉडल से जनता, किसान और कर्मचारियों का सबसे ज्यादा नुकसान 
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने मंगलवार को कहा कि ऊर्जा प्रबंधन बिजली के निजीकरण के मामले में फर्जी आंकड़ों के आधार पर प्रदेश सरकार को गुमराह कर रहा है। हकीकत में बिजली के निजीकरण से सबसे ज्यादा नुकसान जनता, किसान और कर्मचारियों का होगा। प्रदेश में बिजली के निजीकरण पुरजोर विरोध का हो रहा है। अभियंता संघ ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार चुनिंदा पूंजीपतियों को प्रदेश की जनता को लूटने का लाइसेंस देने जा रही है। बिजली अभियंताओं एवं कर्मचारियों को निजीकरण मंजूर नहीं है।


राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने आंदोलन को दिया समर्थन
इस बीच राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने भी यूपीपीसीएल में निजीकरण के इस प्रस्ताव का पुरजोर विरोध किया है। संगठन ने इसे आम जनता और सरकारी विभागों के लिए महंगा सौदा बताया है। परिषद का कहना है कि निजीकरण से बिजली की दरों में भारी वृद्धि होगी, जिससे यातायात और अन्य सार्वजनिक सेवाएं भी महंगी हो जाएंगी। परिषद ने बिजली विभाग के कर्मचारियों के आंदोलन को अपना समर्थन देने की घोषणा की है।



ओडिशा और मुंबई का उदाहरण
परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी के अनुसार, ओडिशा और मुंबई में निजी बिजली कंपनियां पहले से काम कर रही हैं, जहां बिजली की दरें 10 रुपये प्रति यूनिट से भी अधिक हैं। इसके विपरीत उत्तर प्रदेश में वर्तमान में बिजली की दरें 6-7 रुपये प्रति यूनिट हैं। उन्होंने पावर कारपोरेशन पर 11,000 करोड़ रुपये के घाटे को आधार बनाकर निजीकरण की वकालत करने का आरोप लगाया। तिवारी ने कहा कि कारपोरेशन अगर बड़े उपभोक्ताओं से बकाया वसूली करे और लाइन लॉस को नियंत्रित करे, तो घाटे को पाटा जा सकता है।

संविदाकर्मियों को हटाने का विरोध
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने संविदा कर्मचारियों को सेवा से हटाने के कदम की कड़ी निंदा की है। तिवारी ने बताया कि 2001 के बाद से संविदा कर्मियों का नियमितीकरण नहीं किया गया है, जबकि उन्हें सरकारी कर्मचारियों की तरह ग्रेड वेतन, महंगाई भत्ता और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं। परिषद ने कहा कि संविदा कर्मियों को हटाना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि यह सरकारी विभागों में अस्थिरता भी लाएगा।

एस्मा को लेकर कर्मचारियोें का विरोध
राज्य सरकार के कर्मचारियों पर एस्मा (ESMA) लगाने के निर्णय पर भी परिषद ने कड़ी आपत्ति जताई। तिवारी ने कहा कि सरकारी कर्मचारी अनुशासित और लोकतांत्रिक तरीके से अपने मुद्दों को उठाते हैं। ऐसे में एस्मा लगाना उनके अधिकारों का हनन है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं, और उन्हें दबाने के बजाय उनकी समस्याओं को सुना जाना चाहिए।

निजीकरण के खतरे और समाधान
परिषद के मुताबिक बिजली विभाग के निजीकरण से केवल विभाग ही नहीं, बल्कि आम जनता पर भी अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को निजीकरण का रास्ता अपनाने के बजाय बकाया वसूली और ऊर्जा अपव्यय (लाइन लॉस) पर नियंत्रण करना चाहिए।

उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन बोला- ये करो या मरो की लड़ाई
उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन भी आज काली पट्टी बांधकर संवैधानिक तरीके से अपना विरोध दर्ज करा रही है। एसोसिएशन ने सभी दलित कार्मिकों से अपना काम रोज की तरह करने को कहा है। संगठन आज आगे की रणनीति तय करेगा। गठन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपीकेन, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद और विनय कुमार ने हम किसी भी सूरत में दक्षिणांचल व पूर्वांचल का पीपीपी मॉडल स्वीकार नहीं करेंगे। ये हमारे लिए करो या मरो की लड़ाई है। इसी तर्ज पर हम अपने आंदोलन को धार देंगे। एसोसिएशन ने कहा कि आरक्षण हमारा संवैधानिक अधिकार है। हम बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की संवैधानिक नीतियों पर कुठाराघात नहीं होने देंगे। 

पूरे प्रदेश में संगठन हुए एकजुट, निजीकरण का विरोध
बिजली कर्मियों के समर्थन में प्रदेश के 27 श्रम संघ, राज्य कर्मचारी संगठन और शिक्षक संगठन मैदान में उतर आए हैं। श्रम संघों का कहना है कि वह निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों के साथ हैं। उत्तर प्रदेश अधिकारी महापरिषद के प्रधान महासचिव एवं उत्तर प्रदेश इंजीनियर्स एसोसिएशन के महासचिव इं. आशीष यादव, स्टेट इम्प्लाईज ज्वाइंट काउंसिल उ.प्र. के अध्यक्ष जेएन तिवारी, राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष कमल अग्रवाल, जवाहर भवन इंदिरा भवन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सतीश पांडेय व महामंत्री रामकुमार धानुक, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष एसपी तिवारी, उत्तर प्रदेश चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रामराज दुबे, उत्तर प्रदेश मिनिस्टीरियल कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुशील कुमार त्रिपाठी, अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष कमलेश मिश्रा आदि संगठन आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।
 

Also Read

18 वर्षीय युवती 30 फीट गहरी खाई में गिरी, गंभीर रूप से घायल

15 Dec 2024 02:05 AM

उन्नाव कानपुर-लखनऊ हाईवे पर पुलिया धंसने से हादसा : 18 वर्षीय युवती 30 फीट गहरी खाई में गिरी, गंभीर रूप से घायल

कानपुर-लखनऊ हाईवे पर शनिवार दोपहर को एक बड़ी दुर्घटना घटी जब उन्नाव जिले के गंगाघाट थाना क्षेत्र के त्रिभुवन खेड़ा गांव के पास पुलिया का स्लैब धंस गया। इस दौरान... और पढ़ें