एसोसिएशन की कोर कमेटी ने पिछले 10 वर्षों में ऊर्जा क्षेत्र के उच्च प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया। संगठन ने कहा कि जिस प्रकार से उच्च प्रबंधन ऊर्जा क्षेत्र में अपने तरीके से अपनी अव्यवहारीक नीति के आधार पर बिजली निगमों को चलाता आया है, उसका खामियाजा आज उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है।
पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन : निगमों की जिम्मेदारी मिलने पर निजी घरानों से बेहतर रिजल्ट देने का दावा, अनैतिक हस्तक्षेप नहीं मंजूर
Dec 12, 2024 20:26
Dec 12, 2024 20:26
बेहतर उपभोक्ता सेवा का वादा
एसोसिएशन ने स्पष्ट किया कि यदि देश के निजी घराने पांच से दस वर्षों में बिजली निगमों में सुधार का खाका प्रस्तुत कर सकते हैं, तो संगठन के पास उनसे बेहतर रास्ता है। इसके लिए निजीकरण की भी जरूरत नहीं होगा। एसोसिएशन ने कहा कि उनके पास ऐसा कार्ययोजना मॉडल है, जो उपभोक्ताओं को संतोषजनक सेवा और निगम को आर्थिक स्थिरता प्रदान कर सकता है। संगठन ने सरकार को किसी भी तकनीकी अभियंताओं का पैनल बनाने का सुझाव दिया है, जिसकी देखरेख में सुधार की पूरी रूपरेखा का सार्वजनिक तौर पर खुलासा किया जा सके। एसोसिएशन ने ने कहा कि इसके लिए वह पूरी तरीके से तैयार है।
ऊर्जा क्षेत्र में प्रबंधन पर उठाए सवाल
एसोसिएशन की कोर कमेटी ने पिछले 10 वर्षों में ऊर्जा क्षेत्र के उच्च प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया। संगठन ने कहा कि जिस प्रकार से उच्च प्रबंधन ऊर्जा क्षेत्र में अपने तरीके से अपनी अव्यवहारीक नीति के आधार पर बिजली निगमों को चलाता आया है, उसका खामियाजा आज उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। किसी भी तकनीकी अभियंता का पॉलिसी मैटर में निर्णायक सहयोग नहीं लिया गया। लेकिन, जब एक्शन लेने की बात आई तो केवल अभियंताओं को निशाना बनाया गया। बिजली कंपनियां जब बनी थी तो मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक में इंजीनियर प्रबंध निदेशक हटाए जाते थे। इसके विपरीत जब से वर्तमान व्यवस्था के तहत प्रबंध निदेशकों के पद पर तैनाती हुई तो उन्हें कभी भी सुधार में अपेक्षित प्रणाम के अभाव में दंडित नहीं किया गया।
2020 के समझौते का किया जिक्र
एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपीकेन, संगठन सचिव बिंद्रा प्रसाद ने कहा कि जब वर्ष 2020 में निजीकरण पर ऊर्जा मंत्री की अध्यक्षता में समझौता हुआ तो उस दौरान भी पावर ऑफिसर एसोसिएशन ने कहा था कि स्वतंत्रता के साथ काम करने का अधिकार दिया जाए, जिससे बेहतर प्रणाम सामने आएंगे। इसके बाद भी किसी ने ध्यान नहीं दिया और आज उसी का नतीजा ऊर्जा निगमों की बदहाली के रूप में देखने को मिल रहा है। निगमों के कर्मचारियों से लेकर अभियंता परेशान हैं। उपभोक्ता अपनी समस्याओं से जूझ रहे हैं। पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने पूछा कि जब उपभोक्ता से लेकर अभियंता और निगम के कर्मचारी सभी परेशान हैं, तो आखिर खुश कौन है? समस्या की जड़ में जाकर समाधान खोजना होगा। उन्होंने सरकार और पावर कारपोरेशन से बेहतर परिणाम के लिए संगठन को जिम्मेदारी सौंपने की मांग की।
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